एसडीजी पर चर्चा: महिलाओं, डिजिटल कौशल और समावेशी, हरित विकास को गति
भारत में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, रिलायंस फाउण्डेशन व ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउण्डेशन ने, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, महासभा की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट सप्ताह के दौरान शुक्रवार को, मिलकर दो कार्यक्रम आयोजित किये, जिसमें एसडीजी प्राव्ति में भारत के अनुभवों पर विस्तार से चर्चा हुई और हरित विकास के लिये बेहतर वित्तपोषण का आहवान किया गया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 77वें सत्र में दुनिया भर के सभी क्षेत्रों के विचारक व नेता, न्यूयॉर्क में एकत्रित हुए. इस अवसर पर शुक्रवार को, भारत में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UN RCO) रिलायंस फाउण्डेशन, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउण्डेशन और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर, 'महिला, तकनीक और एसडीजी: परिवर्तन के रास्ते को दोबारा आकार देना' शीर्षक पर चर्चा आयोजित की.
The gender digital divide impedes the participation of women in social, economic, political & cultural realms. This is particularly true for women who are the most underserved, those with low literacy, low incomes, who live in a rural area or are disabled: @ShombiSharp #UNRC 🇮🇳 pic.twitter.com/Qgmw5zPXgx
UNinIndia
इस उच्च स्तरीय चर्चा में शामिल सभी विचारकों ने माना कि भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के ज़रिये समुदायों में बदलाव लाने वाली महिलाएँ, एसडीजी की प्रगति में तेज़ी लाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं.
प्रेरक कहानियाँ
रिलायन्स फाउण्डेशन और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउण्डेशन का - 'आकांक्षाएँ, पहुँच व साधन: तकनीक द्वारा महिलाओं के जीवन में बदलाव' नामक एक प्रकाशन भी इस आयोजन में जारी किया गया.
यह संग्रह, उन महिला नेताओं की कहानियाँ बयान करता है, जो तकनीकी परिवर्तन और सामाजिक आर्थिक समावेश के एजेण्ट के रूप में उभरी हैं और अपने समुदायों को बेहतर भविष्य के लिये मार्ग प्रशस्त करने हेतु, आईसीटी का उपयोग कर रही हैं.
प्रत्येक आपबीती एक महिला की नेतृत्व यात्रा का वर्णन करती है और यह पता लगाती है कि वो यात्रा एक डिजिटल सम्बल के रूप में कैसे विकसित हुई.
संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव व प्रौद्योगिकी पर दूत, अमनदीप सिंह गिल ने यह प्रकाशन जारी करते हुए कहा कि ये कहानियाँ "वास्तव में प्रेरणादायक हैं और इनसे पता चलता है कि जब आप लोगों, सही प्रक्रिया व तकनीक को एक साथ लाते हैं, तो कैसा जादू होता है."
जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैं, तो देश समृद्ध होते हैं
'महिला प्रौद्योगिकी और एसडीजी' पर चर्चा के दौरान, भारत के संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा कि महिलाएँ दीर्घकालिक विकास और अल्पकालिक संकट प्रतिक्रिया, दोनों में सबसे आगे हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में नाटकीय रूप से बढ़ती मांग के साथ भारत में अगले चार वर्षों में स्मार्टफोन एक अरब उपयोगकर्ता होने की उम्मीद है.
इस समय भारत में 54% महिलाओं के पास मोबाइल फ़ोन हैं, जबकि चार साल पहले ये आँकड़ा 45.9% था. स्वतंत्र रूप से बैंक खातों का संचालन करने वाली महिलाओं की संख्या, इस समय 53% से बढ़कर लगभग 80% हो गई, जिसमें 22.5% से अधिक भारतीय महिलाएँ, वित्तीय लेनदेन के लिये मोबाइल फ़ोन का उपयोग करती हैं.
