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'रोहिंज्या संकट को भुलाकर नहीं छोड़ा जा सकता'

म्याँमार के लिये, यूएन प्रमुख की विशेष दूत नोएलीन हेयज़ेर, बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में, एक शिक्षा केन्द्र का दौरा करते हुए.
Office of the Special Envoy on Myanmar
म्याँमार के लिये, यूएन प्रमुख की विशेष दूत नोएलीन हेयज़ेर, बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में, एक शिक्षा केन्द्र का दौरा करते हुए.

'रोहिंज्या संकट को भुलाकर नहीं छोड़ा जा सकता'

प्रवासी और शरणार्थी

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत नोएलीन हेयज़ेर ने, रोहिंज्या लोगों के दर्दनाक पलायन के पाँच वर्ष होने के मौक़े पर उनकी तकलीफ़ों की तरफ़ ध्यान आकर्षित करने के लिये, बांग्लादेश की अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान कहा है कि, “हम इसे एक भुला दिया गया संकट बनकर नहीं रहने दे सकते हैं.”

बांग्लादेश की दयालुता

उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के साथ हुई अपनी बातचीत को रचनात्मक क़रार देते हुए, उनके नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया और विशाल योगदान के लिये, बांग्लादेश सरकार और वहाँ के लोगों की, संयुक्त राष्ट्र की तरफ़ से प्रबल सराहना की.

विशेष दूत नोएलीन हेयज़ेर ने कहा कि बांग्लादेश और मेज़बान समुदायों ने रोहिंज्या लोगों के कठिन दौर में जो दयालुता दिखाई है, उससे, ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ निभाने और ये सुनिश्चित करने में और भी ज़्यादा अन्तरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रतिबद्धता की ज़रूरत उजागर होती है कि रोहिंज्या लोगों को भुलाकर ना छोड़ दिया जाए.

उन्होंने कहा, “मैं क्षेत्र के देशों से बांग्लादेश का समर्थन करने और रोहिंज्या शरणार्थियों की स्वैच्छिक, सुरक्षित और सम्मानजनक स्वदेश वापसी के लिये रचनात्मक परिस्थितियाँ बनाने में म्याँमार को राज़ी करने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिये, और ज़्यादा नेतृत्व की ज़िम्मेदारियाँ दिखाने के लिये पैरोकारी करना जारी रखूंगी.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रोहिंज्या लोगों को अब भी ऐसी ख़तरनाक भूमि व समुद्री यात्राएँ करनी पड़ रही हैं जो उन्हें आपराधिक शोषण के जोखिम में डालती हैं जिनमें मानव तस्करी और लिंग आधारित हिंसा के ख़तरे भी शामिल हैं.

उन्होंने साथ ही ज़ोर दिया कि अन्ततः ये म्याँमार की ज़िम्मेदारी है कि वो देश के तमाम शरणार्थियों और जबरन विस्थापन का शिकार हुए लोगों की, स्वैच्छिक, सुरक्षित, सम्मानजनक और टिकाऊ वापसी के लिये, रचनात्मक और अनुकूल हालात बनाए.