अफ़्रीका में मानसिक स्वास्थ्य संकट, रोकथाम उपायों के लिये मुहिम
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने आत्महत्या की रोकथाम पर केन्द्रित एक सोशल मीडिया मुहिम शुरू की है, जिसके ज़रिये एक करोड़ लोगों तक पहुँचने का लक्ष्य रखा गया है.
इस मुहिम का लक्ष्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिये सरकारों और नीति-निर्धारकों से समर्थन में बढ़ोत्तरी और सार्वजनिक जागरूकता का प्रसार करना है.
एक अनुमान के अनुसार, आत्महत्या के लिये ज़िम्मेदार जोखिम कारकों में, क़रीब 11 फ़ीसदी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ हैं.
Around 11 people per 100,000 per year die by #suicide in the #African region – higher than the global average of nine per 100,000 people. Today, WHO launched a campaign to raise awareness & spur action for #SuicidePrevention in the region 🌍 ➡️ https://t.co/f5ltMBF5cp https://t.co/Sji0z0JVDs
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अफ़्रीका के लिये यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर मातशिदिसो मोएती ने कहा, “आत्महत्या से होने वाली हर मौत एक त्रासदी है.”
उन्होंने कहा आत्महत्या की रोकथाम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में प्राथमिकता के तौर पर नहीं समझा जाता है.
अफ़्रीका में लम्बे समय तक जारी रहने वाली बीमारियों और मानसिक व्याधि जैसी ग़ैर-संक्रामक परिस्थितियों का बोझ बढ़ रहा है, जोकि अक्सर आत्महत्या की वजह बनती हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने इसके मद्देनज़र, 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ के मौक़े पर ठोस संसाधन निवेश की पुकार लगाई है.
संगठन के अनुसार, अफ़्रीकी क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से, 11 करोड़ 60 लाख लोग प्रभावित हैं, जबकि 1990 में यह संख्या पाँच करोड़ 30 लाख थी.
बतया गया है कि विश्व भर में आत्महत्या के मामलों में शीर्ष 10 देशों में से छह अफ़्रीकी महाद्वीप में हैं.
अफ़्रीका में हर एक आत्महत्या के मामले के पीछे, आत्महत्या की कोशिश के लगभग 20 मामलों का अनुमान व्यक्त किया गया है.
बजट सीमितताएँ
यूएन एजेंसी के अनुसार गम्भीर हालात के बावजूद, अफ़्रीकी देशों की सरकारें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिये, प्रति व्यक्ति 50 सैण्ट्स (आधा अमेरिकी डॉलर) से भी कम राशि आबंटित करती हैं.
यह वर्ष 2017 में आबंटित राशि के पाँच गुना से अधिक है, मगर निम्न-आय वाले देशों के लिये अनुशन्सित प्रति व्यक्ति 2 डॉलर से फिर भी काफ़ी कम है.
इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को आम तौर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में शामिल नहीं किया जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अफ़्रीका में हर पाँच लाख बाशिन्दों के लिये केवल एक मनोचिकित्सक उपलब्ध है, जोकि यूएन एजेंसी की सिफ़ारिश से 100 गुना कम है.
मानसिक स्वास्थ्य कर्मचारी मुख्यत: शहरी इलाक़ों में काम करते हैं, और इस वजह से ग्रामीण समुदायों के पास अक्सर समर्थन का अभाव रहता है.
डॉक्टर मोएती ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य, सम्पूर्ण स्वास्थ्य व कल्याण के लिये बेहद अहम है, फिर भी हमारे क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों को, मानसिक स्वास्थ्य परिस्थितियों के लिये आवश्यक मदद नहीं मिल पाती है.”
“यह समय इन हालात को पूरी तरह बदल देने का है.”
“देशों द्वारा फ़िलहाल जारी प्रयासों को फिर से मज़बूत करना होगा, और उनका दायरा बढ़ाना चाहिये, ताकि अफ़्रीकी क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाई जा सके.”

WHO के सहायता प्रयास
यूएन एजेंसी अफ़्रीकी देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिये पहले से ही देशों को समर्थन मुहैया करा रही है.
इनमें ज़िम्बाब्वे में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिये सहायता भी है, जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता व सुलभता बढ़ाने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है.
केनया, युगांडा और ज़िम्बाब्वे में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये निवेश आवश्यकताओं का सर्वेक्षण किया गया है, और अब संसाधनों का प्रबन्ध करने के लिये पैरोकारी प्रयास आगे बढ़ाए जा रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन काबो वैर्डे और आइवरी कोस्ट में राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या मामलों के विश्लेषण के लिये समर्थन देता है, जोकि कारगर रोकथाम उपायों की दिशा में एक पहला क़दम है.
अगस्त 2022 में अफ़्रीकी स्वास्थ्य मंत्रियों ने WHO के एक क्षेत्रीय सम्मेलन में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये एक नई रणनीति पर सहमति जताई थी.
वर्ष 2030 के लिये स्थापित लक्ष्यों में सभी देशों से मानसिक स्वास्थ्य पर नीति या क़ानून बनाने का आहवान किया गया है.