जल व सततता चुनौतियों के लिये रूपान्तरकारी विचारों पर चर्चा

एक हज़ार से ज़्यादा वैज्ञानिकों, और निजी सैक्टर व नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने सोमवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें जल और सततता (sustainability) सम्बन्धी मुद्दों पर मौजूदा हालात की तस्वीर बेहतरी के लिये बदल देने के उपायों पर चर्चा हुई.
अगले मार्च में यूएन 2023 जल सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में ये बैठक आयोजित की गई.
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Stakeholder consultations for the Preparatory Meeting of the #UN2023WaterConference.
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यूएन महासभा के प्रमुख कसाबा कोरोसी ने बताया कि दुनिया एक बेहद अहम क्षण से गुज़र रही है.
उनके अनुसार, प्रतिक्रियात्मक उपायों के बजाय ये समय विज्ञान-आधारित, रूपान्तरकारी समाधानों को अपनाने का है.
महासभा प्रमुख ने प्रतिभागियों से एकजुटता, सततता और विज्ञान की दृष्टि से समाधानों पर चर्चा करने का आग्रह किया, जोकि यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिये मूलमंत्र भी है.
हंगरी के पूर्व राष्ट्रपति और जल व जलवायु नेताओं के समूह के सदस्य जेनोस ऐडर ने बैठक को सम्बोधित करते हुए सूचना एकत्र व साझा किये जाने पर बल दिया.
“हम इस जल संकट को नहीं रोक सकते हैं. हमें स्थिति-अनुरूप बदलाव लाने होंगे, और इसके लिये हमें डेटा व जानकारी की आवश्यकता है.”
यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट की स्टाफ़ प्रमुख मेलीसा पॉवेल ने CEO Water Mandate नामक पहल का उल्लेख किया, जोकि जल, साफ़-सफ़ाई और टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर व्यावसायिक सिद्धान्तों को एक साथ मिलाने पर केन्द्रित है. इस क्रम में, उन्होंने सार्वजनिक सैक्टर के साथ ज़्यादा सम्पर्क व बातचीत पर बल दिया है.
बेयर कम्पनी में सार्वजनिक मामलों व सततता से जुड़े विषय पर कार्यरत, माथियास बर्निंगर ने निजी सैक्टर के प्रतिनिधि के तौर पर अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में कम्पनियाँ अब जल सम्बन्धी मुद्दों पर सक्रिय हैं, चूँकि ये उनके व्यवसायों के लिये एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
उन्होंने कहा कि यह समय जल व जलवायु सूचना प्रणाली को तैयार करने के लिये समन्वित प्रयासों को आगे बढ़ाने का है, जिससे किसानों, तटरेखाओं पर रहने वाले लोगों व निर्णय-निर्धारकों को मदद मिलेगी.
युवा पैरोकार केज़ियाह थेरेसी गेरोसाना ने यूएन एजेंसियों से आग्रह किया कि उन्हें अपने बजट का कम से कम 50 फ़ीसदी जल व जलवायु परियोजनाओं के लिये आवण्टित करना होगा.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव पेटेरी टालस ने बैठक को अपने एक वीडियो सन्देश के ज़रिये सम्बोधित करते हुए चेतावनी दी कि जलवायु कार्रवाई में विफलता, सबसे बड़ा वैश्विक जोखिम है.
उन्होंने कहा कि समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों में अधिक निवेश किये जाने, अफ़्रीकी महाद्वीप पर मौसम विज्ञान पर्यवेक्षण प्रणालियों की कमियों को दूर किये जाने की आवश्यकता है.
इस सिलसिले में, सबसे कम विकसित देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों का भी ध्यान रखा जाना होगा.
जल से जुड़े विषयों पर विशेष दूत हैन्क ओविंक ने भी गोलमेज़ बैठक को सम्बोधित किया. नैदरलैंड्स और ताजिकिस्तान, यूएन 2023 जल सम्मेलन के सह-मेज़बान देश हैं.
