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पाकिस्तान: जलवायु आपदा में भारी तकलीफ़ें, साथ ही असाधारण हौसले की मिसालें भी

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित सिन्ध और बलूचिस्तान प्रान्तों में, प्रभावितों से उनका हाल-चाल पूछते हुए (सितम्बर 2022).
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित सिन्ध और बलूचिस्तान प्रान्तों में, प्रभावितों से उनका हाल-चाल पूछते हुए (सितम्बर 2022).

पाकिस्तान: जलवायु आपदा में भारी तकलीफ़ें, साथ ही असाधारण हौसले की मिसालें भी

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को दोहराते हुए कहा है कि बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित पाकिस्तान में इस समय ज़रूरतों का दायरा बहुत विशाल है, और उन्होंने बहुत विशाल और तत्काल वित्तीय सहायता की पुकार लगाई है. उन्होंने इस जलवायु आपदा के बारे में जाकरूकता बढ़ाने के लिये, पाकिस्तान की अपनी दो दिन की यात्रा शनिवार को पूरी की है, जिस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का हवाई अवलोकन भी किया.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश सर्वप्रथम सिन्ध प्रान्त पहुँचे और उन्होंने वहाँ से बलूचिस्तान के लिये उड़ान भरते हुए बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित कुछ इलाक़ों का भी जायज़ा लिया. उन्होंने बलूचिस्तान में बाढ़ प्रभावित कुछ स्थानीय निवासियों से भी मुलाक़ात की.

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बहुत से लोगों के प्रियजन, घर और सबकुछ, इस बाढ़ में तबाह हो गया है. इस वर्ष मानसून की भारी बारिश, त्वरित बाढ़, भूस्खलन से उत्पन्न मुसीबतों ने मध्य जून से देश को अपनी चपेट में ले रखा है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में अभी तक 1,300 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करोड़ों लोग बेघर हैं, देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है, और बड़ी संख्या में मवेशी व फ़सलें भी बाढ़ में बह गए हैं.

उससे भी ज़्यादा लगभग 35 लाख बच्चों के लिये, शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया ठप हो गई है, जिनमें 61 शरणार्थी स्कूल भी शामिल हैं.

‘जलवायु संहार’

यूएन प्रमुख ने देश में अपनी मैदानी यात्रा पूरी करते हुए पत्रकारों से कहा, “मैने दुनिया में बहुत सी मानवीय आपदाएँ देखी हैं, मगर मैंने इस स्तर का जलवायु संहार शायद ही कहीं और देखा है."

"मैंने आज जो कुछ देखा है, उसे बयान करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं हैं: बाढ़ से प्रभावित इतना बड़ा इलाक़ा जो मेरे देश पुर्तगाल से तीन गुना बड़ा है.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एक तरफ़ तो अपार स्तर व दायरे की मानव तकलीफ़ें देखकर उन्हें सदमा पहुँचा है, वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने उच्च दर्जे की इनसानी सहनशीलता और हौसले की मिसालें भी देखी हैं – जो आपदा कर्मियों से लेकर अपने पड़ोसियों की मदद करने वाले आम लोगों तक में नज़र आए.

यूएन प्रमुख ने शनिवार सुबह, राजधानी इस्लामाबाद से सिन्ध प्रान्त के सक्कर इलाक़े का दौरा किया जिसमें उनके साथ देश के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी भी उनके साथ थे.

उनकी पाकिस्तान यात्रा शनिवार शाम को कराची में समाप्त हुई जब उन्होंने हवाई अड्डे पर विदेश मंत्री के साथ प्रैस वार्ता को सम्बोधित किया.

उसी समय उन्होंने यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR की उसी समय पहुँची सहायता सामग्री की एक खेप को भी देखा जो प्रभावित समुदायों में जल्द ही वितरित की जाएगी.

यूएन प्रमुख ने पाकिस्तान अधिकारियों द्वारा व्यापक राहत और बचाव कार्रवाई की भी सराहना की, जिनमें सिविल और सैन्य, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के अधिकारी शामिल रहे.

यूएन प्रमुख ने कहा, “मैं सिविल सोसायटी, मानवीय सहायता संगठनों और अपने यूएन सहयोगियों का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ जिन्होंने त्वरित गति से प्रयास शुरू किये हैं. मैं उन तमाम दानदाताओं को भी धन्यवाद कहता हूँ जिन्होंने पाकिस्तान की इस मुश्किल की घड़ी में, मदद करनी शुरू की है.”

