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यूएन आतंकवाद-निरोधक समिति की विशेष बैठक, भारत में

सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति के पदाधिकारी. बीच में हैं - चेयरपर्सन रुचिरा काम्बोज, जोकि संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि भी हैं.
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सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति के पदाधिकारी. बीच में हैं - चेयरपर्सन रुचिरा काम्बोज, जोकि संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि भी हैं.

यूएन आतंकवाद-निरोधक समिति की विशेष बैठक, भारत में

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-निरोधक समिति की एक विशेष बैठक, अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह में भारत में आयोजित हो रही है. उस सम्बन्ध में, इस समिति की चेयरपर्सन राजदूत रुचिरा काम्बोज ने एक प्रैस वार्ता में कहा है कि इस विशेष बैठक को, आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से उत्पन्न नए ख़तरों से सम्बन्धित, साक्ष्य आधारित नवीनतम शोध और हाल के घटनाक्रमों पर विचार करने के लिये एक अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.

आतंकवाद निरोधक समिति की इस विशेष बैठक की अध्यक्षता भारत के पास है और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज इस बैठक की मौजूदा अध्यक्ष हैं.

समिति की चेयरपर्सन राजदूत रुचिरा काम्बोज ने शुक्रवार, 7 अक्टूबर को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस विशेष बैठक में सदस्य देशों के साथ-साथ, प्रासंगिक साझीदार और महत्वपूर्ण हितधारक शिरकत करेंगे जो अपने-अपने क्षेत्र की वास्तविक विशेषज्ञता साथ लाएंगे.

उन्होंने कहा कि विशेष बैठक में होने वाली चर्चा, तीन मुख्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के त्वरित विकास पर केन्द्रित होगी.

इंटरनैट जिसमें सोशल मीडिया शामिल है. नवीन भुगतान प्रौद्योगिकियाँ व धन जुटाने के तरीक़े; और  मानवरहित वायु प्रणालियाँ जिनमें ड्रोन भी शामिल हैं. 

इन ख़तरों से निपटने के वैश्विक प्रयासों में मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान किये जाने के मुद्दों पर भी चर्चा होगी.

आतंकवाद के बदलते रूपों के प्रति सतर्क रहने और पुख़्ता जवाबी कार्रवाई की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है.
UNODC

ड्रोन का प्रयोग

आतंकवाद  निरोधक समिति की सूचना प्रौद्योगिकी मामलों पर संयोजक जैनिफ़र ब्रैमलेट ने ड्रोन सम्बन्धी मुद्दों पर कहा, “सदस्य देशों ने इस मुद्दे का सामना करने के लिये पहले अनेक क़दम उठाए हैं."

"निसन्देह, हवाई अड्डों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों के आसपास ‘नो फ़्लाई ज़ोन’ यानि उड़ान निषिद्ध क्षेत्र हैं. बेशक, कम्पनियों ने ख़ुद ही ऐसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ विकसित की हैं कि अगर किन्हीं निश्चित स्थानों पर ड्रोन उड़ते पाए जाते हैं, तो वो वहाँ स्वतः की निष्क्रिय हो जाएंगे.”

उन्होंने कहा कि ड्रोन का प्रयोग किस तरह किया जाए, इस बारे में अनेक प्रौद्योगिकीय क़दमों के साथ-साथ, बहुत से नीतिगत और विधाई क़दम भी उठाए गए हैं.

साथ ही, इस बारे में भी अनेक तरह की चर्चाएँ जारी है कि ड्रोन विमानों की बिक्री किस तरह होती है और कौन लोग उन्हें ख़रीद सकते हैं.

ये विशेष बैठक 28 अक्टूबर को मुम्बई में और 29 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित होगी.