विशेष दूत ओविंक ने कहा कि वास्तविक रूप से हालात में परिवर्तन लाने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अतीत के तौर-तरीक़ों में व्यापक बदलाव लाने होंगे, और इसके लिये राजनैतिक इच्छाशक्ति, समाज के स्तर पर इच्छाशक्ति दर्शाए जाने की आवश्यकता होगी.
बैठक के दौरान क्षमता विकास विषय पर उभरे उपायों में, जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग जैसा एक तंत्र स्थापित किये जाने पर भी चर्चा हुई. इससे नीति-निर्माताओं के लिये अपने निर्णयों को विज्ञान से प्राप्त ज्ञान पर आधारित करना सम्भव होगा.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) में जल विज्ञान शाखा में निदेशक अबू अमानी ने कहा, “उस ज्ञान को जल संस्कृति में बदलाव लाने के लिये इस्तेमाल करना होगा...चूँकि बहुत से लोग जल की महत्ता को गम्भीरता से नहीं लेते हैं.”
गोलमेज़ बैठक के दौरान किसी को भी पीछे ना छूटने देने, औपचारिक व अनौपचारिक जल शिक्षा प्रदान करने और इन प्रयासों को समर्थन देने के लिये वित्त पोषण सुनिश्चित किये जाने पर भी विचार-विमर्श हुआ.
जल विषयों पर विश्व युवा संसद की सदस्य कैरोलीना टोर्नेसी मैककिनोन ने डेटा व सूचना विषय पर चर्चा का संचालन किया.
इसके तहत, सर्वजन के लिये समय पूर्व चेतावनी पहल का उल्लेख हुआ, जिस पर मिस्र में अगले महीने आयोजित हो रहे यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन पर भी चर्चा होने की आशा है.
प्रतिभागियों ने जल इस्तेमाल और जल गुणवत्ता पर डेटाबेस व बेहतर सूचना की आवश्यकता पर बल दिया, जोकि सर्वजन के लिये उपलब्ध हो या सब्सक्रिप्शन की महंगी क़ीमत ना हो.
अनेक प्रतिभागियों ने लैंगिक परिप्रेक्ष्य का ध्यान रखने की अहमियत को रेखांकित किया. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के आँकड़े दर्शाते हैं कि महिलाएँ व लड़कियाँ जल का प्रबन्ध करने के लिये एक दिन में 20 करोड़ घंटे ख़र्च करती हैं.
इस वजह से उनके पास पढ़ाई-लिखाई करने और आय जुटाने वाली गतिविधियों का हिस्सा बनने की सम्भावना कम हो जाती है.
जल के लिये ‘जिनीवा हब’ के मार्क ज़िटून ने नवाचार पर हुए सत्र का संचालन किया, जिसमें संसदों में जल सम्बन्धी विषयों पर पैरोकारों को नियुक्त करने और उन्हें निर्णय-निर्धारकों के साथ जोड़ने पर चर्चा हुई.
कुछ प्रतिभागियों ने ग़ैर-पारम्परिक जल संसाधनों का उल्लेख करते हुए बताया कि जल पुनःप्रयोग के समाधान उन देशों में लागू नहीं किये जा सकते जहाँ पुनःप्रयोग के लिये जल ही उपलब्ध नहीं है.
इसके लिये, जल में खारेपन को दूर करने वाली टैक्नॉलॉजी और वायु से जल बनाने वाल तौर-तरीक़े शामिल हैं.
वित्त पोषण पर हुई गोलमेज़ चर्चा में जल को सहनक्षमता निर्माण व जलवायु परिवर्तन एजेंडा से जोड़ने पर बातचीत हुई. बताया गया है कि इस सदी में क़रीब 80 फ़ीसदी प्राकृतिक आपदाएँ, जल से जुड़ी हैं.
प्रतिभागियों ने इसके वित्तीय नतीजों के साथ-साथ जल व सततता क्षेत्र में बढ़ती दिलचस्पी की पृष्ठभूमि में निवेश बढ़ाने के उपायों पर विचार-विमर्श किया.