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तुर्कीये: ‘दुष्प्रचार विधेयक’ के मानवाधिकार नतीजों पर चिन्ता

तुर्कीये के इस्तान्बूल शहर का एक नज़ारा.
Unsplash/Fatih
तुर्कीये के इस्तान्बूल शहर का एक नज़ारा.

तुर्कीये: ‘दुष्प्रचार विधेयक’ के मानवाधिकार नतीजों पर चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने तुर्कीये की संसद में, विभिन्न क़ानूनों में अनेक संशोधनों के एक पैकेज पर चिन्ता व्यक्त की है जिनसे, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होने का जोखिम है.

इनमें देश की अपराध दंड संहिता में वो संशोधन भी शामिल है जिसमें, डिजिटल मंचों पर “सार्वजनिक रूप से झूठी जानकारी के प्रसार” पर तीन वर्ष के कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हर्तादो ने शुक्रवार को जिनीवा में चेतावनी भरे शब्दों में कहा, “अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ‘सत्यपरक’ सूचना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तमाम तरह की जानकारी और विचारों पर लागू होती है, ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह के मंचों पर.”

“अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबन्ध, केवल वैध और आवश्यक आधारों पर ही लगाए जा सकते हैं.”

दुर्व्यवहार के लिये जगह

प्रवक्ता ने रेखांकित करते हुए कहा कि ये संशोधन, मनमानी, विषयपरक व्याख्या और दुर्व्यवहार के लिये और भी ज़्यादा जगह छोड़ेंगे.

उन्होंने कहा, “पहले से ही एक प्रतिबन्धकारी सन्दर्भ में, इन संशोधनों से, लोगों के जानने, सूचना प्राप्ति व प्रसार करने के अधिकारों के सीमित होने का जोखिम है, जबकि सिविल और राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि (ICCPR) के अनुच्छेद 19 में इनकी गारंटी है, तुर्की ने भी इस सन्धि पर हस्ताक्षर किये हुए हैं.”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोखिम

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने खेद प्रकट करते हुए ये भी कहा है कि ये क़ानून, सिविल सोसायटी और मीडिया प्रतिनिधियों के साथ सार्थक परामर्श किये बिना ही तैयार और पारित किये गए हैं.

कार्यालय ने तुर्कीये सरकार को ध्यान दिलाया कि इस तरह के व्यापक और प्रभावों वाला क़ानूनी व नियामक ढाँचा, वृहद सार्वजनिक चर्चा के बाद ही अपनाया जाना चाहिये.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता हर्तादो ने आग्रह करते हुए कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी प्राप्ति की स्वतंत्रता, सार्वजनिक और राजनैतिक जीवन में प्रभावशाली जन भागेदारी के लिये अनिवार्य है, और किसी भी लोकतंत्र में ये अत्याश्यक है.”

“हम तुर्कीये सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूर्ण सम्मान सुनिश्चित करने का आहवान करते हैं, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में गारंटी है.”