सोमालिया: भयावह भुखमरी से 5 लाख बच्चों को मौत का ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने मंगलवार को चेतावनी दी कि सोमालिया में भुखमरी के भयानक स्तर से, 5 लाख 13 हज़ार से अधिक बच्चों की जान जाने का जोखिम बना हुआ है, जो 2011 के अकाल की तुलना में एक लाख 73 हज़ार अधिक है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने, लगातार सूखे, उच्च खाद्य क़ामतों और संघर्ष से प्रभावित अति संवेदनशील समुदायों की मदद के लिये तत्काल वित्त पोषण के आहवान में, ज़ोर देकर कहा कि आपात स्थिति में कोई सुधार नहीं आ रहा है.
“What we're seeing here is an increase in the number of mothers who come w/ #children; a lot of very sad stories of mothers having lost children." @UNICEF’s @Manuel_Fontaine from #Somalia, where 513K children are at risk of deadly malnutrition⚠️ #ForEveryChild @unicefsomalia pic.twitter.com/g3ZxhREJzh
UNICEFAfrica
एफ़एओ के मुताबिक़, अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो "अगले कुछ हफ़्तों में सूखा पड़ेगा."
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार सूखे से सम्बन्धित मौतें "हो रही हैं”. विस्थापित परिवारों के शिविरों में दर्ज संख्या की तुलना में, दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में मौत का शिकार होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है.
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता, जेम्स एल्डर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2011 के अकाल के दौरान, 3 लाख 40 हज़ार बच्चों को गम्भीर कुपोषण के इलाज की ज़रूरत पड़ी थी, "आज यह संख्या 5 लाख 13 हज़ार है."
उन्होंने कहा "यह एक ऐसा दुःस्वप्न होने वाला है, जैसा इस सदी में पहले नहीं देखा गया है."
एफ़एओ के अनुसार, सोमालिया में लगभग 67 लाख लोग इस साल अक्टूबर और दिसम्बर (आईपीसी के चरण 3 या उससे ऊपर) के बीच, उच्च स्तर की तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे.
इसमें 3 लाख से अधिक वो लोग भी शामिल हैं जो देश के तिहरे आपातसंकट के कारण ”ख़ाली हाथ” रह गए हैं और उनके सूखे से प्रभावित होने की आशंका है.
सोमालिया में एफ़एओ के प्रतिनिधि, एटिने पीटर्शमिट कहा, “गड़रिये समुदायों में जहाँ चरवाहे, चारागाह की तलाश में रहते थे, "वे अब अपने पशुओं को मक्खियों की तरह मरते हुए देख रहे हैं".
पीटर्शमिट ने कहा, दक्षिणी सोमालिया में खाड़ी के बैदोआ शहर में भुरखरी के कारण अपने घरों को छोड़ने के लिये मजबूर लोगों की दर्दनाक स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "बार-बार मिल रही चेतावनियों से स्पष्ट है: अभी कुछ नहीं किया गया तो अगले कुछ हफ़्तों में अकाल की स्थिति पैदा हो जाएगी.”
“सूखे की स्थिति भयावह दर से फैल रही है; कई असफल बरसात के मौसमों के कारण, अधिकाधिक ज़िलों और क्षेत्रों को, खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तर का सामना करना पड़ रहा है.”
यूनीसेफ़ के जेम्स एल्डर ने, सोमालिया के सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र के परेशान करने वाले दृश्यों का वर्णन करते हुए, दोबारा अकाल होने से रोकने के लिये तुरन्त बड़े बदलाव करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, "पहले से ही बच्चे मौत का शिकार हो रहे हैं." "हमारे सहयोगी रिपोर्ट करते हैं कि कुछ स्थिरीकरण केन्द्र वास्तव में पूरी तरह से भरे हुए हैं और कई गम्भीर रूप से बीमार बच्चों का फ़र्श पर ही उपचार किया जा रहा है."
अधिक धन उपलब्ध होने की बदौलत, ज़्यादा गम्भीर और तीव्र कुपोषण का शिकार बच्चों को जीवन रक्षक भोजन दिया जा सकता है जो उन्हें स्वस्थ युवाओं की तरह बीमारियों से बचने की शक्ति मिल सकेगी.
जेम्स एल्डर ने कहा, "बात केवल पोषण की नहीं है, गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों में वास्तव में अच्छी तरह से पोषित लड़कों और लड़कियों की तुलना में दस्त व ख़सरा जैसी बीमारियों से मौत होने की सम्भावना 11 गुना अधिक है."
उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाक़ों में यह दोनों ही बीमारियाँ तेज़ी से "बढ़ रही हैं."
एफ़एओ के एटिने पीटर्शमिट के अनुसार, मानवीय सहायता में बढ़ोत्तरी हुई है और अप्रैल व जून 2022 के बीच प्रति माह औसतन 31 लाख लोगों तथा जुलाई एवं सितम्बर 2022 के बीच, प्रति माह 45 लाख लोगों तक राहत पहुँचाई गई है.
सोमालिया में डब्ल्यूएफ़पी के प्रतिनिधि और देश निदेशक, अल-ख़िदिर दलौम ने कहा, "हम जानते हैं कि 2011 की मौतों में से आधी मौतें अकाल की घोषणा से पहले हुई थीं."
"इस समय भी, हम दुर्गम के रूप में वर्गीकृत 15 क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं और यूनीसेफ़ के साथ मिलकर हम, पोषक भोजन व प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का विस्तार करने में लगे हैं."
जेम्स एल्डर ने कहा, जून में, यूनीसेफ़ ने बताया कि छह से 59 महीने की उम्र के 3 लाख 86 हज़ार बच्चों को गम्भीर कुपोषण के इलाज की आवश्यकता है."
"(आज) यह संख्या बढ़कर 5 लाख से अधिक, यानि 5 लाख 13 हज़ार हो गई है; यानि 33 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी. दूसरी तरह कहा जाए तो इसका मतलब है कि एक लाख 27 हज़ार अधिक बच्चे, मौत के जोखिम में हैं."