जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई चिंता, माता-पिता बनने पर युवजन कर रहे हैं पुनर्विचार

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा कराए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अफ़्रीकी महाद्वीप पर युवजन की लगभग आधी आबादी, माता-पिता बनने की अपनी भावी योजनाओं पर पुनर्विचार कर रही है. पृथ्वी पर बढ़ते जलवायु संकट और जोखिमों की वजह से उन्हें इस अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
इस सर्वेक्षण के नतीजों को मिस्र के शर्म अल-शेख़ में जारी कॉप27 जलवायु सम्मेलन के दौरान बुधवार को प्रकाशित किया गया.
यूनीसेफ़ का कहना है कि इस वर्ष जुलाई और अगस्त महीनों के दौरान, U-Report सर्वे में 163 देशों के दो लाख 43 हज़ार से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया.
Climate change is impacting the way young people are planning their present and future.
We need urgent action to build resilience among young people and pave the way to a better and more sustainable world for all 🌎. #COP27 https://t.co/vK4YMCoPw5
UNICEF
U-Report यूनीसेफ़ का एक डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म है, जिसके ज़रिये कार्यक्रमों की प्राथमिकताओं, आपात हालात कार्रवाई और पैरोकारी प्रयासों में युवजन की भागेदारी को समर्थन दिया जाता है.
इस सर्वेक्षण में युवजन से जलवायु परिवर्तन के विषय पर उनके रवैये के बारे में एसएमएस और अन्य संदेश टैक्नॉल़ॉजी के माध्यम से सवाल पूछे गए.
विश्व भर में, हर पाँच में से दो प्रतिभागियों ने बताया कि जलवायु प्रभावों के कारण, उन्हें माता-पिता बनने की आकाँक्षा पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है.
ये चिंता अफ़्रीकी देशों में सबसे अधिक देखी गई, जहाँ सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लगभग 50 फ़ीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि यह उनके लिये अब अनिश्चित है.
मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका में यह आँकड़ा 44 प्रतिशत और सब-सहारा अफ़्रीका में 43 प्रतिशत आंका गया.
बताया गया है कि इन दो क्षेत्रों में युवाओं को अनेक प्रकार के जलवायु झटकों का सामना करना पड़ा है, विश्व में किसी अन्य क्षेत्र की तुलना में कहीं ज़्यादा.
इस वजह से उनके लिये भोजन व जल की सुलभता पर असर पड़ा है और पारिवारिक आय में भी गिरावट आई है.
कॉप27 सम्मेलन में यूनीसेफ़ प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख पालोमा एस्कुडेरो ने बताया कि अफ़्रीका समेत विश्व के अनेक अन्य हिस्सों में युवा, जलवायु व्यवधानों को देख रहे हैं, और इसका असर भविष्य के लिये उनकी योजनाओं पर हुआ है.
“मगर, यह ज़रूरी नहीं है कि ऐसा हो ही. कॉप27 में, विश्व नेताओं को युवजन की इस बेचैनी को सुनना होगा और उनकी रक्षा करने के लिये तत्काल कार्रवाई की जानी होगी.”
पिछले वर्ष ’द लान्सेट’ नामक एक मेडिकल जर्नल ने एक वैश्विक सर्वेक्षण प्रकाशित किया था, जिसके अनुसार 10 हज़ार प्रतिभागियों में से लगभग 40 प्रतिशत बच्चे पैदा करने में हिचक रहे हैं, जोकि यूनीसेफ़ के सर्वेक्षण के नतीजों के अनुरूप ही है.
अन्य निष्कर्ष बताते हैं कि U-Report पोल में हिस्सा लेने वाले 50 फ़ीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने सूखे या फिर अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया है, जबकि लगभग 25 प्रतिशत को बाढ़ का सामना करना पड़ा.
हर पाँच में से दो ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण उनके पास भोजन की मात्रा घटी है, जिनमें से लगभग 52 प्रतिशत सब-सहारा अफ़्रीका में हैं और उसके बाद मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका (31 प्रतिशत) का स्थान है.
हर पाँच में से एक प्रतिभागी का मानना है कि उनके लिये स्वच्छ जल का प्रबंध कर पाना कठिन होता जा रहा है, विशेष रूप से मध्य पूर्व व उत्तर अफ़्रीका, पूर्वी एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में.
हर पाँच में से तीन प्रतिभागी जलवायु परिवर्तन के कारण किसी अन्य शहर या देश जाने की योजना बना रहे हैं.
यूनीसेफ़ ने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि जलवायु आपात हालात से बच्चों की रक्षा करने के लिये तत्काल क़दम उठाए जाने होंगे.
इसके लिये, ना सिर्फ़ वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लानी होगी, बल्कि उन अति-महत्वपूर्ण सामाजिक सेवाओं को भी ज़रूरत के अनुसार ढालना होगा, जिन पर युवा और बच्चे निर्भर हैं.
यूएन बाल कोष ने ज़ोर देकर कहा कि अनुकूलन उपायों का विशेष रूप से ख़याल रखा जाना होगा.
उदाहरणस्वरूप, ऐसी जल प्रणालियों की व्यवस्था करना जोकि बाढ़ या सूखे की घटनाओं के दौरान भी सुचारू रूप से जारी रह सकें.
यूनीसेफ़ ने सरकारों से उन समाधानों की तलाश करने का आग्रह किया है, जिन जलवायु हानि व क्षति का सामना करने वाले लोगों को समर्थन दिया जा सके और आवश्यकता व मौजूदा वित्त पोषण की खाई को पाटा जा सके.