रूसी नियंत्रण से छुड़ाए गए यूक्रेनी इलाक़ों में पहुँचाई गई मानवीय राहत

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों का कहना है कि यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र में, युद्ध के बीच उन इलाक़ों में राहत सामग्री पहुँचाई गई है, जिन्हें यूक्रेन ने हाल ही में, रूस के क़ब्ज़े से वापिस अपने नियंत्रण में लिया था.
ख़ारकीव इलाक़े में अब 73 हज़ार से अधिक लोगों को खाद्य सहायता मिल चुकी है, जोकि फिर से यूक्रेन के नियंत्रण में आए इलाक़े की लगभग आधी आबादी है.
मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिये यूएन कार्यालय (OCHA) के अनुसार, इस क्षेत्र में स्थित वे गाँव और बस्तियाँ, जोकि फिर से अब यूक्रेन सरकार के नियंत्रण में हैं, अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर पाने में असमर्थ हैं.
यूएन एजेंसी के प्रवक्ता येन्स लार्क ने कहा, “इन इलाक़ों में अनेक महीनों की भीषण लड़ाई के बाद ही हम यहाँ पहुँचे हैं.”
“ऐसा माना जाता है कि क़रीब एक लाख 40 हज़ार लोग अभी उन नगरों, गाँवों और बस्तियों में मौजूद हैं, जहाँ नियंत्रण बदला है. मगर, उनके पास भोजन, जल, गैस, बिजली व मेडिकल सेवाओं की बेहद सीमित सुलभता है.”
इज़िउम नगर में आठ हज़ार से अधिक लोग अब भी गुज़र-बसर के लिये पूरी तरह से मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
इलाक़े में बाज़ार और दुकानें या तो बर्बाद हो एई हैं या फिर बन्द हैं. नगर के मुख्य चौराहे पर परिवार एकत्र होकर अपनी सम्पत्ति व सामग्री की अदला-बदली कर रहे हैं, ताकि बुनियादी ज़रूरतें पूरी की जा सकें.
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वहीं, लूहांस्क क्षेत्र के नज़दीक स्थित कुपिएंस्क में फ़िलहाल चार हज़ार लोग ही रह रहे हैं, जबकि युद्ध से पहले वहाँ की आबादी 28 हज़ार थी.
यूएन एजेंसी के अनुसार, टकराव और लड़ाई वहाँ अक्सर हो रही है. इज़िउम और कुपिएंस्क में राहत क़ाफ़िलों के ज़रिये भोजन, जल, घर-परिवार के लिये आवश्यक सामान, दवाएँ और स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई गई हैं.
खाद सहायता के अलावा, यूएन एजेंसी ने साफ़-सफ़ाई, रसोई के लिये ज़रूरी सामान, सौर ऊर्जा लैम्प व हज़ारों कम्बल भी वितरित किये हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने शुक्रवार को मतदान के ज़रिये, रूस में मानवाधिकारों की स्थिति पर मानवाधिकार विशेषज्ञ की नियुक्ति की है.
इस सम्बन्ध में लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में 17 वोट और विरोध में छह वोट डाले गए, जबकि 24 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
रूस में हाल के दिनों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के दमन के आरोपों पर चिन्ता उपजी थी, जिसके बाद अनेक देशों ने एक विशेष रैपोर्टेयर की नियुक्ति किये जाने का समर्थन किया.
मगर, रूस ने इस नियुक्ति को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि यह एक ऐसे देश को दंडित किये जाने की कोशिश है, जोकि अपना स्वतंत्र एजेंडा लेकर आगे बढ़ रहा है.