महामारियों की वजह बन सकने वाले नए रोगाणुओं को चिन्हित करने के प्रयास

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि ऐसे रोगाणुओं (pathogens) की एक संशोधित सूची तैयार किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं, जोकि विशाल स्तर पर बीमारी या वैश्विक महामारी फैलने की वजह बन सकते हैं. यूएन एजेंसी ने सोमवार को बताया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सहयोग से ऐसे रोगाणुओं को चिन्हित किया जाएगा, जिन्हें प्राथमिकता के तौर पर लिये जाने की आवश्यकता है.
Scientists will consider evidence on viruses & bacteria and include space for an unknown pathogen, labelled as 'Disease X', to represent the as yet unknown https://t.co/w0cP9fE67Z https://t.co/EZ5zSnWxj7
WHO
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 300 वैज्ञानिकों को एकत्र किया है, जो 25 से अधिक विषाणु परिवारों और जीवाणुओं पर तथ्यों का आकलन करेंगे.
इसके अलावा, वे “बीमारी X” (Disease X) पर भी ध्यान केन्द्रित करेंगे, जोकि एक ऐसे अनजान रोगाणु का संकेत है, जिससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एक गम्भीर महामारी फैल सकती है.
यह प्रक्रिया शुक्रवार को आरम्भ हुई, और इसके ज़रिये वैक्सीन, परीक्षण और उपचार के लिये वैश्विक निवेश, शोध एवं विकास को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
जिन रोगाणुओं की प्राथमिकता के तौर पर निगरानी किये जाने की आवश्यकता है, उनकी सूची पहले वर्ष 2017 में प्रकाशित की गई थी.
इनमें कोविड-19, इबोला, लास्सा बुखार, मध्य पूर्व श्वसन तंत्र सिंड्रोम (MERS), गम्भीर श्वसन तंत्र सिंड्रोम (SARS), ज़ीका और बीमारी X समेत अन्य वायरस थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य आपात हालात कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर माइकल रायन ने बताया कि प्राथमिकता वाले रोगाणुओं और विषाणु परिवारों को जवाबी उपायों के लिये शोध एवं विकास प्रयासों में लक्षित किया जाना अति-आवश्यक है.
इससे वैश्विक महामारी और बीमारियों के प्रकोप के विरुद्ध त्वरित और कारगर जवाबी उपायों को अपनाने में मदद मिलती है.
“कोविड-19 महामारी से पहले, ठोस शोध एवं विकास निवेश के बिना, रिकॉर्ड समय में सुरक्षित और असरदार वैक्सीन को विकसित कर पाना सम्भव नहीं हुआ होता.”
इस प्रक्रिया के अन्तर्गत स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा उन रोगाणुओं की एक प्राथमिकता सूची तैयार की जाएगी, जिनके लिये अतिरिक्त शोध एवं निवेश की आवश्यकता होगी.
इस क्रम में, वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अहर्ताओं का ध्यान रखा जाएगा, और सामाजिक-आर्थिक असर, सुलभता व समता से सम्बन्धित मानदंडों पर भी विचार होगा.
शोध एवं विकास रोडमैप उन रोगाणुओं के लिये विकसित किये जाएंगे, जिन्हें प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित किया गया है, और फिर शोध के लिये क्षेत्र और ज्ञान में मौजूदा कमियों को दूर करने के प्रयास किये जाएंगे.
आवश्यकता व प्रासंगिकता के अनुसार, वैक्सीन, उपचार और निदान परीक्षण के लिये विशिष्ट ज़रूरतों का भी निर्धारण होगा, और इन उपायों को विकसित करने के लिये क्लीनिकल परीक्षण की भी तैयार की जाएंगी.
संशोधित सूची अगले वर्ष के आरम्भ में प्रकाशित किये जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है.