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चीन शिंजियांग में, 'गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन' के लिये ज़िम्मेदार: यूएन मानवाधिकार रिपोर्ट

यूए मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने, मई 2022 में अपनी चीन यात्रा के दौरान शिन्जियांग के उईगर स्वायत्त क्षेत्र का भी दौरा किया.
OHCHR
यूए मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने, मई 2022 में अपनी चीन यात्रा के दौरान शिन्जियांग के उईगर स्वायत्त क्षेत्र का भी दौरा किया.

चीन शिंजियांग में, 'गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन' के लिये ज़िम्मेदार: यूएन मानवाधिकार रिपोर्ट

मानवाधिकार

चीन के तथाकथित शिंजियांग उवीगर स्वायत्त क्षेत्र (XUAR) के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय -OHCHR की एक बहु प्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा गया है कि वहाँ उवीगर और “अन्य मुख्यतः मुस्लिम समुदायों” के मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन हुए हैं.

ये रिपोर्ट यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट की, मई 2022 में चीन यात्रा के सन्दर्भ में, बुधवार को प्रकाशित की गई है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि “लगातार उत्पीड़न, या दुर्व्यवहार किये जाने, जिसमें जबरन चिकित्सा उपचार किया जाना भी शामिल है और बन्दीकरण की प्रतिकूल परिस्थितियों के आरोप ठोस हैं, और साथ ही यौन व लिंग आधारित हिंसा की व्यक्तिगत घटनाओं के आरोप भी सही है.”

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने रिपोर्ट के अन्त में, कड़े शब्दों वाले आकलन में कहा है कि उवीगर और अन्य लोगों के विरुद्ध मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाए जाने का दायरा, “व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से आनन्द लिये जाने वाले बुनियादी अधिकारों पर प्रतिबन्धों व उनसे वंचित किये जाने के सन्दर्भ में, अन्तरराष्ट्रीय अपराध कहे जा सकते हैं, विशेष रूप से मानवता के विरुद्ध अपराध.”

सघन समीक्षा

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यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट, ऐसे दस्तावेज़ों की सघन समीक्षा पर आधारित है, जो इस समय इस कार्यालय में उपलब्ध हैं, और इन दस्तावेज़ों की विश्वसनीयता, मानक मानवाधिकार प्रक्रिया के अनुसार जाँची-परखी गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, “सरकार के ख़ुद के क़ानूनों, नीतियों, आँकड़ों और वक्तव्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है."

"मानवाधिकार कार्यालय ने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान चीन से जानकारी प्राप्त करने का अनुरोध किया और संवाद व तकनीकी आदान-प्रदान क़ायम रखा.”

यह रिपोर्ट यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट का, इस पद पर चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अन्तिम दिन, 31 अगस्त को प्रकाशित की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सरकार की इस दलील के सन्दर्भ में मानवाधिकारों का हनन हुआ है कि वो उवीगर अल्पसंख्यकों के बीच मौजूद आतंकवादियों को निशाना बना रही है, जिसके लिये ऐसी रणनीति का प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें तथाकथित व्यावसायिक शैक्षिक और प्रशिक्षण केन्द्रों (VETCs) अर्थात, पुनर्शिक्षा शिविरों का प्रयोग किया जा रहा है.

एक दूसरे में गुँथे हुए सिलसिले

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय का कहना है कि शिंजियांग में हाल के वर्षो में सरकार की नीति के कारण, “व्यापक दायरे वाले मानवाधिकारों पर अति गम्भीर व ग़ैर-ज़रूरी प्रतिबन्धों के आपस में गुँथे हुए सिलसिलों का रास्ता निकला है.”

मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि अगर चीन की ये बात मान भी ली जाए कि VETC व्यवस्था को दायरे में कम कर दिया गया है या उसे समेट दिया गया है, तो भी इस व्यवस्था को सम्भव बनाने वाले क़ानून व नीतियाँ अब भी मौजूद हैं, जिनके परिणाम, और ज़्यादा संख्या में लोगों को क़ैद में डालने के रूप में हुए हैं.

कार्यालय के अनुसार, वर्ष 2017 से ही लोगों को मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाने और दुर्व्यवहार के ऐसे ही अन्य तरीक़े, उवीगर और अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध, व्यापक दायरे वाले भेदभाव की पृष्ठभूमि के साथ लागू किये जाते हैं.

अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय का कहना है, “इन तरीक़ों में मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं पर दूरगामी, मनमाने ढंग से और भेदभावपूर्ण प्रतिबन्ध लगाना शामिल है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और मानकों का उल्लंघन है.”

