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घर में सोलर पैनल लगवाने के बाद गडवी कैलाशबेन को घर खर्चे में काफ़ी राहत मिली है.

भारत: प्रथम पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित गाँव से, हरित ऊर्जा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता का संचार

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घर में सोलर पैनल लगवाने के बाद गडवी कैलाशबेन को घर खर्चे में काफ़ी राहत मिली है.

भारत: प्रथम पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित गाँव से, हरित ऊर्जा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता का संचार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान, गुजरात में एक आदर्श परियोजना स्थल का दौरा किया, जिसे हाल ही में भारत का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित गाँव घोषित किया गया है. महासचिव ने नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिये ग्रामीणों की सराहना करते हुए कहा कि इससे न केवल समुदाय का जीवन बदलेगा, बल्कि इस तरह की पहलें, जलवायु कार्रवाई के लिये भी अहम हैं.

गुजरात के सौर ऊर्जा संचालित गाँव मोढेरा की निवासी 42 साल की विधवा, गडवी कैलाशबेन, अपनी अल्प कृषि आय से अपने परिवार की गुज़र-बसर करती हैं. सरकार की तरफ़ से, उनके घर में सौर ऊर्जा पैनल लगवाने के बाद उन्हें अपना घर ख़र्चे चलाने में काफ़ी राहत मिली है.

गडवी कैलाशबेन कहती हैं, "पहले जब सौर ऊर्जा नहीं थी, तो मुझे बिजली का बिल अदा करने के लिये भारी रक़म चुकानी पड़ती थी... सौर ऊर्जा आने से मेरा बिजली बिल अब शून्य हो गया है. अब मेरे घर में, फ़्रिज से लेकर वॉशिंग मशीन तक, सब कुछ सौर ऊर्जा से चलता है. मुझे अब एक रुपये का भी बिजली का बिल नहीं भरना पड़ता है.”
 
वो बताती हैं, “इससे होने वाली बचत की धनराशि, मैं अब बैंक में जमा कर देती हूँ. उस धन का उपयोग, मैं घरेलू ख़र्चों और अपने बच्चों की शिक्षा के लिये करती हूँ.”

 मोढेरा बिजली बिल शून्य से भी कम होने का मतलब है कि आशाबेन न केवल उस बिजली पर ख़र्च होने वाली धनराशि बचा रही हैं,  बल्कि उत्पन्न अतिरिक्त बिजली वापस ग्रिड को बेचने में भी सक्षम हैं, जिसके बदले में उन्हें धन मिलता है.
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मोढेरा बिजली बिल शून्य से भी कम होने का मतलब है कि आशाबेन न केवल उस बिजली पर ख़र्च होने वाली धनराशि बचा रही हैं, बल्कि उत्पन्न अतिरिक्त बिजली वापस ग्रिड को बेचने में भी सक्षम हैं, जिसके बदले में उन्हें धन मिलता है.

अक्षय ऊर्जा से आमदनी 

स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत में बदलाव, न केवल ग्रामीणों को बिजली बिल की चिन्ता किये बिना, बिजली चालित घरेलू उपकरणों के इस्तेमाल में सक्षम बना रहा है, बल्कि उनके लिये आय का एक साधन भी बन रहा है.

38 वर्षीय आशाबेन महेन्द्रभाई, अपने पति और दो बच्चों के साथ मोढेरा गाँव में रहती हैं. वह बताती हैं, “हम खेती का काम करते हैं और कृषि में बिजली का भारी बिल चुकाना पड़ता था. हमारे गाँव में सौर ऊर्जा पैनल लगने के बाद से अब हम काफ़ी बिजली बचा रहे हैं. पहले हमारा मासिक बिजली बिल लगभग 2000 रुपये आता था. अब यह माइनस में है."

बिजली बिल शून्य से भी कम होने का मतलब है कि आशाबेन न केवल उस बिजली पर ख़र्च होने वाली धनराशि बचा रही हैं, बल्कि उत्पन्न अतिरिक्त बिजली वापस ग्रिड को बेचने में भी सक्षम हैं, जिसके बदले में उन्हें धन मिलता है.

भारत के गुजरात प्रदेश के मोढेरा गाँव में, पिंगलसिंह करसनभाई मानते हैं कि इस परियोजना ने उन्हें न केवल बिजली बिल से मुक्ति दी है, बल्कि यह बचत उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी.
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भारत के गुजरात प्रदेश के मोढेरा गाँव में, पिंगलसिंह करसनभाई मानते हैं कि इस परियोजना ने उन्हें न केवल बिजली बिल से मुक्ति दी है, बल्कि यह बचत उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी.

वो बताती हैं, “जब प्रोजेक्ट टीम पहली बार सौर ऊर्जा का विचार लेकर हमारे पास आई, तो हमारी समझ में कुछ नहीं आया. इसलिये हमने इसे लगवाने से इनकार कर दिया. हमें सौर ऊर्जा के बारे में बहुत कम जानकारी थी. लेकिन टीम ने धीरे-धीरे टीम ने सौर ऊर्जा के फ़ायदे समझाए कि कैसे हम इससे बिजली और धन बचा सकते हैं, तब इसमें हमारी दिलचस्पी जागी."

