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जानलेवा ताप लहरों के ख़तरे से निपटने के लिये समन्वित कार्रवाई का आग्रह

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में एक महिला अपनी चार साल की बेटी को गर्मी से बचाने की कोशिश कर रही है.
UNDP/Hira Hashmey
पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में एक महिला अपनी चार साल की बेटी को गर्मी से बचाने की कोशिश कर रही है.

जानलेवा ताप लहरों के ख़तरे से निपटने के लिये समन्वित कार्रवाई का आग्रह

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र में आपात राहत मामलों के प्रमुख ने आगाह किया है कि ताप लहरों के कारण हर वर्ष हज़ारों लोगों की मौत हो रही है, कारगर जलवायु कार्रवाई के अभाव में इस चुनौती से निपटने के लिये किये जाने वाले वैश्विक सहायता प्रयासों पर असर पड़ने का जोखिम है.   

यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि सर्वाधिक निर्बल समुदायों के लिये तत्काल वित्तीय सहायता उपलब्ध कराए के बिना, तापमान सम्बन्धी आपदाओं का आकार बढ़ता जाएगा, वे अधिक घातक होती जाएंगी.

“मानवीय राहत प्रणाली अभी इस स्तर के संकट से अपने आप निपटने के लिये तैयार नहीं है.”

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“बारम्बार होने वाली ताप आपदाओं के भविष्य से बचने के लिये, हमें विशाल और लक्षित निवेशों की आवश्यकता है, विशेष रूप से सर्वाधिक निर्बलों के लिये और हमें इसकी ज़रूरत अभी है.”

मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये यूएन कार्यालय (OCHA) और अन्तरराष्ट्रीय फ़ेडरेशन ऑफ़ रैड क्रॉस व रैड्र क्रेसेंट सोसाइटीज़ ने सोमवार को संयुक्त रूप से इस विषय में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.

चरम जोखिम

Extreme Heat, Preparing For Heatwaves Of The Future, नामक इस रिपोर्ट में उन विकासशील देशों से प्राप्त अनुशंसाएँ और सर्वोत्तम उपाय प्रस्तुत किये गए हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिये उपाय अपनाए है.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2003 में योरोपीय ताप लहर आशंका से कहीं अधिक, 70 हज़ार से ज़्यादा मौतों के लिये ज़िम्मेदार थी, जबकि रूस में 2010 की ताप लहर के दौरान 55 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई.

विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि विश्वसनीय आँकड़े दर्शाते हैं कि हर स्थान पर, ताप लहरें मौसम सम्बन्धी सबसे बड़ा जोखिम है, जिससे सर्वाधिक निर्बल व हाशिये पर धकेल दिये गए लोग प्रभावित होते हैं.

चरम ताप घटनाओं की ज़द में आने वालों में किसानों, प्रवासियों, श्रमिकों के अलावा, बुज़ुर्ग, बच्चे, गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाएँ भी हैं.

विश्व के साधन-सम्पन्न देश आने वाले वर्षों में आग की भट्टी जैसे तापमान से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं, मगर यह विकासशील देशों के लिये सम्भव नहीं है.

इन देशों में तापमान में वृद्धि, शहरीकरण और बढ़ती आयु के कारण अधिक असर होगा.

सर्वाधिक प्रभावित

रिपोर्ट के अनुसार आने वाले वर्षों में अत्यधिक गर्मी के कारण मृत्यु दर बहुत अधिक होने की आशंका है, जोकि इस सदी के अन्त तक कैंसर या सभी संक्रामक बीमारियों के सभी मामलों जितनी हो सकती है.

शहरों में अनौपचारिक बस्तियों और मानवीय राहत के लिये स्थापित किये गए शिविरों के लिये जोखिम अधिक है.

रिपोर्ट में ‘शहरी जलवायु परिवर्तन शोध नैटवर्क’ से प्राप्त पूर्वानुमानों को भी रेखांकित किया गया है. इसके अनुसार, वर्ष 2050 तक अत्यधिक गर्म परिस्थितियों में रहने वाले शहरी निर्धन लोगों की संख्या में 700 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

यह बढ़ोत्तरी सबसे अधिक पश्चिम अफ़्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में होने की सम्भावना है.

बताया गया है कि सहेल और दक्षिण व दक्षिण पश्चिम एशिया के कुछ क्षेत्रों असहनीय तापमान का असर अभी से उभरने लगा है.

ख़बरों के अनुसार, चरम ताप घटनाओं की संख्या बढ़ने से विशाल स्तर पर पीड़ा उत्पन्न होगी, जीवन-हानि होगी, आबादियों का विस्थापन होगा, और पहले से व्याप्त विषमता और अधिक गहरी होगी.