ईरान: हिजाब प्रदर्शनकारियों पर हिंसक बल प्रयोग की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने मंगलवार को कहा है कि ईरान में अधिकारियों को हाल ही में पुलिस हिरासत में मौत का शिकार होने वाली महिला महसा अमीनी के लिये न्याय की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों के अधिकारों का पूर्ण सम्मान करना होगा.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जिनीवा में पत्रकारों से कहा है कि वो प्रदर्शनों पर हिंसक प्रतिक्रिया जारी रहने और संचार सम्बन्धी प्रतिबन्धों के बारे में बहुत चिन्तित है, जिनसे फ़ोन, इण्टरनेट और सोशल मीडिया भी प्रभावित हुए हैं.
🇮🇷#Iran: We are concerned by continued violent response by security forces to protests & communications restrictions following death of #MahsaAmini. Iranian authorities must respect rights to freedom of opinion, expression, peaceful assembly & association. https://t.co/8g4MwQUKMK pic.twitter.com/4M4sRLcUi2
UNHumanRights
ग़ौरतलब है कि 22 वर्षीय महसा अमीनी को राजधानी तेहरान में नैतिक पुलिस ने 13 सितम्बर को, हिजाब पहनने सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों में हिरासत में लिया था.
तीन दिन बाद 16 सितम्बर को पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी.
महसा अमीनी एक बन्दी केन्द्र में पहुँचाए जाने के कुछ ही देर बाद बेहोश हो गई थीं और प्रगाढ़ बेहोशी (Coma) में चली गई थीं.
अधिकारियों के अनुसार तीन दिन बाद “दिल का दौरा” पड़ने से उनकी मौत हो गई थी.
यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि ईरान सरकार, महसा अमीनी की मौत की परिस्थितियों की समुचित जाँच शुरू कराने में अभी तक तो नाकाम रही है.
महसा अमीनी की मौत के बाद, देश भर में हज़ारों लोग, सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं. सुरक्षा बलों ने अनेक स्थानों पर अनेक बार जानलेवा बारूद व गोलियों का प्रयोग किया है, और अनेक लोग हताहत हुए हैं, और बहुत से लोगों को हिरासत में लिया गया है.
रवीनी शमदासानी ने कहा कि संचार प्रतिबन्धों के कारण हताहतों और गिरफ़्तार किये गए लोगों की सटीक संख्या का बारे में सही जानकारी हासिल करना मुश्किल हो रहा है.
प्रवक्ता ने बताया कि ईरान के सरकारी मीडिया ने शनिवार तक, मारे गए लोगों की संख्या 41 बताई थी.
अलबत्ता, स्थिति पर निकट नज़र रखने वाले ग़ैरसरकारी संगठनों ने मृतक संख्या कहीं ज़्यादा बताई है, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी हैं. साथ ही कम से कम 11 प्रान्तों में सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं.
रवीनी शमदासानी ने कहा, “हम कुछ नेताओं की ऐसी टिप्पणियों पर गम्भीर चिन्तित हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों के बारे में अपशब्दों का इस्तेमाल किया है, और प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध सम्भवतः ग़ैर-ज़रूरी व ज़रूरत से कहीं ज़्यादा बल प्रयोग किया है.”
उन्होंने कहा, “केवल लोगों की सभा को तितर-बितर करने के लिये, कभी भी जानलेवा हथियारों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये. जन सभाओं के सन्दर्भ में ऐसे हथियारों का प्रयोग केवल ऐसे मामलों में ही होना चाहिये, जब जीवन के लिये कोई तत्काल ख़तरा या गम्भीर चोट पहुँचने का जोखिम हो.”
यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता ने कहा, “हम चिन्तित हैं कि संचार सेवाओं में व्यवधान के कारण लोगों के लिये, सूचना के आदान-प्रदान, आर्थिक गतिविधियाँ जारी रखने और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच बनाना मुश्किल हो रहे हैं.”
“इस व्यवधान से अनेक तरह के मानवाधिकार कमज़ोर होते हैं, मुख्यतः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार. हम अधिकारियों से इंटरनेट सेवाएँ पूरी तरह से बहाल करने का आहवान करते हैं.”
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने ईरान में मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन के लिये दंडमुक्ति के चलन पर भी गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है. इनमें सुरक्षा बलों द्वारा नवम्बर 2019, जुलाई 2021 और मई 2022 में, प्रदर्शनकारियों पर घातक बल प्रयोग के कारण हुई मौतों के मामले भी शामिल हैं.
प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा, “हमारा कार्यालय ईरानी अधिकारियों से अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार, शान्तिपूर्ण सभाएँ करने और संगठन बनाने के अधिकारों का पूर्ण सम्मान किये जाने का आहवान करते हैं, क्योंकि ईरान सिविल व राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि का सदस्य देश है.”