साथ ही इनमें धार्मिक स्वतंत्रता और निजता व आन्दोलन के अधिकारों पर प्रतिबन्ध भी शामिल हैं.

रिपोर्ट कहती है कि उससे भी ज़्यादा, शिंजियांग क्षेत्र में चीन सरकार की नीतियों ने सीमाएँ पार कर दी हैं, परिवारों को अलग कर दिया है, सम्पर्क तोड़ दिये हैं, और विदेशों में रहने वाले उवीगर लोगों के विरुद्ध उत्पीड़न व धमकियों के नए तरीक़े अपनाए हैं. विदेशों में रहने वाले उवीगर लोगों ने शिंजियांग के हालात के बारे में ये जानकारियाँ दी हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने कहा है कि ये सुनिश्चित करना चीन सरकार का ही प्राथमिक कर्तव्य है कि उसके तमाम क़ानून और नीतियाँ, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून से मेल खाते हों और मानवाधिकार उल्लंघन के किन्हीं भी आरोपों की त्वरित जाँच कराई जाए, दोषियों की जवाबदेही निर्धारित की जाए, और पीड़ितों को न्याय व राहत मुहैया कराए जाएँ. 

रिपोर्ट की सिफ़ारिशें

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने इस रिपोर्ट में जो सिफ़ारिशें प्रस्तुत की हैं, उनमें चीन सरकार से, XUAR में, मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाए गए लोगों को रिहा करने के लिये, तेज़ी से क़दम उठाने के लिये भी कहा गया है, चाहे वो लोग शिविरों में रखे गए हों या फिर किन्हीं बन्दी केन्द्रों में.

रिपोर्ट कहती है कि चीन को, बन्दी बनाए गए लोगों के परिवारों को, उनके पते-ठिकाने के बारे में बचाना चाहिये, जिसमें उनका बिल्कुल सही पता शामिल हो, और संचार के सुरक्षित साधन स्थापित करने में मदद करे, व परिवारों को फिर से मिलने की अनुमति दे.

रिपोर्ट चीन सरकार से, XUAR में उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक नीतियों की पूर्ण क़ानूनी समीक्षा करने का आहवान करती है, ताकि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के साथ, उनकी सम्पूर्ण अनुरूपता सुनिश्चित की जा सके. साथ ही ऐसे क़ानून भी रद्द किये जाएँ जो अन्तरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं.

रिपोर्ट में, शिविरों व अन्य बन्दीगृहों में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की त्वरित सरकारी जाँच कराने की भी पुकार लगाई गई है, जिनमें उत्पीड़न, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार, जबरन चिकित्सा उपचार के साथ-साथ जबरन मज़दूरी कराना और सरकारी अधिकारियों की हिरासत में मौत होने के आरोप भी शामिल हैं. 

चीन का खंडन

चीन सरकार ने भी यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की यह कड़ी रिपोर्ट प्रकाशित होने के साथ ही, अपनी काफ़ी लम्बी और विस्तृत प्रतिक्रिया प्रकाशित की है, जिसमें निष्कर्षतः कहा गया है कि शिंजियांग क्षेत्र में अधिकारी इस सिद्धान्त के साथ अपना काम करते हैं कि क़ानून के सामने हर एक व्यक्ति समान है, “और ये आरोप कि सरकार की नीति भेदभाव पर आधारित है, बिल्कुल निराधार है.”

चीन ने कहा कि क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी और विद्रोही भावना को ख़्तम करने के प्रयास, “क़ानून के शासन” के अनुसार किये गए हैं, और ये किसी भी तरह से, जातीय अल्पसंख्यकों के दमन के दायरे में नहीं आते हैं.

शिविरों के मुद्दे पर चीन सरकार ने प्रतिक्रिया दी है कि VETCs “ऐसे शिक्षा केन्द्र हैं जो विद्रोही भावनाओं को ख़त्म करने के इरादे से बनाए गए क़ानून के अनुसार स्थापित किये गए हैं”, और ये “प्रताड़ना शिविर” नहीं हैं.

‘मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन नहीं’

चीन सरकार के वक्तव्य में कहा गया है, “शिंजियांग में तमाम जातीय समूहों के कामगारों के वैध अधिकार और हित, संरक्षित हैं और जबरन मज़दूरी जैसी कोई चीज़ नहीं है.” वक्तव्य में ये भी कहा गया है कि “मानवाधिकारों का व्यापक पैमाने पर कोई उल्लंघन” नहीं हुआ है.