वहीं रिलायन्स फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जगन्नाथ कुमार ने कहा, “विकास के लिये रिलायंस संगठन की प्रतिबद्धता 'वी केयर' के हमारे दर्शन में निहित है. हम भारत में एसडीजी प्राप्ति के लिये सभी क्षेत्रों को सक्षम बनाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं; महिला सशक्तिकरण से लेकर हरित विकास और सर्वजन के समान विकास तक.”
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउण्डेशन के अध्यक्ष, समीर सरन ने कहा, “वास्तविक प्रगति तभी सम्भव है जब हमारे प्रयास समावेशी, हरित, समुदायों के नेतृत्व वाले व कुशल नीतियों एवं नेतृत्व द्वारा उत्प्रेरित हों – यानि एक उभरती हुई, लेकिन विशिष्ट भारत की कहानी के सभी गुणों से ओत-प्रोत."
चर्चाओं में महामारी के दौरान अन्तरराष्ट्रीय सहयोग से सीखे गए सबक पेश किये गए और विशेष रूप से महिलाओं के लिये पहल में निवेश के रास्ते पर प्रकाश डालते हुए, लैंगिक असमानता से निपटने के लिये अधिक अन्तर-दृष्टिकोण का आहवान किया गया.
ज़िम्बाब्वे की प्रथम महिला, औक्सिलिया मंगगागवा ने अपने समापन भाषण में इस बात पर ज़ोर दिया कि वास्तविक परिवर्तन, महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाने से आता है.
न्यूजीलैण्ड की पूर्व प्रधानमंत्री और यूएनडीपी की पूर्व प्रशासक, हैलेन क्लार्क ने मानव विकास एजेण्डे को अपनाने के लिये, भारत की सराहना की. उन्होंने सम्पर्क साधनों तक महिलाओं की समान पहुँच सुनिश्चित करने पर बल दिया ताकि वे स्वास्थ्य जानकारी हासिल करने, व शिक्षा, सरकारी सेवाओं, वित्तीय सेवाओं आदि के लिये इसका उपयोग करते हुए समाज में पूर्ण भागेदारी निभा सकें.
जी20 के लिये महत्वपूर्ण हरित विकास
भारत के विदेश मंत्री, एस जयशंकर ने, भारत की अध्यक्षता में होने वाले G20 के सन्दर्भ में, 'जी 20 के लिये अति-आवश्यक: हरित विकास और सर्वजन का विकास' पर ज़ोर देते हुए कहा कि G20 फ़ोरम, विकासशील देशों की चिन्ताओं को सुनने का एक आदर्श निकाय है.
भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान अनेक देशों को इसमें हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित किया है, ताकि दुनिया की वास्तविक समस्याओं के बारे में बात करने के लिये, अधिक आवाज़ें मिलें, जिन्हें शायद वो जागरूकता या मान्यता हासिल ना हो, जिसके वे हकदार हैं. उन्होंने बहुपक्षवाद की आवश्यकता और सुधार के महत्व पर बल दिया.
वहीं ब्रिटेन में विकास, विदेश राष्ट्रमण्डल और विकास कार्यालय (एफ़सीडीओ) की राज्य मंत्री, विक्की फ़ोर्ड ने कहा कि विकास प्रयासों को जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, दुनिया भर में वित्त पोषण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, अभिनव वित्तपोषण तंत्र स्थापित किये जाने चाहिये.
उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने व महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया.
विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेण्डे ने कहा कि निजी क्षेत्र को जी20 एजेण्डा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिये और यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में मदद कर सकता है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.
उन्होंने हरित बदलाव को उत्प्रेरित करने में बहुपक्षीय विकास बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका भी उजागर की.
उच्च स्तरीय वक्ताओं और क्षेत्रों के विशेषज्ञों वाले यह दोनों कार्यक्रम, विकास पर विचार-विमर्श के लिये, तीन संगठनों की प्रतिबद्धता सुदृढ़ करते हैं. इनका मक़सद है - एसडीजी प्राप्ति के लिये दुनिया की प्रगति में तेज़ी लाने के लिये निरन्तर सम्वाद, नवीन भागीदारी और नए विचारो उत्पन्न करना.