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यूएन महासभा का 77वाँ सत्र: दरकती दुनिया में आशा के संचार की पुकार

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने महासभा के 77वें सत्र में उच्चस्तरीय सप्ताह से पहले न्यूयॉर्क में मीडिया को सम्बोधित किया.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने महासभा के 77वें सत्र में उच्चस्तरीय सप्ताह से पहले न्यूयॉर्क में मीडिया को सम्बोधित किया.

यूएन महासभा का 77वाँ सत्र: दरकती दुनिया में आशा के संचार की पुकार

यूएन मामले

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन महासभा के 77वें सत्र में उच्चस्तरीय सप्ताह के दौरान आम बहस (General debate) से ठीक पहले, विश्व नेताओं से दरकती दुनिया के लिये आशा का संचार करने और जलवायु संकट से निपटने के लिये प्रयासों को मज़बूती देने की पुकार लगाई है. 

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 77वाँ सत्र मंगलवार, 13 सितम्बर को आरम्भ हुआ है, और जनरल डिबेट में हिस्सा लेने के लिये, विश्व भर से सरकार प्रमुख और राष्ट्राध्यक्ष न्यूयॉर्क पहुँचने की तैयारी में हैं.

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यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बुधवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि महासभा में अगले सप्ताह अपने भाषण में, उनका प्रयास - पृथ्वी के समक्ष मौजूद अनेक चुनौतियों को रेखांकित करने पर होगा. 

साथ ही, चिरस्थाई समाधानों के लिये ठोस अनुशंसाओं का ख़ाका प्रस्तुत किये जाने के साथ-साथ, कार्रवाई की पुकार भी लगाई जाएगी. 

महासचिव गुटेरेश ने अपने पाकिस्तान दौरे का उल्लेख किया, जहाँ तीन करोड़ से अधिक लोग विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आए हैं.

उन्होंने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा कि यह एक अस्त-व्यस्त जलवायु के स्थाई और हर जगह नज़र आने वाले प्रभावों की एक बानगी है, जिसका स्तर अकल्पनीय होगा. 

यूएन प्रमुख पुर्तगाल से हैं, और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बाढ़ प्रभावित इलाक़ा, उनके देश के आकार से तीन गुना अधिक है. 

उन्होंने बेबाक अन्दाज़ में कहा कि जलवायु संकट से निपटने के लिये वैश्विक प्रयास अपर्याप्त, अन्यायपूर्ण और मूल रूप से एक धोखा हैं.

“चाहे यह पाकिस्तान, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका, लघु द्वीपीय या सबसे कम विकसित देश हों, विश्व के सर्वाधिक निर्बल लोगों को बड़े उत्सर्जकों की दशकों की बेपरवाही की एक भयावह क़ीमत चुकानी पड़ रही हैं, जबकि इस संकट में उनकी कोई भूमिका नहीं है, ”

जी20 की भूमिका

यूएन प्रमुख ने विश्व के सबसे सम्पन्न देशों के नेताओं को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि जलवायु-सम्बन्धी उत्सर्जनों की अधिकांश मात्रा के लिये वही ज़िम्मेदार हैं.

वैसे तो इन देशों को भी रिकॉर्ड स्तर पर सूखा पड़ने, जंगल में आग लगने और बाढ़ आने की घटनाओं को झेलना पड़ा है, जवाबी जलवायु कार्रवाई बेहद कमज़ोर ही नज़र आई है.

महासचिव ने कहा कि यह विचारणीय है कि यदि पाकिस्तान के बजाय, जी20 समूह के एक-तिहाई देश जलमग्न होते तो फिर किस तरह की प्रतिक्रिया दिखाई देती. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित सिन्ध और बलूचिस्तान प्रान्तों में, प्रभावितों से उनका हाल-चाल पूछते हुए (सितम्बर 2022).
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित सिन्ध और बलूचिस्तान प्रान्तों में, प्रभावितों से उनका हाल-चाल पूछते हुए (सितम्बर 2022).

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी देशों को हर वर्ष अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता है, और विशाल उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार जी20 देशों को आगे बढ़कर रास्ता दिखाना होगा.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये कार्बन उत्सर्जन में कटौती को जारी रखना होगा.

महासचिव ने पाकिस्तान समेत जलवायु व्यवधानों का दंश झेल रहे अन्य देशों को बाढ़-सहनसक्षम बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होगी.

इसके लिये यह आवश्यक है कि जलवायु वित्त पोषण का कम से कम आधा हिस्सा, अनुकूलन व जलवायु सहनक्षमता विकसित करने के मद में व्यय किया जाए. 

यूएन प्रमुख के अनुसार, अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा इस धनराशि का प्रबन्ध किया जाना होगा. “तापमान में कमी कीजिये — बिल्कुल अभी. दुनिया में आज बाढ़ ना लाएँ; इसे कल ना डुबोएँ.”

अकाल का वास्तविक जोखिम

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ‘काला सागर अनाज पहल’ में मिली सफलता की सराहना की, जिसके ज़रिये यूक्रेन में युद्धग्रस्त बन्दरगाहों से खाद्य सामग्री व उर्वरक की आपूर्ति सम्भव हो पाई है.

रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही, वैश्विक खाद्य क़ीमतों में उछाल दर्ज किया गया था, मगर इस पहल के ज़रिये, इनमें कमी लाने में मदद मिली है. 

हालाँकि, यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि इसके बावजूद, इस वर्ष अकाल की अनेक घटनाओं का जोखिम है.  

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, तुर्की के इस्तान्बूल में, यूक्रेनी अनाज से भरे एक जहाज़ की रवानगी देखते हुए.
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, तुर्की के इस्तान्बूल में, यूक्रेनी अनाज से भरे एक जहाज़ की रवानगी देखते हुए.

कोविड-19 महामारी से पहले भी वैश्विक भूख उभार पर थी और हालात में तब से कोई सुधार नहीं हो पाया है. 

अनेक देशों में लोगों को बढ़ती महंगाई के कारण दैनिक गुज़र-बसर में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे निर्धनतम लोग व समुदाय सर्वाधिक प्रभावित हए हैं. 

महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के लिये दुनिया भर में प्रगति की दिशा उलट गई है. 

संवाद पर बल

यूएन प्रमुख ने बताया कि विश्व में भूराजनैतिक तनाव चरम पर हैं, और इस पृष्ठभूमि में जलवायु संकट को रोक पाने में विफलता से अनेकानेक प्रभाव होंगे.

उदाहरणस्वरूप, सामूहिक प्रवासन, विस्थापन की घटनाएँ और अस्थिरता बढ़ने की आशंका है.

महासचिव गुटेरेश ने लोकप्रियवादी राजनेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि विश्व के सर्वाधिक निर्धन व निर्बल लोगों के लिये स्तब्धकारी बेपरवाही दिखाई गई है. 

भेदभाव, ग़लत सूचना और नफ़रत भरे भाषणों व सन्देशों के ज़रिये लोगों को एक दूसरे के विरुद्ध लड़ाया जा रहा है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने कहा कि इस वर्ष की जनरल डिबेट को आशा प्रदान करने पर आधारित रखना होगा, और यह आशा संवाद व चर्चा के ज़रिये ही आ सकती है, जोकि संयुक्त राष्ट्र का धड़कता हुआ दिल है.