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भारत बहुपक्षवाद और टिकाऊ विकास में एक विश्वसनीय साझीदार, यूएन प्रमुख

भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री के साथ महासचिव की बैठक
UN Photo/Ishan Tankha
भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री के साथ महासचिव की बैठक

भारत बहुपक्षवाद और टिकाऊ विकास में एक विश्वसनीय साझीदार, यूएन प्रमुख

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपनी भारत यात्रा के दूसरे दिन गुरूवार को कहा है कि भारत बहुपक्षवाद को आगे बढ़ाने और संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास व शान्तिरक्षा अभियानों में एक विश्वसनीय साझीदार है. उन्होंने भारत द्वारा पर्यावरण के लिये जीवनशैलियाँ पहल (#LiFE) शुरू किये जाने के मौक़े पर तमाम मानवता से अपनी अर्थव्यवस्थाओं और जीवन-शैलियों में इस तरह से बदलाव करने की प्रतिज्ञा लेने को कहा जिससे सभी लोग पृथ्वी के संसाधन न्यायसंगत रूप से साझा कर सकें और केवल आवश्यकता के अनुसार ही ख़र्च करें.

उन्होंने गुजरात प्रदेश के केवड़िया में कहा कि ये पृथ्वी हमें से हर एक इनसान की मदद कर सकती है, बशर्ते कि हम इसके संसाधनों के साथ बुद्धिमानी और सम्मानजनक बर्ताव करें.

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उन्होंने कहा, "पृथ्वी ग्रह के लिये इस बेहद कठिन दौर में, हमें तमाम हाथों की मदद की दरकार है. इस समय पृथ्वी के सामने, जलवायु संकट से बड़ा कोई अन्य संकट नहीं है. मगर ये पर्यावरण के लिये जीवन शैलियाँ पहल - #LiFE, एक आवश्यक व आशापूर्ण सत्य को रेखांकित करने के लिये तैयार की गई है."

"हम सभी – व्यक्ति व समुदाय, पृथ्वी व हमारे साझा भविष्य के संरक्षण रूपी समाधान का हिस्सा बन सकते हैं और हमें बनना होगा."

यूएन महासचिव ने कहा कि हमें ये समझना होगा कि आवश्यकता से ज़्यादा उपभोग ही, तिहरी पृथ्वी आपदाओं की जड़ में है – जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता हानि और प्रदूषण.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि पर्यावरण के लिये जीवनशैलियाँ नामक ये पहल, पूरी दूनिया में फैल सकेगी.

अत्यधिक उपभोग

उन्होंने कहा कि हम अपनी जीवनशैलियाँ जारी रकने के लिये, लगभग 1.6 पृथ्वी के समान संसाधनों का उपभोग कर रहे हैं. और ये अति उपभोग, व्यापक विषमता के कारण और भी ज़्यादा जटिल हो रही है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने कहा कि सर्वाधिक धनी 1 प्रतिशत पक्षों का सामूहिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, निर्धनतम 50 प्रतिशत आबादी के बराबर है.

“इसलिये हमें अपनी आर्थिक व्यवस्थाओं को तत्काल बदलने की ज़रूरत है ताकि उन्हें पृथ्वी के अनुकूल बनाया जा सके – और उन्हें समान बना सकें, ताकि तमाम लोगों को विकसित व विकासशील देशों में ख़ुशहाल बनने का समान अवसर प्राप्त हो सके.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि हम में से हर एक को, टिकाऊ तरीक़े से रहन-सहन व अपने पर्यावरणीय पदचिन्हों में कटौती करने के साथ जीवन जीना सीखना होगा.

“इसके लिये ऊर्जा बचत करनी होगी और प्रदूषण व अपशिष्ट में कटौती करनी होगी. कम प्लास्टिक प्रयोग करनी होगी. स्वच्छ रसोई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना होगा. ज़्यादा टिकाऊ तरीक़े से भोजन करना होगा और खाद्य पदार्थों को व्यर्थ नहीं जाने देना होगा. साथ ही, अक्षय ऊर्जा का प्रयोग बढाना होगा.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि हमें अपनी आवाज़ बुलन्द करनी होगी और ये मांग करनी होगी कि हमारे नेतृत्वकर्ता स्वच्छ व हरित जीवनशैलियों और महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई का समर्थन करें.

यूएन प्रमुख ने कहा कि वो पर्यावरणीय अनुकूल नीतियों के लिये भारत की प्रतिबद्धता पर, व्यापक रूप में प्रोत्साहित महसूस कर रहे हैं. इन प्रयासों में, अक्षय ऊर्जा के प्रयोग व संसाधन निवेश में व्यापक बढ़ोत्तरी, व अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन को आगे बढ़ाना शामिल है.

