म्याँमार में मानवाधिकारों के लिये 'हालात बद से बदतर, भयावह हुए'

म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने मानवाधिकार परिषद को बताया है कि देश में फ़रवरी 2021 में, सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक, किसी भी पैमाने से, हालात बद से बदतर हुए है.
उन्होंने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद को म्याँमार के हालात से अवगत कराते हुए कहा, “मैंने हर एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है कि, यूएन के सदस्य देश, इस संकट से सामूहिक रूप से निपटने के लिये जब तक अपना रास्ता नहीं बदलते, म्याँमार की जनता और अधिक पीड़ा भुगतगी रहेगी.”
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ के अनुसार, म्याँमार में बड़ी संख्या में मासूम लोगों के लिये परिस्थितियाँ बद से बदतर, और भयावह हुई हैं.
#HRC51 | Special Rapporteur on #Myanmar Tom Andrews updated the Human Rights Council on #WhatsHappeningInMyanmar: "Conditions have gone from bad to worse to horrific," he said. "Many in Myanmar have come to the conclusion that the world has forgotten them, or doesn’t care." pic.twitter.com/aOFEORuicF
UN_HRC
टॉम एण्ड्रयूज़ ने देश में विकट हालात की तस्वीर को बयान करते हुए कहा कि 13 लाख लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं. 28 हज़ार घर बर्बाद हो गए हैं, और गाँव के गाँव जला कर ख़ाक कर दिये गए हैं, और अपनी जान से हाथ धोने वाले निर्दोष लोगों की संख्या बढ़ रही है.
देश पर खाद्य संकट का साया मंडरा रहा है, एक लाख 30 हज़ार रोहिंज्या समुदाय के लोग, एक प्रकार से नज़दरबन्दी में शिविरों में रह रहे हैं. समुदाय के अन्य लोग भी नागरिकता के अभाव में भेदभाव का शिकार है और वंचित महसूस कर रहे हैं.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा, “मैं स्पष्टता से कहूँगा: म्याँमार के लोग, इस संकट पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया से गहरी निराशा में हैं.”
“वे हताश हैं और उन सदस्य देशों की वजह से क्रोधित हैं, जो इस अवैध व बर्बर सैन्य नेतृत्व को खड़ा करने के लिये काम कर रहे हैं, वित्तीय समर्थन, व्यापार, हथियार और वैधानिकता के आवरण के साथ.”
मानवाधिकार विशेषज्ञ टॉम एण्ड्रयूज़ ने क्षोभ व्यक्त किया कि वे उन देशों से निराश भी हैं, जो उनके लिये समर्थन तो व्यक्त करते हैं, मगर फिर अपने शब्दों को वास्तविकता में बदलने में विफल रहते हैं.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि म्याँमार की सेना, हर दिन, हत्या, यौन हिंसा, यातना और नागरिकों को निशाना बनाए जाने सहित, युद्धापराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों को अंजाम दे रही है. और पूरे देश में टकराव का दायरा फैल रहा है, चूँकि अब आम नागरिक सैन्य नेतृत्व के विरुद्ध हथियार उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि एक बड़ी मानवीय आपदा घटित हो रही है, चूँकि सैन्य नेतृत्व द्वारा विस्थापित आबादी व समुदायों तक राहत सामग्री को पहुँचने से रोका जा रहा है, जिन्हें वे लोकतंत्र के समर्थक के रूप में देखते हैं.
टॉम एण्ड्रयूज़ के अनुसार अन्तरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई विफल साबित हुई है. इसके मद्देनज़र, सदस्य देशों को अधिक शक्तिशाली ढंग से सैन्य नेतृत्व को प्राप्त होने वाले राजस्व, हथियारों को रोकना होगा.
साथ ही, म्याँमार की जनता और उनकी लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर हमला करने के अधिकार के इस्तेमाल से भी निपटा जाना होगा.
उन्होंने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि म्याँमार में बहुत से लोगों का मानना है कि विश्व ने उन्हें भुला दिया है, या फिर उनकी परवाह नहीं है.
“वे मुझसे पूछते हैं कि सदस्य देश उन सम्भव व व्यवहारिक उपाय अपनाने से क्यों मना करते हैं, जिनसे बड़ी संख्या में लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकती हैं. मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है.”
विशेष रैपोर्टेयर ने सदस्य देशों से आग्रह किया कि उन यथास्थितिवादी नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, जिनका कोई नतीजा नहीं निकल रहा है, और एक नए मार्ग पर आगे बढ़ा जाना होगा.
“अपने जीवन, अपने बच्चों और अपने भविष्य के लिये लड़ाई लड़ रहे लोगों के समर्थन में.”