मोढेरा गाँव के किसान, पिंगलसिंह करसनभाई गढवी और उनकी पत्नी सूरजबेन गढवी ने भी छह महीने पहले ही अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाए हैं.

पिंगलसिंह करसनभाई मानते हैं कि इस परियोजना ने उन्हें न केवल बिजली बिल से मुक्ति दी है, बल्कि यह बचत उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी.

वह कहते हैं, ''पहले हमारा बिजली बिल लगभग 3000 रुपये महीने का आता था. सौर ऊर्जा आने के बाद अब शून्य बिल आता है. अब हर महीने हमें 3000 रुपए की बचत हो रही है."

“इन सौर पैनलों से पूरे गाँव को लाभ हुआ है. स्कूल, सार्वजनिक संस्थान, तमाम लोग, गाँव में सौर ऊर्जा आने से लाभान्वित हुए हैं. मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता में 3000 रुपये बचा रहा हूँ. अब हमें अतिरिक्त बिजली की ज़रूरत नहीं पड़ती. पूरा घर सौर ऊर्जा से चलता है."

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, भारत के गुजरात प्रदेश में, सौर आदर्श गाँव की यात्रा के दौरान मोढेरा के ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए (अक्टूबर 2022)
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, भारत के गुजरात प्रदेश में, सौर आदर्श गाँव की यात्रा के दौरान मोढेरा के ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए (अक्टूबर 2022)

उन्होंने कहा, "यह बचत मानो हमारे बुढ़ापे की पेंशन हो गई है. हम इससे वाक़ई ख़ुश हैं."

उनकी पत्नी सूरजबेन मुस्कुराते हुए अन्य गाँवों से भी सौर ऊर्जा अपनाने की सिफ़ारिश करती हैं, “अगर यह सौर ऊर्जा, देश भर में स्थापित होती है, तो यह वास्तव में फ़ायदेमन्द होगा. ऐसा लगता है मानो साक्षात सूर्य भगवान हमें अपने प्रकाश के माध्यम से ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं. हमारे मोढेरा गाँव को जो लाभ मिला है, वह पूरे देश में पहुँचना चाहिये.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस मॉडल सोलर गाँव की यात्रा के दौरान मोढेरा के ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए, सरकार और ग्रामीणों के इस संयुक्त प्रयास की सराहना की.

उन्होंने कहा, "यहाँ पर, जहाँ 1000 साल पहले सूर्य का मन्दिर बनाया गया था, वहाँ अब सूर्य का नया मन्दिर स्थापित हुआ है, जो सौर ऊर्जा पर आधारित है. सच ये है कि सौर ऊर्जा से इस गाँव के लोगों का जीवन बदल रहा है, वो अधिक स्वस्थ, अधिक समृद्ध हो रहे हैं. लेकिन साथ ही, यह हमारे ग्रह को उस जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी योगदान मिल रहा है, जो वर्तमान में बेक़ाबू होकर विनाश पथ पर अग्रसर है.”

सूर्य देवता से प्रेरणा

भारत के गुजरात प्रदेश में, पूर्णत: सौर ऊर्जा संचालित सूर्य मन्दिर, जो पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर आधारित 3डी प्रोजेक्शन लाइट शो चलाता है.
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भारत के गुजरात प्रदेश में, पूर्णत: सौर ऊर्जा संचालित सूर्य मन्दिर, जो पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर आधारित 3डी प्रोजेक्शन लाइट शो चलाता है.

गुजरात के अहमदाबाद शहर से लगभग 97 किमी दूर मेहसाणा ज़िले के मोढेरा गाँव में ऐतिहासिक सूर्य मंदिर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण हज़ारों साल पहले, 23.6 डिग्री अक्षांश पर (कर्क रेखा) के पास किया गया था. 
 
गुजरात प्रदेश के ऊर्जा और पैट्रोकेमिकल्स विभाग में प्रमुख सचिव, ममता वर्मा कहती हैं, “इस परियोजना के पीछे विचार यही था कि चूँकि मोढेरा मंदिर, सूर्य देव का मंदिर है, इसलिये इस शहर और समुदाय की पूरी ऊर्जा, सौर ऊर्जा से आनी चाहिये."

यह परियोजना अपनी तरह की पहली ऐसी पहल है जहाँ ग्रामीणों को हरित ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर करने का लक्ष्य रखा गया है. 

भारत के गुजरात प्रदेश में, मोढेरा सूर्य मन्दिर में इलैक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के साथ 50 KW सोलर पार्किंग संरचना.
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भारत के गुजरात प्रदेश में, मोढेरा सूर्य मन्दिर में इलैक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के साथ 50 KW सोलर पार्किंग संरचना.

सौर ऊर्जा द्वारा संचालित सूर्य मंदिर में, अब पूर्णत: सौर ऊर्जा आधारित 3D लाइट शो होता है, इसका परिसर सौर ऊर्जा पर चलता है और पार्किंग क्षेत्र में विद्युत वाहन चार्जिंग बिन्दु भी दिये गए हैं.