वक्तव्य में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से क्षेत्र में उसके आतंकवाद निरोधक अभियान के बारे में “सच्चाई को स्पष्ट रूप में देखने” की पुकार भी लगाई गई है. साथ ही, “अमेरिका व पश्चिम में चीन विरोधी ताक़तों के विद्वेषपूर्ण इरादों व भद्दी गतिविधियों को भी नज़र में रखने की पुकार लगाई गई है जो चीन को सीमित करने के लिये, शिंजियांग का प्रयोग करने के प्रयास कर रहे हैं.”

चीन सरकार के वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से, अमेरिका व कुछ अन्य पश्चिमी देशों से, देश-विदेशों में अंजाम दिये गए, मानवाधिकार उल्लंघन की त्रासदियों और अनगिनत अपराधों की भी जाँच करने की पुकार लगाई गई है.

बाशेलेट का मई चीन मिशन

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने चीन सरकार के निमंत्रण पर, मई 2022 में अपना मिशन पूरा किया था, और इस यात्रा के दौरान XUAR की स्थिति का जायज़ा लेने के लिये, वहाँ का भी दौरा किया था.

मिशेल बाशेलेट ने अपने मिशन के दौरान अनेक सरकारी अधिकारियों, सिविल सोसायटी संगठनों, शिक्षाविदों, और सामुदायिक व धार्मिक हस्तियों के साथ बातचीत की थी. इसके अलावा, उन्होंने यह यात्रा शुरू करने से पहले भी, शिंजियांग प्रान्त, तिब्बत, हांगकांग, और चीन के अन्य हिस्सों से सम्बन्धित मुद्दों पर, अनेक संगठनों के साथ, ऑनलाइन मुलाक़ातें की थी.

उन्होंने अपनी यात्रा की समाप्ति पर शिंजियांग, तिब्बत, हांगकांग, मानवाधिकार पैरोकारों और श्रम अधिकारों जैसे मुद्दों पर चिन्ता व्यक्त की थी, साथ ही निर्धनता कम करने, और अत्यन्त गम्भीर निर्धनता का उन्मूलन करने में, शानदार उपलब्धियों की सराहना भी की थी, जोकि लक्ष्य समय से 10 वर्ष पहले ही हासिल की गईं.

मिशेल बाशेलेट ने देश में अन्य अनेक घटनाक्रमों का भी स्वागत किया था जिनमें महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने वाले क़ानून शामिल हैं. साथ ही, एलजीबीटीआई लोगों, विकलांगता वाले लोगों और वृद्धजन के अधिकारों को आगे बढ़ाने वाले ग़ैर-सरकारी संगठनों द्वारा किये गए काम की सराहना भी की थी.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने क्षेत्रीय स्तर पर और बहुपक्षीय स्तर पर, चीन की अहम भूमिका को भी रेखांकित किया था, साथ ही यह भी ध्यान दिलाया कि उन्होंने अपनी इस यात्रा के दौरान जिनसे भी मुलाक़ात की – सरकारी अधिकारियों से लेकर सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों, राजनयिकों और अन्य हस्तियों के साथ, सभी ने, सर्वजन के लिये मानवाधिकारों के प्रोत्साहन व संरक्षण के क्षेत्र में प्रगति करने की निष्कपट इच्छा प्रकट की.

गुटेरेश ने की - यूएन मानवाधिकार कार्यालय की स्वतंत्रता रेखांकित

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने, गुरूवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन में नियमित प्रैस वार्ता में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के आकलन पढ़ा है, जिसमें “चीन के शिंजियांग क्षेत्र में, मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघनों की स्पष्ट पहचान की गई है.”

प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि महासचिव, “को ये पूरी उम्मीद है कि चीन सरकार, इस आकलन में पेश की गई सिफ़ारिशों पर ग़ौर करेगी”. 

प्रवक्ता ने ये भी ध्यान दिलाया कि ये रिपोर्ट यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय - OHCHR “की स्वतंत्रता की महत्ता को भी रेखांकित करती है”.

भविष्य में सम्बन्धों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में, प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि महासचिव, “चीन और संयुक्त राष्ट्र के दरम्यान अनगिनत मुद्दों पर व्यवस्थागत सहयोग की क़द्र करते हैं. चीन एक बहुत मूल्यवान साझीदार है, और हमें पूरी उम्मीद है कि ये सहयोग जारी रहेगा”. 

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि हर किसी के लिये ये भी बहुत अहम है कि वो यूएन मानवाधिकार कार्यालय की विस्तृत रिपोर्ट पर चीन की प्रतिक्रिया को भी देखें.