अफ़ग़ानिस्तान: आपबीती - जबरन स्कूल से बाहर होने के बावजूद शिक्षा छोड़ने से इनकार
अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में तालेबान की सत्ता वापसी के बाद से, प्रशासन ने 12 से 18 साल की लड़कियों को घर पर ही रहने और उनकी शिक्षा रोकने का आदेश जारी किया था. संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक कार्यक्रम की मदद से लड़कियों को इस परिस्थिति में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यहाँ लड़िकयाँ अपनी साथियों को तब तक की शिक्षा के लिये तैयार कर रही हैं जब तक कि औपचारिक स्कूली शिक्षा में उनकी वापसी नहीं हो जाती.
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता तालेबान का क़ब्ज़ा होने के एक साल बाद, 17 वर्षीय मुरसल फ़सीही को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वो वापस स्कूल नहीं जा सकती हैं.
कभी एक समर्पित छात्रा रहीं फ़सीही माध्यमिक स्तर स्कूल की उम्र की सभी लड़कियों की, तरह देश के वास्तविक नेतृत्व द्वारा लगाए गए नियमों के कारण स्कूली शिक्षा में वापसी करने में असमर्थ हैं.
मुरसल फ़सीही महिलाओं और लड़कियों को सार्वजनिक जीवन में भाग लेने से प्रतिबन्धित करने जैसे निर्देशों की श्रृंखला का ज़िक्र करते हुए कहतीं हैं, "यह उचित नहीं है कि वो हमारे लिये निर्णय ले रहे हैं, हमें महरम (ऐसा पुरुष साथी जिसके साथ विवाह नहीं हो सकता) के साथ जाते हुए अपना चेहरा छिपाने का आदेश दे रहें हैं, और स्कूल जाना बन्द कर देना चाहिये."
मुरसल फ़सीही ने जुलाई 2021 में 11 वीं कक्षा के लिये अपनी अन्तिम परीक्षा देते हुए, अपने स्कूल को भीतर से अन्तिम बार देखा था.
तालेबान ने एक महीने बाद 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद, पूरे देश को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.
‘मुझे अपने दोस्तों, अपने शिक्षकों और अपने स्कूल की याद आती है'
मुरसल फ़सीही का कहना है कि उसके कुछ दोस्त अफ़ग़ानिस्तान छोड़ कर जाने में सक्षम रहे और अब विदेशों में अपनी शिक्षा जारी रख रहे हैं.
वो कहतीं हैं, “मुझे सच में अपने दोस्तों, अपने शिक्षकों और अपने स्कूल की बहुत याद आती है. मेरा स्कूल बहुत अच्छा था लेकिन अब मैं वहाँ नहीं जा सकती.”
अब एक डॉक्टर बनने के उनका सपना, सुनिश्चित नहीं है, लेकिन उनकी उम्मीद ख़त्म नहीं होगी. मुरसल फ़सीही, अपने समय का सही उपयोग करने और ख़ुद को उत्पादक महसूस करने के लिये, यूथ पीयर एजुकेटर्स नेटवर्क (Y-PEER) में शामिल हो गईं है.
Y -PEER दरअसल, संयुक्त राष्ट्र प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी - UNFPA द्वारा समर्थित और युवाओं के नेतृत्व में एक क्षेत्रीय कार्यक्रम है.
Y-PEER चुनौतियों का सामना कर रहे युवाओं के जीवन कौशल के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करता है. मुरसल फ़सीही गत जुलाई में एक प्रशिक्षण सत्र में शामिल हुईं और अब अफ़ग़ानिस्तान में Y-PEER के 25 प्रशिक्षकों में से एक हैं.
प्रशिक्षण ने मुरसल फ़सीही को विभिन्न मुद्दों पर जागरूक किया जिनका सामना युवा अफ़गान रोज़ करते हैं.
मुरसल फ़सीही को काबुल शहर में एक शिक्षित युवा महिला के रूप में यह मालूम नहीं था कि कितनी लड़कियाँ, विशेष रूप से ग़रीबी में या दूरस्थ इलाकों में रहने वाली युवा लड़कियाँ, बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था जैसे नकारात्मक अनुभवों से पीड़ित हैं.
निर्धनता व दरिद्रता में अभूतपूर्व वृद्धि
अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की सत्ता में वापसी के साथ आए आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप ग़रीबी में अभूतपूर्व वृद्धि ने इन चिन्ताओं की चर्चाओं को सामने लाया है.
बहुत से परिवारों को हताश होकर अपनी कम उम्र बेटियों की शादी करनी पड़ी ताकि उनकी देखभाल और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी से छुटकारा पा सकें.
मुरसल फ़सीही बताती हैं, "यह दुखद है क्योंकि कोई लड़की अगर ख़ुद बच्ची है तो वो अन्य बच्चे को इस दुनिया में कैसे ला सकती है और उनका पालन-पोषण कैसे कर सकती है?"
“इस उम्र में, हम सिर्फ़ बच्चे हैं. हमें अपनी शिक्षा जारी रखनी चाहिये, महान चीज़ों का लक्ष्य रखना चाहिये, हमारे लिये अभी शादी करने का समय नहीं है."
काले बादलों के छँटने का इन्तजार
औपचारिक शिक्षा के लिये, अलबत्ता मुरसल फ़सीही की इच्छा अनिश्चित काल के लिये रुकी हुई है, वह अन्य के लिये एक सहकर्मी शिक्षक होने में, एक नया अर्थ और उद्देश्य ढूंढती हैं.
मुरसल फ़सीही, युवाओं को कम उम्र में शादी और किशोर गर्भावस्था के नुक़सान के बारे में सिखाने के अलावा, बेहतर भविष्य के लिये अपनी आशा साझा करने में सक्षम हैं.
उम्होंने यूएन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी को बताया, "जब काले बादल छँटेंगें, तो हम एक उज्ज्वल सुबह देखेंगे."
मुरसल फ़सीही साथ ही ये भी कहती हैं, “मुझे उम्मीद है कि युवा लड़कियाँ हार नहीं मानेंगी. डरना और रोना तो ठीक है, लेकिन हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है.”
“मुझे उम्मीद है कि वे किसी भी तरह से सीखना जारी रखेगीं, इंशाअल्लाह, शायद कोई हमारी सहायता करेंगे, या स्कूल फिर से खुल जाएंगे." हमारी उज्ज्वल सुबह अवश्य आएगी.