शिक्षा वित्त पोषण, ‘शान्तिपूर्ण, समृद्ध व स्थिर समाजों के लिये अनिवार्य’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेश ने शनिवार को कहा कि विश्व भर में शिक्षा प्रणालियों को कम नहीं, बल्कि अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता है. यूएन प्रमुख और वैश्विक शिक्षा के लिये उनके विशेष दूत गॉर्डन ब्राउन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिक्षा में बेहतरी के लिये, वित्त पोषण के नवाचारी समाधानों की तलाश करने पर बल दिया.
शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव के लिये न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, 16 से 19 सितम्बर तक एक अहम शिखर बैठक हो रही है.
महासचिव ने कहा कि मौजूदा दौर में दुनिया अनेकानेक संकटों से जूझ रही है और सरकारों, व्यवसायों व परिवारों को हर स्थान पर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
Since the COVID-19 pandemic began, 2/3 of countries have cut their education budgets.But education is the building block for peaceful, prosperous, stable societies.- @antonioguterres at Joint Press Stakeout with @GordonBrown @TransformingEduWatch: https://t.co/hLSCGVnCi5
UN_Spokesperson
वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के शुरू होने के बाद से अब तक, दो-तिहाई से अधिक देशों ने अपने शिक्षा बजट में कटौती की है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया, “मगर शिक्षा शान्तिपूर्ण, समृद्ध व स्थिर समाजों की आधारशिला है. निवेश को घटाया जाना एक प्रकार से कुछ समय बाद, ज़्यादा गम्भीर संकटों के उत्पन्न होने की गारंटी के समान है.”
उन्होंने इसके मद्देनज़र ज़ोर देकर कहा कि शिक्षा व्यवस्थाओं में कम नहीं, बल्कि अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता है.
यूएन प्रमुख के अनुसार, सम्पन्न देश जहाँ घरेलू स्रोतों से शिक्षा में निवेश की व्यवस्था कर सकते हैं, अनेक विकासशील देशों को बढ़ती महंगाई की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
“उन्हें शिक्षा के लिये तत्काल समर्थन की दरकार है.”
यूएन प्रमुख ने शिक्षा के लिये अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण व्यवस्था (International Finance Facility) की भूमिका को रेखांकित किया है, जिसके ज़रिये निम्नतर-मध्य-आय वाले देशों के लिये वित्त पोषण सम्भव है.
इस समूह के देशों में क़रीब 70 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हैं और यहाँ बड़ी संख्या में विस्थापित व शरणार्थी समुदायों के बच्चे भी रहते हैं.
महासचिव ने पत्रकारों को बताया कि यह व्यवस्था कोई नया कोष नहीं है, बल्कि एक ऐसा तंत्र है जिससे बहुपक्षीय बैंकों के लिये संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि वे कम क़ीमत पर शिक्षा मद में वित्त पोषण प्रदान कर सकें.
“हमें आशा है कि यह राशि कुछ समय बाद बढ़कर 10 अरब डॉलर का हो जाएगी, जिससे युवजन की भावी पीढ़ी को शिक्षित किया जा सकेगा.”
“यह व्यवस्था मौजूदा उपायों के पूरक के तौर पर एक साथ मिलकर काम करेगी, जैसेकि शिक्षा के लिये वैश्विक साझीदारी, जोकि अनुदान और अन्य सहायता प्रदान करती है.”
यूएन प्रमुख ने वित्त पोषण व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये शिक्षा पर विशेष दूत और अन्य देशों व संस्थाओं को बधाई दी.
“मैं सभी अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं और परोपकारी संगठनों से इसे समर्थन देने करने का आग्रह करता हूँ.”
इससे पहले, यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने शनिवार को, शिखर बैठक के दूसरे दिन का उदघाटन किया, जिसे समाधान दिवस क़रार दिया गया है.
यूएन उपप्रमुख ने शिक्षा की कायापलट कर देने वाले बदलावों के नज़रिये से, समता व समावेशन, पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार और शिक्षा के नवाचारी तौर-तरीक़ों पर बल दिया.
“मगर, यह स्पष्ट है कि हमें ज़्यादा व बेहतर वित्त पोषण की आवश्यकता है. हम इस ताज़ा हवा के बिना यह नहीं कर सकते हैं, इसे ईंधन की आवश्यकता है.”
आमिना मोहम्मद ने शिक्षा को एक ऐसा विशाल पारिस्थितिकी तंत्र बताया है जिससे अनेक अन्य महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को समर्थन दिया जा सकता है, और इसलिये तत्काल कार्रवाई की जानी होगी.
“अब और पायलट परियोजनाएँ नहीं. हम पूरी तरह जानते हैं कि क्या किया जाना है. यह बस आगे बढ़ कर क़दम उठाने की बात है.”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, यूएन उपप्रमुख और महासभा अध्यक्ष, बैठक के दौरान, शिक्षा की कायापलट कर देने वाले बदलाव लिये वैश्विक एकजुटता का आहवान करेंगे.
सोमवार को यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, अन्य विश्व नेताओं के साथ जनरल असेम्बली सभागार में परिवर्तन उपायों का अपना ख़ाका प्रस्तुत करेंगे.