उन्होंने कहा कि आवश्यकताओं का दायरा विशाल है, और “इसीलिये मैं पाकिस्तान के लिये विशाल व तत्काल वित्तीय सहायता का आग्रह करता हूँ. और ये केवल एकजुटता व उदारता का सवाल नहीं है. यह न्याय का एक सवाल है.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ़, देश के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में से एक बलूचिस्तान प्रान्त में प्रभावितों से मुलाक़ात करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ़, देश के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में से एक बलूचिस्तान प्रान्त में प्रभावितों से मुलाक़ात करते हुए.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने यूएन महासचिव का शुक्रिया अदा किया और कहा कि यूएन प्रमुख ने पाकिस्तान की मुश्किल की घड़ी में ये दौरा किया, और बाढ़ से हुई विशाल तबाही का ख़ुद जायज़ा लिया. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एक तरफ़ तो ये बात है कि ये संकट पाकिस्तान का उत्पन्न किया हुआ नहीं, बल्कि इस संकट का मुक़ाबला करने के लिये, प्रयास वैश्विक होने चाहिये.

मानवीय सहायता सुविधाएँ

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने पाकिस्तान के विभिन्न इलाक़ों में मानवीय सहायता सुविधाएँ (HRF) स्थापित की हैं जो सामरिक ठिकानों पर गोदामों का एक नैटवर्क है, और ये पाकिस्तान सरकार के अनुरोध पर स्थापित किया गया है. देश में ऐसे आठ ठिकाने हैं जिनका मक़सद सभी प्रान्तों में विकेन्द्रीकृत राहत सहायता मुहैया कराना है. 

पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडैंट ओऑर्डिनेटर जूलियेन हरनीस ने यूएन न्यूज़ को बताया कि ये मानवीय सहायता सुविधाएँ (HRF) इस आपदा में बहुत मददगार और अहम हैं: अगर ये गोदाम और उनमें सहायता सामग्री के भंडार नहीं होते तो, लोगों को कई महीनों बाद मदद मिल पाती.

उनका कहना है कि इस आपदा का दायरा बहुत विशाल है, मगर उनकी राय में, भविष्य के लिये, “हमें ये सोचने की ज़रूरत है कि सबसे पहले सहायता मुहैया कराने वालों के साथ किस तरह बेहतर काम किया जाए, स्थानीय सरकारों, संगठनों, सिविल सोसायटी के साथ मिलकर, किस तरह बेहतर काम किया जाए... इसलिये हमें भविष्य के लिये भिन्न तरीक़े अपनाने होंगे.”

किसी और की करनी का ख़मियाज़ा

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ़, देश के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में से एक बलूचिस्तान प्रान्त में प्रभावितों से मुलाक़ात करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ़, देश के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में से एक बलूचिस्तान प्रान्त में प्रभावितों से मुलाक़ात करते हुए.

एंतोनियो गुटेरेश ने कराची में कहा कि मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न जलवायु परिवर्तन से, ना केवल पाकिस्तान में तूफ़ान और प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ रहे हैं, मगर चाड, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका और अनेक अन्य इलाक़ों में भी सूखा व अकाल के जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं.

“इन सभी देशों ने ये समस्या उत्पन्न नहीं की है- मगर उन्हें ख़मियाज़ा भुगतना पड़ रहा है.”

उन्होंने याद करते हुए कहा कि जी20 देश, आज के कुल कार्बन उत्सर्जन की 80 प्रतिशत मात्रा के लिये ज़िम्मेदार हैं – 1 प्रतिशत, 80 प्रतिशत – और विकसित देश पूरे इतिहास में, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की विशाल मात्रा के लिये ज़िम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा, “यहाँ पाकिस्तान से, मैं एक स्पष्ट बिन्दु को रेखांकित करना चाहता हूँ: धनी देश, पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों को इस तरह के प्राकृतिक संकटों से उबारने में मदद करने के लिये ज़िम्मेदार हैं, जोकि दुर्भाग्य से भविष्य में घटित होते रहेंगे, साथ ही उन पर अनुकूलन व जलवायु प्रभावों के विरुद्ध सहनक्षमता विकसित करने की भी ज़िम्मेदारी है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान एक ऐसी मुसीबत का ख़मियाज़ा अदा कर रहा है जो अन्य ने उत्पन्न की है.

“आज ये पाकिस्तान है. कल आपका देश हो सकता है, आप जहाँ कहीं भी रहते हैं...”