आपदा जोखिम न्यूनीकरण: केवल 50% देशों में ही, समय पूर्व चेतावनी की पर्याप्त व्यवस्था

आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर यूएन कार्यालय (UNDRR) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक नई रिपोर्ट में चेतावनी जारी की गई है कि विश्व के 50 प्रतिशत देशों में विभिन्न प्रकार के जोखिमों से रक्षा के लिये, समय पूर्व चेतावनी प्रणाली उपलब्ध नहीं है.
गुरूवार, 13 अक्टूबर, को 'आपदा जोखिम न्यूनीकरण के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' पर जारी यह रिपोर्ट दर्शाती है कि जलवायु परिवर्तन से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे विकासशील देशों के लिये आँकड़े और भी ज़्यादा ख़राब हैं.
सबसे कम विकसित देशों के समूह में आधे से भी कम देशों में और लघु द्वीपीय विकासशील देशों के समूह में केवल एक तिहाई देशों में बहु-जोखिम समय पूर्व चेतावनी प्रणाली है.
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UNDRR
गुरूवार को जारी रिपोर्ट, Global Status of Multi-Hazard Early Warning Systems - Target G, में जारी की गई यह चेतावनी नए आँकड़ों पर आधारित है.
आँकड़े दर्शाते हैं कि जिन देशों में चेतावनी प्रणाली की सीमित क्षमता है, वहाँ आपदाओं के दौरान मृत्यु दर, व्यापक कवरेज वाले देशों की तुलना में आठ गुना अधिक होती है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर जारी अपने वीडियो सन्देश में कहा, “दुनिया अग्रिम मोर्चे पर लोगों के जीवन व आजीविकाओं की रक्षा के लिये निवेश करने में विफल रही है.”
“जिनकी जलवायु संकट के लिये सबसे कम ज़िम्मेदारी है, वो सबसे बड़ी क़ीमत चुका रहे हैं.”
गुरूवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, सबसे कम विकसित देशों, लघु द्वीपीय विकासशील देशों और अफ़्रीकी देशों में सबसे अधिक निवेश की आवश्यकता होगी, ताकि समय पूर्व चेतावनी कवरेज को बेहतर बनाया जाए.
साथ ही, इससे आपदाओं से बचाव भी सम्भव हो सकेगा.
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये यूएन की विशेष प्रतिनिधि व कार्यालय प्रमुख मामी मीज़ूतोरी ने कहा, “यह रिपोर्ट तैयार करते समय, पाकिस्तान अब तक की सबसे ख़राब जलवायु आपदा से जूझ रहा है, और एक हज़ार 700 लोगों की मौत हो चुकी है.”
“इस संहार के बावजूद, समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों के अभाव में मृतक संख्या इससे कहीं अधिक रही होती.”
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह चिन्ताजनक है कि इस रिपोर्ट में बचाव उपायों में काफ़ी हद तक ख़ामियों को रेखांकित किया गया है, चूँकि विश्व भर में केवल 50 फ़ीसदी देशों में ही बहु-जोखिम समय पूर्व चेतावनी प्रणाली है.
“यह एक ऐसी स्थिति है, जिसे तत्काल बदले जाने की ज़रूरत है, ताकि ज़िन्दगियों, आजीविकाओं व सम्पत्तियों की रक्षा की जा सके.”
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव पेटेरी टालस ने सचेत किया कि रिकॉर्ड की जाने वाली आपदाओं की संख्या में पाँच गुना वृद्धि हो चुकी है, जिसकी एक वजह मानव-जनित जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम है.
“यह रुझान जारी रहने की सम्भावना है. समय पूर्व चेतावनी प्रणाली साबित हो चुका, एक ऐसा कारगर जलवायु अनुकूलन उपाय है, जिससे जीवन और धन की रक्षा होती है.”
“मगर हम कर सकते हैं और हमें बेहतर करना होगा. हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि समय रहते चेतावनी, सर्वाधिक निर्बलों तक पहुँचे और फिर उन्हें जल्द कार्रवाई में तब्दील किया जाए.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि WMO इसी इरादे से, सभी देशों के लिये समय पूर्व चेतावनी प्रणाली मुहैया कराने के लिये एक यूएन पहल की अगुवाई कर रहा है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गेटरेश ने सचेत किया कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा निरन्तर बढ़ रही है और जिससे दुनिया भर में चरम मौसम घटनाएँ गहन रूप धारण करती जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि जलवायु आपदाओं के कारण देशों व अर्थव्यवस्थाओं को जिस तरह से नुक़सान पहुँच रहा है, वैसा शायद पहले कभी नहीं हुआ.
बढ़ती आपदाओं की क़ीमत जीवन हानि और अरबों डॉलर के नुक़सान से चुकाई जा रही है. उन्होंने अपनी पाकिस्तान यात्रा का उल्लेख किया, जहाँ विनाशकारी बाढ़ के कारण विशाल पैमाने पर तबाही हुई है.
महासचिव ने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों व उनकी आजीविकाओं की रक्षा में निवेश में दुनिया विफल हो रही है.
इस क्रम में, उन्होंने अगले पाँच सालों में सार्वभौमिक समय पूर्व चेतावनी प्रणाली कवरेज की पुकार दोहराई, जिसके आधार पर समय रहते कार्रवाई से क्षति में कमी लाना और जीवन रक्षा कर पाना सम्भव है.
यूएन प्रमुख ने मिस्र में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप27) के दौरान, एक कार्रवाई योजना पेश किये जाने की बात कही है, जोकि इस पाँच वर्ष की समयावधि को वास्तविकता में बदलने पर केन्द्रित होगी.
उन्होंने देशों, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं व नागरिक समाज से समर्थन का आग्रह किया है.
महासचिव के अनुसार कॉप27 बैठक के दौरान, हानि व क्षति के विषय पर चर्चा एक बेहद अहम परीक्षा है, जिससे विकसित व विकासशील देशों में भरोसा बहाल किया जा सकता है.