जी20 की अध्यक्षता

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, भारत के गुजरात प्रदेश में, पर्यावरण के लिये जीवनशैलियाँ पहल #LiFE की शुरुआत के मौक़े पर अपनी बात कहते हुए.
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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, भारत के गुजरात प्रदेश में, पर्यावरण के लिये जीवनशैलियाँ पहल #LiFE की शुरुआत के मौक़े पर अपनी बात कहते हुए.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, विकसित देशों के संगठन जी20 की अध्यक्षता पर भारत को बधाई भी दी.

ग़ौरतलब है कि जी20 संगठन के देश, ग्रीनहाउस गैसों के वैश्विक कार्बन उत्सर्जन की 80 प्रतिशत मात्रा के लिये ज़िम्मेदार हैं. मगर इस संगठन के देश, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 80 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व भी करते हैं.

इसलिये, जी20 संगठन के पास, प्रकृति के विरुद्ध युद्ध समाप्त करने और ज़्यादा टिकाऊ रहन-सहन के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिये, पर्याप्त संसाधन और प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध हैं.

इस लक्ष्य का सबसे प्रमुख बिन्दु है – जीवाश्म ईंधन पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं से, अक्षय ऊर्जा पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं की तरफ़ बदलाव की तत्काल ज़रूरत.

उन्होंने कहा कि एक ऐसी क्रान्ति की तत्काल दरकार है जिसमें विकसित देश, उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को, बड़े पैमाने पर, वित्तीय और प्रौद्योगिकीय समर्थन दें ताकि वो भी ज़्यादा महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्रस्तुत कर सकें.

उन्होंने कहा कि विकसित देशों को इस बदलाव के तहत भारत जैसे देशों को, सार्थक वित्तीय और प्रौद्योगिकीय समर्थन मुहैया कराने के अपने संकल्पों पर अमल करना होगा. ,

“हमें अक्षय समाधानों को बढ़ावा देना होगा – मैं इस एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिये, भारत के साथ मिलकर काम करने के लिये आशान्वित हूँ.”

कॉप-27

यूएन प्रमुख ने आगामी जलवायु सम्मेलन कॉप-27 का सन्दर्भ दिया जो तीन सप्ताह के भीतर, ये सम्मेलन मिस्र के शर्म अल शेख़ में होने वाला है.

उन्होंने कहा कि ये जलवायु सम्मेलन, पेरिस जलवायु समझौते के तमाम स्तम्भों के इर्दगिर्द विश्वास पुनर्निर्माण व कार्रवाई बढ़ाने के लिये, एक महत्वपूर्ण राजनैतिक अवसर है.

ये स्तम्भ हैं – अनुकूलन, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना, वित्तीय प्रबन्ध और हानि व नुक़सान, और पेरिस में किये गए वित्तीय संकल्पों पर पूर्ण अमल.

यूएन प्रमुख ने कहा कि जैसा कि भारत द्वारा शुरू किये गए पर्यावरण के लिये जीवनशैलियाँ कार्यक्रम में निहित है कि हर एक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी है – और इसका मतलब है हर एक व्यक्ति, हर एक जगह, जिन्हें अपने नेतृत्वकर्ताओं के साथ अपनी आवाज़ें ये आग्रह करने के लिये बुलन्द करनी होंगी कि उन्हें महत्वाकांक्षी कार्रवाई करनी होगी, जिसकी बहुत ज़रूरत है.  

उन्होंने इस अवसर पर महात्मा गांधी की एक उक्ति का उल्लेख भी किया: “इस दुनिया में हर एक इनसान की आवश्यकताओं की पूर्ति के संसाधन मौजूद हैं, मगर लालच की पूर्ति के लिये नहीं.”

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की ये उक्ति हमारी मौजूदा स्थिति को पूरी तरह वर्णित करती है.

“दुर्भाग्य से, इस समय तो, आवश्यकता के बजाय, लालच ने दबदबा बना हुआ है. और हमें इस चलन का रुख़ पलटना होगा.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि इस पृथ्वी पर हम में से हर एक इनसान की ज़रूरतें पूरी करने की क्षमता मौजूद है, मगर हमें इसके संसाधनों के साथ बुद्धिमानी और सम्मान के साथ बर्ताव करना होगा.

“तो आइये, आज हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं और अपनी जीवनशैलियों को इस तरह बदलने की प्रतिज्ञा लेनी होगी जिससे पृथ्वी के संसाधन न्यासंगत रूप में साझा किये जा सकें और हम अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ही संसाधनों का उपभोग करें.”

यूएन महासचिव ने कहा कि आइये हम, सततता का एक नया दौर शुरू करने में, भारत पर अपना भरोसा टिकाएँ – जी20 की इसकी अध्यक्षता के सन्दर्भ में, और इसके इतिहास, इसकी संस्कृति व इसकी महत्वाकांक्षा के साथ.

यूएन प्रमुख ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक ख़ास भेंट भी की है और संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग के लिये, देश के लोगों को धन्यवाद भी दिया है.