वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

ईरान: सुरक्षा बलों को जवाबदेह ठहराने में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ठोस कार्रवाई का समय

ईरान की एक महिला महसा अमीनी की हिजाब सम्बन्धी विवाद में मौत होने के बाद, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं. ऐसा ही विरोध प्रदर्शन अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया में भी हुआ.
© Unsplash/Craig Melville
ईरान की एक महिला महसा अमीनी की हिजाब सम्बन्धी विवाद में मौत होने के बाद, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं. ऐसा ही विरोध प्रदर्शन अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया में भी हुआ.

ईरान: सुरक्षा बलों को जवाबदेह ठहराने में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ठोस कार्रवाई का समय

महिलाएँ

संयुक्त के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ जावेद रहमान ने गुरूवार को कहा है कि ईरान में चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शनों पर सरकारी क्रूर और लगातार दमन की निन्दा पर्याप्त नहीं है, और उन्होंने एक अन्तरराष्ट्रीय जाँच-प्रणाली गठित किये जाने का आहवान किया है.

विशेष रैपोर्टेयर जावेद रहमान ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से कहा कि महसा अमीनी की मौत के बाद भड़के प्रदर्शनों के बीच, बहुत सी हस्तियों ने एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की बहुत मज़बूत पुकारें लगाई हैं, और ईरान से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है, केवल तनाव बढ़ा है.

Tweet URL

ग़ौरतलब है कि महसा अमीनी को अधिकारियों की नज़र में ‘सही तरह से हिजाब नहीं पहनने’ के आरोप में 13 सितम्बर को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था और कुछ ही दिन बाद, 16 सितम्बर को पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी. पुलिस द्वारा हिरासत में ही महसा अमीनी पर बल प्रयोग किये जाने के आरोप लगे थे.

कार्रवाई की ज़िम्मेदारी

विशेष रैपोर्टेयर जावेद रहमान ने कहा, “मैं ज़ोर देकर कहना चाहता हूँ कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय पर, मानवाधिकार उल्लंघनों के लिये दंडमुक्ति से निपटने के लिये कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी है.”

उन्होंने ये भी कहा कि ये बहुत अहम है कि संयुक्त राष्ट्र व अन्य अन्तरराष्ट्रीय संस्थाएँ, “ठोस कार्रवाई करें”.

ईरान में विशेष रूप से युवा पुरुष और महिलाएँ प्रदर्शन आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हैं जिनमें वो देश में परिवर्तन, न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं.

जावेद रहमान ने कहा कि ईरान ने ना केवल निष्पक्ष और त्वरित जाँच कराए जाने की मांगों की अनदेखी की है, बल्कि देश की तरफ़ से हिंसा में भी इज़ाफ़ा हुआ है, जबकि अधिकारियों द्वारा कोई ग़लत कार्रवाई नहीं किये जाने के भी दावे किये गए हैं.

ग़ौरतलब है कि इन प्रदर्शनों में अभी तक ढाई सौ से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 27 बच्चे भी हैं.

‘महिलाएँ, जीवन और स्वतंत्रता’

विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि ईरान द्वारा कराई जाँच, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के न्यूनतम मानकों पर भी खरी नहीं उतर सकी है जबकि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर, “महिलाएँ, जीवन और स्वतंत्रता” के नारे के तहत, परिवर्तन की पुकार बढ़ी है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा कि महसा अमीनी, परिधान के सख़्त नियमों पर नैतिक पुलिस के बल प्रयोग की ऐसी क्रूर कार्रवाई का सामना करने वाली कोई पहली महिला नहीं थीं, और निश्चित रूप से वो अन्तिम भी नहीं होंगी.

बहुत व्यथित करने वाले हालात

मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक विशाल समूह ने बुधवार को एक हस्ताक्षरयुक्त वक्तव्य जारी करके, ईरान में हो रही मौतों और दमन की निन्दा की थी.

इस दमन में लोगों को मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तार किया जाना, उन्हें बन्दी बनाया जाना, लिंग आधारित और यौन हिंसा, अत्यधिक बल प्रयोग, प्रताड़ना, और जबरन गुमशुदगी के मामले शामिल हैं.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा, शान्तिपूर्ण और निहत्थे प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़, जानलेवा बारूद और धातु की गोलियों के जानबूझकर और अवैध प्रयोग की ख़बरें बहुत परेशान करने वाली हैं...”

उन्होंने कहा, “अनेक प्रदर्शनकरी या तो पहले ही बन्दी बनाए जा चुके हैं या अनेक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है, जिनमें बहुत से बच्चे, महिलाएँ और वृद्ध जन भी हैं. सरकार को तुरन्त पुलिस को, अत्यधिक और जानलेवा बल प्रयोग को बन्द करने और अधिकतम संयम बरतने की हिदायत देनी होगी.”

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदर्शनों के दौरान व सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ शारीरिक व यौन हिंसा, और हिरासत में रखने जाने के दौरान अन्य महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों का उल्लंघन किये जाने की ख़बरें बहुत व्यथित करने वाली हैं.

स्वतंत्र मानवाधिकारों की नियुक्ति, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी विशिष्ट मानवाधिकार स्थिति या किसी देश की स्थिति की जाँच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और इन विशेषज्ञों को उनके कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.