जंगलों में आग और बाढ़ को त्रासदी में बदलने से रोकने पर बल, नई रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को अपनी एक नई रिपोर्ट जारी की है जोकि दर्शाती है कि भूकम्प, बाढ़, ताप लहरों और जंगलों में आग लगने की घटनाओं के ख़तरों को जानलेवा आपदाओं में तब्दील होने से रोका जा सकता है.
वर्ष 2021 और 2022 के दौरान, विश्व के सभी क्षेत्रों में रिकॉर्ड ध्वस्त करने वाली विनाशकारी आपदाएँ देखी गईं. ब्रिटिश कोलम्बिया में भीषण तापलहरों से लेकर, भूमध्य सागर क्षेत्र के जंगलों में आग लगने, नाइजीरिया में बाढ़ और ताइवान में सूखे की घटनाओं तक.
The 🆕 #InterconnectedRisks report is now online!🔟disasters from 2021/2022 were analysed!☀️🔥🌊🐬🏚️🐘🌪️🌋None of these needed to be as deadly or costly as they were.8⃣ solutions that can help to prevent or better manage risks were identified.https://t.co/hQCXFOQUEx pic.twitter.com/x5p86w1TsU
UNUEHS
इन घटनाओं में क़रीब 10 हज़ार लोगों की मौत हुई, और दुनिया भर में अनुमानित 280 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ.
यूएन यूनिवर्सिटी इन्स्टीट्यूट फ़ॉर एनवायरनमेंट एण्ड ह्यूमन सिक्योरिटी (UNU-EHS) की नवीनतम ‘Interconnected disaster Risks’ रिपोर्ट बताती है कि इनमें से कई आपदाओं के मूल कारण एक जैसे ही हैं.
साथ ही, अध्ययन के अनुसार इन आपदाओं की रोकथाम करने या जोखिमों के बेहतर प्रबन्धन के लिये समाधान भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
UNU-EHS की उप निदेशक डॉक्टर ज़ीता सेबेस्वरी ने कहा, “दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में होने वाली आपदाएँ पहली नज़र में एक-दूसरे से अलग लगती हैं.”
“लेकिन जब आप उनका विस्तार से विश्लेषण करना शुरू करते हैं तो जल्द ही यह स्पष्ट हो जाता है कि वे एक समान कारणों से घटित हो रही हैं,
उदाहरण के लिये, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या अरक्षणीय खपत.”
बुनियादी वजहों में सम्बन्ध
इन सभी बिन्दुओं को आपस में जोड़ने के लिए, ‘इंटरकनेक्टेड डिज़ास्टर रिस्क’ रिपोर्ट की शोध टीम ने हर एक आपदा की नज़दीक से पड़ताल की और उनके कारणों को समझने का प्रयास किया.
उदाहरणस्वरूप, वनों की कटाई से मिट्टी का क्षरण होता है, और यह भूमि के भूस्खलन, सूखे और रेतीले तूफ़ान जैसे ख़तरों के लिये अतिसम्वेदनशील होने की वजह बनती है.
अध्ययन दर्शाता है कि आपदाओं के मूल कारण अक्सर आपस में जुड़े हुए और व्यवस्थागत रूप लिये होते हैं, जैसेकि आर्थिक व राजनीतिक प्रणालियाँ.
वनों की कटाई की वजह को, पर्यावरण के बजाय आर्थिक हितों को महत्व दिये जाने और उपभोग के अरक्षणीय (unsustainable) रुझानों के रूप में देखा जा सकता है.
रिपोर्ट में दर्शाई गई अन्य बुनियादी वजहों में विकास व आजीविका अवसरों में असमानता, मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और उपनिवेशवाद की विरासत शामिल हैं.
ये कुछ ऐसे मूल कारण हैं जिन्हें दुनिया भर में आपदाओं में देखा जा सकता है.
यह मेल बुनियादी कारणों पर ही ख़त्म नहीं होता, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर है कि कौन से समुदाय सबसे अधिक ख़तरे का सामना कर रहे हैं; मानव बस्तियाँ और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, दोनों ही आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
'प्रकृति को अपना काम करने दें'
हालांकि, समाधान भी आपस में जुड़े हुए हैं, जिसका अर्थ है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिये एक ही प्रकार के समाधान प्रयोग में लाये जा सकते हैं.
इसके अलावा, एक आपदा से निपटने के लिये अनेक समाधान हैं और एक दूसरे के साथ संयोजन में लागू किये जाने पर वे अधिक शक्तिशाली होते हैं.
उदाहरण के तौर पर, "प्रकृति को अपना काम करने दें" सरीखे समाधान, जोखिमों को रोकने और आपदाओं से बचने के लिये प्रकृति की शक्ति पर आधारित है.
जंगलों को नियत तौर पर जलाये जाने से, भूमध्य सागर क्षेत्र में आग फैलने की बड़ी घटनाओं का ख़तरा कम किया जा सकता है.
शहरी नदियों व धाराओं को बहाल करने से बाढ़ के प्रभावों को कम किया जा सकता है जैसेकि तूफान ‘इडा’ के समय न्यूयॉर्क में हुआ था.
और समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों में निवेश को बढ़ावा देने से समय रहते पहले ख़तरों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और संचार सेवा में सुधार हो सकता है.
रिपोर्ट में जिन तीन घटनाओं -- ब्रिटिश कोलम्बिया में ताप लहरें, टोंगा में ज्वालामुखी और सूनामी लहरें, और नाइजीरिया के लागोस में बाढ़ -- का विश्लेषण किया गया है, वहाँ समय रहते चेतावनी प्रणाली की सहायता से नुक़सान को कम किया जा सकता था.
मुख्य लेखक डॉ. जैक ओ'कॉनर ने कहा कि हमारे पास ख़तरों की बेहतर ढंग से रोकथाम करने और उनके प्रबन्धन के लिये सही प्रकार के समाधान हैं.
लेकिन हमें उनका दायरा व स्तर बढ़ाने और बेहतर तालमेल के साथ लागू करने के रास्तों के प्रति बेहतर समझ विकसित करने में तत्काल निवेश करने की आवश्यकता है.
‘हम सभी समाधान का हिस्सा हैं'
सभी समाधान सभी के लिये आसान नहीं होंगे. पीढ़ियों, देशों और विभिन्न अतिसंवेदनशीलता वाले जनसमूहों के बीच संसाधनों का पुनर्वितरण का अर्थ होगा कि कुछ को मौजूदा परिस्थितियों की तुलना में संसाधन ज़्यादा साझा करने की आवश्यकता होगी.
शोधकर्ताओं ने ज़ोर देकर कहा है कि समाधान केवल सरकारों, नीति निर्माताओं या निजी क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर भी लागू किया जा सकता है.
"हम प्रकृति को उसकी जगह लौटा कर उसे अपना काम करने दे सकते हैं. हमारा भोजन कहाँ से आता है और हम उसे कहाँ से ख़रीदते हैं, इस पर ध्यान देते हुए हम टिकाऊ खपत को बढ़ावा दे सकते हैं.”
डॉ. जैक ओ'कॉनर के अनुसार आपदा की स्थिति से निपटने के लिये हम साथ मिलकर अपने समुदायों को तैयार कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हम, व्यक्तिगत रूप में, एक बड़ी सामूहिक कार्रवाई का हिस्सा हैं, जो सार्थक, सकारात्मक बदलाव लाने में एक अहम भूमिका निभा सकता है. “हम सभी समाधान का एक हिस्सा हैं."