‘महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का अन्त करना होगा’ यूएन एजेंसियाँ

संयुक्त राष्ट्र की 11 विभिन्न एजेंसियों ने शुक्रवार को, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा (VAWG) का उन्मूलन करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर कहा है कि ये हिंसा ना केवल भेदभाव के भीषणतम रूपों में से एक है, बल्कि ये दुनिया भर में सर्वाधिक व्यापक और लगातार मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक बनी हुई है.
इन यूएन एजेंसियों ने शुक्रवार को UNiTE! Activism to End Violence against Women and Girls campaign की शुरुआत करते हुए एक वक्तव्य में याद दिलाया है कि लगभग तीन में से एक महिला को, अपने जीवन में लिंग आधारित हिंसा का सामना करना पड़ता है.
Learn to recognize the signs of an abusive relationship, and how you can help victims find safety and support.
@UN_Women has guidance on Friday's International Day to End Violence against Women: https://t.co/dmikJ2pbm5 #16Days https://t.co/ABzrhhmEM2
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इसके अलावा, वर्ष 2021 के दौरान, 20 से 24 वर्ष की आयु की हर पाँच में से एक महिला का विवाह, 18 वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले ही कर दिया गया, और जिन महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है, उनमें से 40 प्रतिशत से भी कम महिलाएँ ही, किसी तरह की मदद हासिल करने के लिये प्रयास करती हैं.
साथ ही, वैश्विक आपदाओं, संकटों, और संघर्षों ने, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा को और ज़्यादा सघन बना दिया है, और हिंसा के कारक व जोखिम और बढ़ा दिए हैं.
यूएन एजेंसियों के वक्तव्य के अनुसार, “कोविड-19 महामारी आरम्भ होने के बाद से, 45 प्रतिशत महिलाओं ने जानकारी दी है कि उन्होंने, या उनकी किसी परिचित महिला ने, महिलाओं या लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के किसी ना किसी रूप का सामना किया है.”
प्राकृतिक आपदाएँ भी लिंग आधारित हिंसा के तमाम रूपों में बढ़ोत्तरी करती हैं, जैसाकि वर्ष 2005 में समुद्री तूफ़ान – कैटरीना, हेती में 2010 में आए भूकम्प, 2011 में वनुआतू में आए तूफ़ानों, और 2019 से 2022 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में जंगली आगों के दौरान देखा गया.
इस बीच लिंग आधारित हिंसा के मौजूदा रूप, ऑनलाइन मंचों पर भी बढ़े हैं और मानवाधिकार विरोधी आन्दोलनों में भी इज़ाफ़ा हुआ है.
यूएन एजेंसियों का कहना है कि इनके परिणामस्वरूप सिविल सोसायटी के लिये स्थान सीमित हुआ है, महिलाधिकारों के लिये काम करने वाले संगठनों का विरोध बढ़ा है, और महिला मानवाधिकार पैरोकारों और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हमलों में बढ़ोत्तरी हुई है.
वैसे तो महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़, लिंग आधारित हिंसा का उन्मूलन करना, अकल्पनीय नज़र आता हो, मगर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि “ऐसी बात नहीं है”.
एजेंसियों के वक्तव्य में कहा गया है, “महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में बड़े पैमाने पर कटौती, सघन महिलावादी अभियान चलाकर हासिल की जा सकती है जिसमें सबूत और कार्रवाई से सूचित बहुक्षेत्रीय कार्रवाई और संसाधन निवेश भी हों.”
संयुक्त राष्ट्र UNiTE अभियान के माध्यम से, महिला अधिकारों के लिये काम करने वाले संगठनों के लिए धन व समर्थन में बढ़ोत्तरी की मांग कर रहा है जो, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम और उसका मुक़ाबला करने वाले समाधानों के लिये काम कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र, महिला अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति को पीछे की दिशा में जाने से रोके जाने; महिला मानवाधिकार पैरोकारों और महिलावादी महिला आन्दोलनों की आवाज़ बुलन्द करने; वैश्विक स्तर पर महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का उन्मूलन करने के लिये चल रहे आन्दोलनों में और ज़्यादा हस्तियों को शामिल करने के लिए सक्रिय करने; और राजनैतिक, नीति-निर्माण व निर्णय-निर्माण वाले स्थानों में महिलाओं व लड़कियों के नेतृत्व और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहन देने की भी हिमायत कर रहा है.