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सीरिया: देश को युद्ध से उबारने के लिये लोगों में 'एकजुटता सम्भव'

सीरिया के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में, लगभग 17 लाख विस्थापित लोग, 1,414 शिविरों में रह रहे हैं.
UNOCHA/Ahmad Alito
सीरिया के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में, लगभग 17 लाख विस्थापित लोग, 1,414 शिविरों में रह रहे हैं.

सीरिया: देश को युद्ध से उबारने के लिये लोगों में 'एकजुटता सम्भव'

शान्ति और सुरक्षा

सीरिया में संयुक्त राष्ट्र की उप विशेष दूत नजत रोश्दी ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि देश में तमाम लोगों के लिये एक शान्तिपूर्ण भविष्य बनाने की ख़ातिर, 11 वर्षों से जारी युद्ध को रोकने के प्रयासों में “प्रगति सम्भव” है. 

नजत रोश्दी ने बताया कि उन्होंने सिविल सोसायटी संवादों में, और महिलाओं के सलाहकार बोर्ड के ज़रिये प्रस्तुत किये गए , सीरियाई लोगों के दरम्यान खाइयों को पाटने की सम्भावना देखी है, जिससे हम सभी को झलकता है कि सीरियाई लोगों में बहुत से मतभेदों के बावजूद, एक साझा धरातल भी तलाश किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि सीरियाई लोग अपने देश को संकट से उबारने और देश के भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये एकजुट हो सकते हैं, मगर एक टिकाऊ और समावेशी राजनैतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ना, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय और उन पक्षों पर निर्भर है जिन्होंने युद्ध समाप्त कराने के लिये कूटनैतिक प्रयासों में संसाधन निवेश किये हैं. 

इन प्रयासों में सीरिया की तकलीफ़ें दूर करने और युद्ध विराम व टिकाऊ शान्ति की तरफ़ बढ़ना शामिल है.

अभी तक की कार्रवाइयाँ

सीरिया के लिये संयुक्त राष्ट्र की उप विशेष दूत नजत रोश्दी, सीरिया स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Jaclyn Licht
सीरिया के लिये संयुक्त राष्ट्र की उप विशेष दूत नजत रोश्दी, सीरिया स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

नजत रोश्दी ने सुरक्षा परिषद को अपना सम्बोधन, उनके कार्यालय द्वारा उठाए गए क़दमों की जानकारी देने के साथ शुरू किया, जो आम लोगों की लगातार जारी तकलीफ़ों को देखते हुए, विशेष दूत गियर पैडरसन के नेतृत्व में, शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये उठाए गए है.

उन्होंने बताया कि तत्काल चिन्ताएँ बहुत सारी हैं. पहली चिन्ता, नागरिक सुरक्षा और हिफ़ाज़त की, और एक ठोस युद्ध विराम लागू करने की है.

दूसरा मुद्दा, लोगों की लगातार जारी तकलीफ़ें हैं, जिन्हें सीरिया के आर्थिक पतन ने और ज़्यादा मुश्किल बना दिया है.

चिन्ता की तीसरी बात उन लाखों लोगों के बारे में जिन्हें मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया है, उनका अपहरण किया गया या जबरन ग़ायब कर दिया गया है, और लापता लोग भी इनमें शामिल हैं.

उन्होंने अन्तिम बिन्दु के रूप में उन हालात को रेखांकित किया जिनमें महिलाएँ और लड़कियाँ, लगातार जारी युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हैं. इनमें टिकाऊ शान्ति स्थापना में, पुरुषों के साथ और समान रूप से, सीरियाई महिलाओं की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के प्रयास भी शामिल हैं.

हिंसा समाप्ति ज़रूरी

नजत रोश्दी ने कहा कि जब तक हिंसा पर क़ाबू नहीं पाया जाता है और हिंसा को अन्ततः पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जाता है, तब तक कोई भी राजनैतिक प्रक्रिया, सार्थक या टिकाऊ रूप में आगे नहीं बढ़ सकती है.

उन्होंने दलील देते हुए कहा कि अगर हिंसा पर क़ाबू पा लिया जाता है तो मानवीय सहायता प्रयासों का दायरा बहुत व्यापक किया जा सकता है, और विस्थापन के लिये ज़िम्मेदार कारकों के समाधान भी तलाश किये जा सकते हैं.

“इन तमाम कारकों पर ध्यान देना, एक सुरक्षित, शान्तिपूर्ण और निष्पक्ष वातावरण तैयार करने के प्रयासों का हिस्सा है जिनमें एक राजनैतिक प्रक्रिया आगे बढ़ सके. सीरिया के आर्थिक पतन का समाधान निकालने के लिये भी कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है, जो अत्यधिक आवश्यकताओं की जड़ है.”

सहायता में सम्भव कटौती पर चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत मामलों के मुखिया मार्टिन ग्रिफ़िथ्स, सीरिया की स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत मामलों के मुखिया मार्टिन ग्रिफ़िथ्स, सीरिया की स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

संयुक्त राष्ट्र के राहत मामलों के मुखिया मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने राजदूतों को आगाह करते हुए कहा कि अगर अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं ने पर्याप्त और लचीले संसाधन मुहैया नहीं कराए गए तो सीरिया में जीवन रक्षक सहायता अभियानों के सामने, सहायता में व्यापक कटौती करने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा.

इस वर्ष के दौरान सीरिया में मानवीय सहायता अभियानों के लिये लगभग एक करोड़ 5 लाख डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की गई है, जिसमें शरणार्थियों की मदद और सहनशीलता बढ़ाने की योजनाएँ भी शामिल हैं.

मगर केवल मानवीय सहायता के लिये ही जितनी रक़म की दरकार है, उसका केवल एक चौथाई हिस्सा ही प्राप्त हुआ है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि लगभग एक करोड़ 46 लाख सीरियाई लोग, किसी ना किसी तरह की सहायता पर निर्भर हैं, जिनमें आधी से ज़्यादा संख्या बच्चों की है. दूसरी तरफ़ सर्दियाँ तेज़ी से नज़दीक आ रही हैं.

शान्ति को एक मौक़ा दें

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि सीरिया के लोगों को भी अपने लिये एक गरिमामय जीवन जीने का हक़ है, जो आपदा राहत पर निर्भर रहने से दूर हो - ऐसी ज़िन्दगी जिसमें बेहतर भविष्य के लिये आशा हो. आज सीरिया में, लाखों लोग, उस उम्मीद के बिना जीवन जी रहे हैं.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, देश में सहायता सामग्री पहुँचाने की भरसक कोशिश कर रहा है, और देश के युद्ध ग्रस्त पूर्वोत्तर इलाक़े में हर महीने लगभग 9 लाख लोगों की मदद की जा रही है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सीरिया में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान, हैज़ा फैलाव के कुछ मामलों पर भी चिन्ता व्यक्त की है. 

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि इससे ये झलकता है कि सीरिया के लोगों के लिये, संयुक्त राष्ट्र की निर्बाध सहायता का जारी रहना कितना अहम है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 के दौरान संयुक्त राष्ट्र परियोजनाओं से, अभी तक सीरिया में 40 लाख से ज़्यादा लोग लाभान्वित हुए हैं जिनसे पुनर्बहाली और सहनशीलता बढ़ाने में योगदान मिला है.