आपात हालात में मानवाधिकारों के लिये उपजे संकटों पर चर्चा
जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (Human Rights Council) का सत्र सोमवार को आरम्भ हुआ है, जिसमें यूक्रेन से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक, मानवाधिकारों के लिये उपजे संकट पर चर्चा होगी.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की कार्यवाहक प्रमुख नाडा अल-नशीफ़ ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन में आम आबादी के लिये पीड़ा बरक़रार है.
ग़ौरतलब है कि 200 से अधिक दिन पहले रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था, जोकि व्यापक पैमाने पर जान-माल की हानि और विस्थापन की वजह बना है.
In her global update to #HRC51, Acting @UNHumanRights Chief @NadaNashif detailed several pressing human rights concerns "requiring urgent action."🇦🇴🇰🇪🇧🇫🇧🇮🇨🇫🇹🇩🇬🇳🇸🇩🇸🇿🇪🇹🇱🇾🇲🇱🇲🇿🇸🇱🇸🇴🇹🇳🇭🇹🇨🇴🇪🇨🇭🇳🇧🇩🇨🇳🇮🇩🇮🇶🇳🇵🇵🇸🇮🇱🇸🇬🇻🇳🇾🇪🇧🇦🇷🇺🇹🇯🇺🇦🇪🇺Read her full STATEMENT ➡️https://t.co/BC5T8CnaQL pic.twitter.com/h9JVnil451
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मानवाधिकार परिषद के सत्र के दौरान 23 सितम्बर को, यूक्रेन पर स्वतंत्र जाँच आयोग की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें सम्भावित युद्धापराधों के आरोपों की पड़ताल की गई है.
युद्धग्रस्त देश में ईंधन की भीषण क़िल्लत है और खाद्य सुरक्षा के लिये ख़तरा उत्पन्न हुआ है.
कार्यवाहक उच्चायुक्त ने काला सागर में यूक्रेनी बन्दरगाहों के ज़रिये अनाज की आपूर्ति के लिये हुए समझौते का पूर्ण सम्मान किये जाने का आग्रह किया, जिसमें रूस, यूक्रेन, संयुक्त राष्ट्र और तुर्कीये शामिल हैं.
नाडा अल-नशीफ़ ने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि भोजन, ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचाया जाए.
उन्होंने सचेत किया कि रूस में यूक्रेन में युद्ध के आलोचकों को डराया-धमकाया जाना, पाबन्दी उपाय लागू किया जाना और प्रतिबन्ध, बुनियादी आज़ादी का हनन है.
कार्यवाहक उच्चायुक्त ने पत्रकारों पर दबाव डाले जाने, इंटरनैट अवरुद्ध किये जाने और अन्य प्रकार की सेंसरशिप की घटनाओं पर चिन्ता जताई.
मानवाधिकार परिषद की परम्परा के अनुरूप, कार्यवाहक उच्चायुक्त के सम्बोधन में अनेक अन्य वैश्विक चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया और लोगों की पीड़ाएँ दूर करने का आग्रह भी.
अफ़्रीकी देशों में हालात
बुर्कीना फ़ासो में सरकारी एजेंसियों के सुरक्षा अभियानों की वजह से मानवाधिकार उल्लंघन के अनेक मामले सामने आए हैं, जिनसे आम नागरिक प्रभावित हुए हैं.
उच्चायुक्त अल-नशीफ़ ने बुरूंडी में भी नागरिक समाज के लिये सिकुड़ते स्थान और सत्ताधारी पार्टी के युवा धड़े के नेता के उस बयान पर चिन्ता जताई है, जिसमें परेशानी पैदा करने वाले लोगों को मारने की बात कही गई है.
उन्होंने मध्य अफ़्रीकी गणराज्य की सरकार से आग्रह किया है कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि सुरक्षा बल और विदेशी निजी सैनिकों द्वारा तत्काल मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हमले रोके जाएँ.
हेती से होंडुरस तक
नाडा अल-नशीफ़ ने हेती में सशस्त्र गुटों द्वारा दुर्व्यवहारों पर क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि यह ज़रूरी है कि हिंसा पर लगाम कसने के लिये सरकार के प्रयासों को समर्थन दिया जाए.
वहीं, होंडुरस में उत्पीड़न और हत्याओं के मामलों के मद्देनज़र, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा के लिये वित्तीय समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया गया है.

अब तक, 120 पीड़ितों के मामले दर्ज किये जा चुके हैं, जिनमें से दो-तिहाई पर्यावरण कार्यकर्ता हैं.
उधर इराक़ में राजनैतिक गतिरोध के कारण बड़े पैमाने पर आम लोगों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में गुज़र बसर करनी पड़ रही है.
देश में आर्थिक संकट है, अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिये स्थान सिकुड़ रहा है और जलवायु परिवर्तन के गम्भीर प्रभाव भी नज़र आने लगे हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि तनाव अगस्त महीने के अन्त में चरम पर पहुँच गया, जिसके परिणामस्वरूप झड़पों में 34 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हुए.
कार्यवाहक उच्चायुक्त ने सभी पक्षकारों से हिंसा की रोकथाम करने और राष्ट्रीय सम्वाद प्रक्रिया में सभी समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है.

अफ़ग़ानिस्तान में बदतरीन हालात
अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर रिचर्ड बैनेट ने मानवाधिकार परिषद को देश में परिस्थितियों से अवगत कराया.
उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के नागरिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों के लिये विशाल संकट उत्पन्न हुआ है.
अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद से लड़कियों के लिये माध्यमिक स्तर पर स्कूली शिक्षा रोक दी गई है.
उन्होंने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि किसी भी अन्य देश में महिलाएँ व लड़कियाँ इतनी तेज़ी से सार्वजनिक जीवन से ग़ायब होने को मजबूर नहीं हुई हैं. इसके मद्देनज़र, उन्होंने जवाबदेही तय किये जाने की मांग की है.