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अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस: महात्मा गांधी के चिरकालीन मूल्यों का जश्न

अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौक़े पर यूएन मुख्यालय में आयोजित समारोहों के दौरान कबूतरों की उड़ान
UN Photo/Mark Garten
अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौक़े पर यूएन मुख्यालय में आयोजित समारोहों के दौरान कबूतरों की उड़ान

अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस: महात्मा गांधी के चिरकालीन मूल्यों का जश्न

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, 2 अक्टूबर को अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में कहा है कि हम इस दिन केवल महात्मा गांधी का जन्म दिवस ही नहीं मनाते हैं, बल्कि हम गांधी जी में मूर्त रूप लेने वाले मूल्यों का भी जश्न मनाते हैं जो दशकों से गूंजते रहे हैं. इनमें शान्ति, परस्पर सम्मान, और हर एक व्यक्ति के लिए अनिवार्य गरिमा शामिल हैं.

यूएन महासचिव ने साथ ही ये भी कहा कि खेद है कि, हमारी दुनिया इन मूल्यों पर अमल नहीं कर रही है.

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यूएन प्रमुख ने कहा, “हम ऐसा, लगातार बढ़ते लड़ाई-झगड़ों और युद्धों और जलवायु संकटों के ज़रिये होते देख रहे हैं. निर्धनता, भुखमरी और गहराती विषमताएँ. पूर्वाग्रह, नस्लभेद और बढ़ती ‘हेट स्पीच’. और नैतिक रूप से दीवालिया हो चुकी एक वैश्विक वित्तीय व्यवस्था, जो ग़रीबी उत्पन्न करती है और विकासशील देशों के लिए पुनर्बहाली कठिन बनाती है.”

“हम इन चुनौतियों को, गांधी जी के मूल्य अपनाकर हरा सकते हैं, और तमाम संस्कृतियों के साथ तालमेल से, और सीमाओं से भी परे जाकर काम करके, सभी के लिये एक बेहतर व ज़्यादा शान्तिपूर्ण भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.” 

उन्होंने कहा कि, “जन स्वास्थ्य, शिक्षा, सम्मानजनक रोज़गार व कामकाज और सामाजिक संरक्षण में संसाधन निवेश करके ऐसा किया जा सकता है, ताकि लोगों को गिरने से बचाया जा सके और जब वो गिरें तो सही समय पर उन्हें संभाला जा सके.”

“तमाम देशों के लिये वित्त तक पहुँच और क़र्ज़ में राहत मुहैया कराकर.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, विकासशील देशों की मदद करना भी ज़रूरी है, क्योंकि वो सहनसक्षम बुनियादी ढाँचों का निर्माण कर रहे हैं और अपनी आबादियों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सुरक्षित बनान रहे हैं, साथ ही पृथ्वी ग्रह का दम घोंटने वाले जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा अपनाने की तरफ़ भी बढ़त कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तमाम लोगों के अधिकारों व गरिमा की सुनिश्चितता व गारंटी देने होंगे, जिनमें सबसे निर्बल परिस्थितियों वाले लोग भी शामिल हों, और साथ ही, लड़कियों व महिलाओं को भी शामिल करना होगा, जिन्हें अक्सर अपने बुनियादी अधिकारों से भी वंचित होना पड़ता है.

यूएन महासचिव ने कहा कि समावेश, बहुसंस्कृतियों, बहु-धार्मिक और बहु-नस्लीय समाजों को बढ़ावा देना होगा, और उन्हें एक ख़तरे के रूप में पेश करने के बजाय, एक समृद्धि के रूप में पहचान देनी होगी.

यूएन प्रमुख ने कहा कि महात्मा गांधी के जीवन और उदाहरण से, एक ज़्यादा शान्तिपूर्ण और सहनशील विश्व की तरफ़ जाने वाला रास्ता नज़र आता है.

“आइये, इस रास्ते पर हम सभी साथ मिलकर चलें, एकजुटता के साथ, एक मानव परिवार के रूप में.”

अहिंसा भाषण श्रृंखला

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की एक अग्रणी हस्ती - महात्मा गांधी के जन्म दिवस - 2 अक्टूबर को हर वर्ष, अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है. 

न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, शुक्रवार, 30 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के सिलसिले में, मानवता की ख़ुशहाली में शिक्षा की भूमिका पर एक चर्चा का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, शुक्रवार, 30 सितम्बर को एक ‘अहिंसा भाषण श्रृंखला’ का आयोजन किया है, जिसकी वीडियो कवरेज यहाँ देखी जा सकती है. 

इस ‘अहिंसा भाषण श्रृंखला’ का आयोजन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन और यूनेस्को - शान्ति और टिकाऊ विकास के लिये महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान (UNESCO-MGIEP) ने किया.

इस चर्चा की थीम थी: मानवता की ख़ुशहाली में शिक्षा की भूमिका.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को एक प्रस्ताव – A/RES/61/271 पारित करके, अहिंसा का सन्देश प्रसार करने के लिये, ये दिवस मनाए जाने की प्रावधान किया था.

तब से हर वर्ष 2 अक्टूबर को, अहिंसा दिवस के अन्तर्गत शान्ति में अहिंसा की अहमियत को रेखांकित किया जाता है.

यूएन महासभा के प्रस्ताव में “अहिंसा के सिद्धान्त की सार्वभौमिक प्रासंगिकता” और “शान्ति, सहिष्णुता, समझ और अहिंसा की संस्कृति क़ायम करने” की इच्छा की भी सम्पुष्टि की गई है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में, 140 देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था.