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खाद्य आयात बिल पहुँचा दो हज़ार अरब डॉलर के नज़दीक, बढ़ती क़ीमतों से उभरी चिंता

हिंसक टकराव, त्वरित जनसंख्या वृद्धि और खाद्य आयात पर भारी निर्भरता से उत्तर अफ़्रीका समेत अन्य क्षेत्रों के लिये गम्भीर चुनौतियाँ हैं.
FAO/Ami Vitale
हिंसक टकराव, त्वरित जनसंख्या वृद्धि और खाद्य आयात पर भारी निर्भरता से उत्तर अफ़्रीका समेत अन्य क्षेत्रों के लिये गम्भीर चुनौतियाँ हैं.

खाद्य आयात बिल पहुँचा दो हज़ार अरब डॉलर के नज़दीक, बढ़ती क़ीमतों से उभरी चिंता

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2022 में वैश्विक खाद्य आयात का मूल्य बढ़ कर एक हज़ार 940 अरब डॉलर तक पहुँच जाने की सम्भावना है, जोकि पहले जताए गए अनुमान से अधिक है.  

नवीनतम ‘Food Outlook’ रिपोर्ट में व्यक्त किया गया यह नया पूर्वानुमान, अब तक के उच्चतम स्तर को दर्शाता है, और यह वर्ष 2021 के रिकॉर्ड स्तर से 10 प्रतिशत अधिक है.

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार आयात बिल में बढ़ोत्तरी की यह गति ऊँची खाद्य क़ीमतों और अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले अन्य मुद्राओं के मूल्य में आई गिरावट के परिणामस्वरूप धीमी हो जाने की अपेक्षा है.

इन दोनों वजहों से आयात करने वाले देशों की ख़रीद क्षमता और आयातित खाद्य वस्तुओं की मात्रा पर असर पड़ता है. वैश्विक खाद्य आयात बिल में अधिकाँश वृद्धि, उच्च-आय वाले देशों की वजह से होगी, मुख्य रूप से ऊँची क़ीमतों के कारण.

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ऊँची खाद्य क़ीमतों के कारण आर्थिक रूप से निर्बल देशों के समूह अधिक प्रभावित हुए हैं. उदाहरणस्वरूप, निम्न आय वाले देशों के कुल खाद्य आयात बिल में ज़्यादा बदलाव नहीं होगा, मगर आयातित मात्रा में 10 प्रतिशत की कमी आने की सम्भावना है.

चिंताजनक संकेत

यूएन एजेंसी की बाज़ार एवं व्यापार शाखा की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि, “खाद्य सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में ये चिंताजनक संकेत हैं.”

“ये दर्शाते हैं कि आयातकों के लिये बढ़ती अन्तरराष्ट्रीय क़ीमतों के अनुरूप वित्तीय प्रबंध कर पाना कठिन हो रहा है, और इससे ऊँची अन्तरराष्ट्रीय क़ीमतों के प्रति उनकी सहनक्षमता का सम्भवत: अन्त नज़दीक आ रहा है.”

रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किये जाने के बाद विश्व भर में खाद्य क़ीमतों में उछाल दर्ज किया गया, मगर अब कुछ हद तक इनमें कमी आई है.

एक साथ मिलकर, इन दोनों देशों का गेहूँ के कुल निर्यात में 30 प्रतिशत योगदान है, और अन्य प्रकार के अनाज व सम्बन्धित खाद्य सामग्री के निर्यात में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है.

गहराता अन्तर

रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि मौजूदा भिन्नताएँ आने वाले दिनों में और अधिक गहरी हो सकती हैं.

उच्च-आय वाले देश हर प्रकार के खाद्य उत्पादों का आयात करना जारी रखेंगे, जबकि विकासशील जगत में देशों को सबसे अधिक इस्तेमाल में लाई जाने वाली खाद्य सामग्री पर ही ध्यान केंद्रित करना होगा.

पिछले महीने, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक नए उपाय (Food Shock Window) को स्वीकृति दी थी, जिसके ज़रिये निम्नतर-आय वाले देशों को आपात वित्त पोषण प्रदान किया जाता है.

यूएन एजेंसी ने इस क़दम का स्वागत किया है और आयात की बढ़ती क़ीमतों को ध्यान में रखते हुए, इसे बोझ सहन करने की दिशा में अहम बताया है.

कृषि सम्बन्धी आयात

रिपोर्ट में आयातित कृषि कार्य में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री पर होने वाले व्यय का भी आकलन किया गया है.

इस वर्ष, वैश्विक बिल में क़रीब 50 फ़ीसदी की वृद्धि के बाद यह 424 अरब डॉलर पहुँचे की सम्भावना है, जिसकी बड़ी वजह आयातित ऊर्जा व उर्वरक की ऊँची क़ीमतें हैं.

संगठन का मानना है कि वैश्विक कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा में नकारात्मक प्रभाव अगले वर्ष भी जारी रह सकते हैं.

एक वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाने वाली इस रिपोर्ट में बाज़ार में आपूर्ति, और अनाज, तेल, चीनी, मीट, डेयरी उत्पाद के उपयोग सम्बन्धी रुझानों पर जानकारी दी जाती है.

रिपोर्ट के अनुसार फ़िलहाल आपूर्ति रिकॉर्ड स्तर पर है, मगर ऐसे अनेक कारक मौजूद हैं, जिनसे आने वाले दिनों में बाज़ार में परिस्थितियाँ कठिन हो सकती हैं.

उदाहरणस्वरूप, विश्व में गेहूँ उत्पादन आगामी वर्ष में 78 करोड़ 40 लाख टन पहुँचने का अनुमान है, जिसे कैनेडा और रूस में पैदावार से मज़बूती मिली है.

इस पृष्ठभूमि में, वैश्विक स्तर पर गेहूँ भण्डारण रिकॉर्ड स्तर पर होना चाहिए, मगर रिकॉर्ड बताती है कि यह मुख्यत: चीन और रूस में ही केंद्रित होने की अपेक्षा है, जबकि भण्डारण के स्तर में शेष दुनिया में आठ प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.