जैविक युद्ध से संरक्षा के लिये अहम अवसर

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष निरस्त्रीकरण अधिकारी इज़ूमी नाकामित्सू ने सोमवार को कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को कोविड-19 के बाद के माहौल में, जैविक हथियारों का विकास किए जाने की रोकथाम करने के लिये ठोस योजनाएँ आगे बढ़ानी होंगी.
इज़ूमी नाकामित्सू ने, जिनीवा में जैविक शस्त्र कन्वेंशन में दिए भाषण में बताया कि क्या कहीं जैविक विष या संक्रामक पदार्थ विकसित किए जा रहे हैं, इसकी पुष्टि करनेका मुद्दा, पिछले वर्षों से अवरुद्ध पड़ा है.
"No topic should be off the table in the quest to strengthen the Convention" - in her opening remarks for the #BWCRevCon @UN_Disarmament HR @Inakamitsu called the States Parties to 1 -operationalize 2- institutionalize 3 - fund the BWC & 4 - explore options for verification https://t.co/CY2TsboZkD
BWCISU
उन्होंने कहा, “वैसे तो जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा सुनिश्चित करना कहीं ज़्यादा उच्च प्राथमिकता है, मगर महामारी ने भी दिखा दिया है कि अगर जानबूझकर युद्ध या आतंक के हथियारों के रूप में, जैविक शस्त्रों का प्रयोग किया जाए, तो किस हद तक बाधा उत्पन्न हो सकती है.”
यूएन निरस्त्रीकरण अधिकारी ने कन्वेंशन में कहा कि राजनैतिक रूप से स्वीकार्य एक पुष्टिकरण प्रोटोकॉल विकसित करने के लिये, आधुनिक विज्ञान के उपकरणों का लाभ उठाने के नवीन विचार तलाश करने होंगे.
इस कन्वेंशन के तहत तीन सप्ताह तक बैठकें चलेंगी जोकि हर पाँच वर्ष में आयोजित होती हैं, मगर जैविक शस्त्र कन्वेंशन की समीक्षा के लिये आयोजित होने वाली इन बैठकों के आयोजन में, कोविड-19 के कारण एक वर्ष की देरी हुई.
इज़ूमी नाकामित्सू ने कहा, “कन्वेंशन को मज़बूत करने के प्रयासों में, कोई भी मुद्दा चर्चा से बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए.”
उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुसन्धान और अच्छाई के लिये उनके प्रोत्साहन में, शान्तिपूर्ण वैज्ञानिक सहयोग और ज़्यादा पारदर्शिता के लिए समर्थन का आग्रह किया.
नाकामित्सू ने ज़ोर देकर कहा, “इसलिए ये समीक्षा सम्मेलन, देशों के सामने इस महत्वपूर्ण कन्वेंशन को मज़बूत करने की ख़ातिर एकजुट होने का एक अहम मौक़ा पेश करता है.”
ऐसी बहुत कम सम्भावना नज़र आती है कि आगामी सप्ताहों के दौरान जिनीवा में होने वाली चर्चाओं में, क़ानूनी रूप से बाध्य प्रोटोकॉल्स पर वार्ता फिर शुरू करने पर कोई सहमति बन सकेगी. मगर इस नवें समीक्षा सम्मेलन के लिये मनोनीत अध्यक्ष इटली के लियोनार्डो बैंसिनी का कहना है कि पुष्टिकरण और अनुपालन के मुद्दे पर, वार्ताएँ फिर से शुरू किए जाने के मुद्दे पर प्रगति के मामले में कोई सहमति बन सकती है.
राजदूत लियोनार्डो बैंसिनी ने ये भी बताया कि परमाणु हथियारों के मामले से अलग, ऐसे लाखों ढाँचे और सुविधाएँ मौजूद हैं जिनका शस्त्रीकरण किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा होने से रोकने के लिये, कुछ देश वैज्ञानिकों के लिये एक खुली व पारदर्शी आचार संहिता तैयार करने पर ज़ोर दे रहे हैं, और ये वैज्ञानिक कन्वेंशन की परिधि के भीतर काम करें.
“इससे किसी के लिए भी, अपने सहयोगियों से छुपाकर कोई कार्यक्रम विकसित करना अधिक कठिन होगा.”
राजदूत लियोनार्डो बेंसिनी ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी ने भी, जैविक शस्त्र कन्वेंशन को नवीनतम बनाने और एक वैश्विक महामारी के ख़तरे को ध्यान में रखने की ज़रूरत को रेखांकित कर दिया है, जिसमें इनसानों, पशुओं और वन्य जीवन के लिये जोखिम शामिल हैं.
ये जैविक शस्त्र कन्वेंशन (1972) ही, जैविक युद्ध व संघर्ष के जोखिम का सामना करने के लिये, मुख्य अन्तरराष्ट्रीय फ़्रेमवर्क है. ये कन्वेंशन ही जैविक और वैषेले हथियारों के विकास, उत्पादन, क्रय, हस्तान्तरण, भंडारण और प्रयोग को निषिद्ध बनाता है. इस समय 184 देश, इस सन्धि के पक्षकार हैं.
यूएन निरस्त्रीकरण प्रमुख इज़ूमी नाकामित्सू ने का कहना है, “दुनिया भर में बढ़ते तनाव, भूराजनैतिक संकटों को उकसावा दे रहे हैं, जिससे बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण पर बहुत भारी दबाव बन रहा है.”
“बहुपक्षीय प्रक्रियाएँ अवरुद्ध हो गई हैं या उनमें कटौती हो गई है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क रहना होगा क्योंकि हमने अन्य हथियार निषिद्धता नियमों को हाल के वर्षों में कमज़ोर पड़ते देखा है.”