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आन्तरिक विस्थापितों की सहायता के लिए, विकास-केन्द्रित समाधानों की पुकार

डीआर काँगो के उत्तरी किवू प्रान्त में अपने गाँव से विस्थापित होने के लिये मजबूर एक परिवार.
© UNICEF/Arlette Bashizi
डीआर काँगो के उत्तरी किवू प्रान्त में अपने गाँव से विस्थापित होने के लिये मजबूर एक परिवार.

आन्तरिक विस्थापितों की सहायता के लिए, विकास-केन्द्रित समाधानों की पुकार

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मंगलवार को जारी अपनी एक नई रिपोर्ट में जलवायु, हिंसक टकराव और संकट की वजह से अपना घर छोड़कर जाने को मजबूर होने वाले लोगों की सहायता के लिये, तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है. संगठन ने कहा है कि विश्व भर में आन्तरिक विस्थापितों की रिकॉर्ड संख्या के मद्देनज़र, केवल मानवीय सहायता के ज़रिये इस चुनौती पर पार नहीं पाया जा सकता है.

यह पहली बार है जब अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर होने वाले लोगों की संख्या इस वर्ष 10 करोड़ से भी ज़्यादा हो गई.

इनमें से अधिकांश, पाँच करोड़ 91 लाख लोग पिछले अनेक वर्षों या दशकों से अपने देशों के भीतर विस्थापित हैं.

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घरेलू विस्थापितों को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने, उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार ढूंढने और आय का स्थाई स्रोत पाने समेत अनेक अन्य चुनौतियों से जूझना पड़ता है.

यूएन विकास कार्यक्रम ने उनकी व्यथा को एक ‘अदृश्य संकट’ क़रार दिया है, चूँकि यह कभी-कभार ही समाचारों में दिखाई देता है.

जलवायु परिवर्तन के कारण 21 करोड़ 60 लाख लोगों को, इस सदी के मध्य तक अपने मूल स्थानों से अन्य इलाक़ों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

इसके मद्देनज़र, रिपोर्ट में दीर्घकालीन विकास समाधानों की पैरवी की गई है ताकि आन्तरिक विस्थापन के इन रुझानों को पलटा जा सके.

यूएनडीपी प्रशासक एखिम स्टाइनर ने कहा कि हाशिए पर जीवन गुज़ार रहे आन्तरिक विस्थापितों की स्थिति में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है.

स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सामाजिक संरक्षा और रोज़गार अवसरों समेत अन्य अहम सेवाओं की सुलभता के ज़रिये नागरिकों के तौर पर उनके पूर्ण अधिकार सुनिश्चित किए जाने होंगे.

“अति-महत्वपूर्ण मानवीय सहायता के समानान्तर, स्थाई शान्ति, स्थिरता और पुनर्बहाली की दिशा में रास्तों के लिये परिस्थितियाँ तैयार करने में यह मज़बूत विकास-केन्द्रित उपाय अहम होगा.”

ठोस कार्रवाई पर बल

Turning the tide on internal displacement: A development approach to solutions शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में अदृश्य संकट को अन्तरराष्ट्रीय एजेंडा पर रखे जाने का आहवान किया गया है.

रिपोर्ट में दो हज़ार 653 आन्तरिक विस्थापितों और उनके आठ मेज़बान देशों के समुदायों में कराए गए एक सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी का उल्लेख किया गया है.

इनमें कोलम्बिया, इथियोपिया, इंडोनेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सोमालिया और वानुआतु हैं.

एक-तिहाई से अधिक आन्तरिक विस्थापितों ने बताया कि वे बेरोज़गार हो गए हैं, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक के पास अपनी घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है.

एक-तिहाई ने बताया कि अपने देश से दूर होने के बाद उनका स्वास्थ्य बद से बदतर हुआ है.

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि आन्तरिक विस्थापन पर पार पाना, सरकारों द्वारा महत्वपूर्ण विकास समाधान लागू किए जाने पर निर्भर करेगा.

इस क्रम में अधिकारों व बुनियादी सेवाओं के लिये समान सुलभता सुनिश्चित करना, सामाजिक-आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना, सुरक्षा बहाल करना और सामाजिक जुड़ाव का निर्माण करना अहम होगा.

यूएन विकास कार्यक्रम ने इस विषय में बेहतर डेटा और शोध की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है.

यूएन एजेंसी ने मानवीय सहायता प्रयासों से हटकर विकास के लिये कार्रवाई में सरकारों की मदद करने और प्रगति का आकलन करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है.