जलवायु परिवर्तन: हमारे वातावरण में, कार्बन डाइ ऑक्साइड और मीथेन पहुँची रिकॉर्ड स्तर पर

संयुक्त राष्ट्र के मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ाने वाली तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइ ऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का वातावरण में स्तर, वर्ष 2021 के दौरान नई रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया.
यूएन मौसम एजेंसी के वार्षिक ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन में आगाह किया गया है कि 40 वर्ष पहले व्यवस्थागत तरीक़े से मापन प्रणाली शुरू किये जाने के बाद से, मीथेन सघनता में हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है जिसमें, वर्ष 2021 में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार इस अभूतपूर्व वृद्धि के कारण के बारे में अभी ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है, मगर ये जैविक और मानव निर्मित प्रक्रियाओं दोनों का परिणाम नज़र आती है.
वर्ष 2020 की तुलना में 2021 के दौरान, कार्बन डाइ ऑक्साइड के स्तरों में वृद्धि भी, बीते दशक के दौरान, वार्षिक औसत वृद्धि से ज़्यादा रही. यूएन मौसम एजेंसी के अनुसार, ये स्तर वर्ष 2022 के दौरान भी बढ़ना जारी रहे हैं.
विश्व मौसम संगठन के महासचिव पैटेरी टालस का कहना है कि रिपोर्ट में एक बार फिर चुनौती की विशालता – और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती के लिये, एक तत्काल कार्रवाई की अति आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया है.
साथ ही भविष्य में वैश्विक तापमान वृद्धि पर लगाम कसने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 से 2021 के दरम्यान, दीर्घ काल तक मौजूद रहने वाली ग्रीन हाउस गैसों द्वारा हमारी जलवायु के गरम होने के प्रभाव में, लगभग 50 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमें मुख्य योगदान कार्बन डाइ ऑक्साइड में वृद्धि का है.
विश्व मौसम संगठन के मुखिया पैटेरी टालस की नज़र में, रिपोर्ट मीथेन उत्सर्जनों का सामना करने के लिये पहले से ही उपलब्ध किफ़ायती रणनीतियों को, बिना किसी देर के, लागू किये जाने की महत्ता भी रेखांकित करती है.
उनका कहना है कि इसमें हमारे उद्योगों, ऊर्ज व परिवहन प्रणालियों में बदलाव करके कार्बन डाइ ऑक्साइड में कटौती किया जाना भी शामिल है.
उन्होंने कहा, “ये आवश्यक बदलाव आर्थिक रूप से और तकनीकी रूप से सम्भव हैं. समय हाथ से निकलता जा रहा है.”
एजेंसी को आशा है कि इस बुलेटिन में प्रस्तुत किये गए विज्ञान और कॉप27 के पूर्व संध्या पर प्रकाशित होने वाली वैश्विक जलवायु रिपोर्ट में, वार्ताकारों को, पेरिस जलवायु समझौते की प्राप्ति के लिये, और ज़्यादा महत्वकांक्षी कार्रवाई करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा.
ध्यान रहे कि पेरिस जलवायु समझौते में, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है.
यूएन मौसम एजेंसी ने आगाह भी किया है कि जब तक ये उत्सर्जन जारी रहेंगे, तब तक वैश्विक तापमान वृद्धि भी जारी रहेगी.
वैज्ञानिक ध्यान दिलाते हैं कि ये समझना भी अहम है कि ये रिपोर्ट ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जनों की सघनता का आकलन करती है.
इसका मतलब है कि वातावरण में, गैसों के बाद भी जो कुछ शेष बचता है, उसे महासागर व जैव वातावरण सोख़ लेते हैं, जोकि उत्सर्जनों के समान होने जैसा मामला नहीं है.