अक्षय ऊर्जा का भंडारण भी

मोढेरा गाँव में घरों की छतों पर, सरकारी स्कूलों, बस-स्टॉप, उपयोगिता भवनों, कार पार्किंग और यहाँ तक कि सूर्य मंदिर के परिसर में भी सौर पैनलों की एक बड़ी श्रृँखला देखी जा सकती है. 

साथ ही, मोढेरा गाँव को, पास के सुजानपुरा गाँव में स्थित 6 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र का लाभ भी मिलता है. गाँव में केवल 1-2 मेगावॉट की खपत होती है, और अतिरिक्त बची ऊर्जा ट्रांसमिशन ग्रिड को दे दी जाती है.

भारत में गुजरात प्रदेश के, मोढेरा गाँव में सरकारी भवनों व स्कूलों को भी सौर ऊर्जा से बिजली मिलती है.
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भारत में गुजरात प्रदेश के, मोढेरा गाँव में सरकारी भवनों व स्कूलों को भी सौर ऊर्जा से बिजली मिलती है.

गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड (GPCL) के मुख्य परियोजना अधिकारी, राजेंद्र मिस्त्री बताते हैं, “इस पूरी परियोजना के तीन प्रमुख घटक हैं. एक है हमारी ग्राउंड माउंटेड 6 मेगावाट परियोजना. दूसरी 15 - मेगावाट बैटरी भंडारण प्रणाली और तीसरा, 1300 घरों की छतों पर लगाए गए एक किलोवाट के पैनल हैं.”

"हमने गाँव के घरों में जो 1000 पैनल लगवाए हैं, उनमें बनी बिजली का उपभोग पहले गाँव के लोग करते हैं, और फिर अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दे दी जाती है."

भारत सरकार और गुजरात सरकार द्वारा वित्त पोषित इस पूरी परियोजना की अनुमानित लागत, 97 लाख अमरीकी डॉलर है. ख़ास बात यह है कि यह गाँव,  शुद्ध अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने वाला पहला गाँव भी है.

भारत का गुजरात प्रदेश में, सौर ऊर्जा से संचालित गाँव मोढेरा में, घरों में 1 किलोवाट रूफ़टॉप सौर प्रणाली.
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भारत का गुजरात प्रदेश में, सौर ऊर्जा से संचालित गाँव मोढेरा में, घरों में 1 किलोवाट रूफ़टॉप सौर प्रणाली.

गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकल्प भारद्वाज कहते हैं, “यह भारत का पहला ऐसा गाँव है, जहाँ ग्रामीण जन रात के समय भी जिस ऊर्जा इस्तेमाल कर रहे हैं, वह भी सौर भाग से आ रही है."

भविष्य की राह

यह प्रदर्शन परियोजना, अक्षय ऊर्जा सम्बन्धित बाधाओं को हल करने और देश के अन्य भागों में इस तरह की योजनाएँ लागू करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है. 

विकल्प भारद्वाज कहते हैं, "इस तरह की परियोजनाएँ भारत के अन्य गाँवों और क़स्बों के लिये एक मॉडल के रूप में कार्य करती है. अन्य गाँव और क़स्बे, ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिये इस मॉडल को अपना सकते हैं."
 
जैसा कि आशाबेन कहती हैं, "मैं अन्य गाँवों को भी सौर ऊर्जा में बदलाव के लिये प्रोत्साहित करूँगी, क्योंकि यह धन बचाने से लेकर बिजली बचाने तक सभी पहलुओं में फ़ायदेमन्द है."

सुजानपुरा गाँव में स्थित 6 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र का लाभ भी मोढेरा को मिलता है.
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सुजानपुरा गाँव में स्थित 6 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र का लाभ भी मोढेरा को मिलता है.

प्रमुख विशेषताएँ

• 1300 से 1400 घरों में 1 किलोवाट रूफ़टॉप सौर प्रणाली.
• मोढेरा, समलानपुरा और सुजानपुरा गाँवों में विभिन्न सरकारी भवनों पर, 316 किलोवाट रूफ़टॉप सोलर पीवी सिस्टम.
• सुजानपुरा में 6 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड ग्राउंड माउंटेड सोलर पीवी पावर संयत्र.
• सुजानपुरा में 15 मेगावाट, 6 मेगावाट, बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली.
• मोढेरा केवल 1MW बिजली का उपयोग करता है, अतिरिक्त बिजली ग्रिड को भेज दी जाती है.
• उपभोक्ताओं के लिये स्मार्ट ऊर्जा मीटर की स्थापना.
• पूर्णत: सौर ऊर्जा संचालित सूर्य मंदिर, जो पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर आधारित 3डी प्रोजेक्शन लाइट शो चलाता है.
• सूर्य मंदिर के पास सेंसर आधारित स्मार्ट स्ट्रीट लाइटें.
• मोढेरा सूर्य मंदिर में इलैक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के साथ 50 KW सोलर पार्किंग संरचना.

इन सौर पैनलों से पूरे गाँव को लाभ हुआ है.
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इन सौर पैनलों से पूरे गाँव को लाभ हुआ है.