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यूक्रेन: WFP के सहायता अभियानों के लिये अनाज की पहली खेप रवाना

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी - WFP, जहाज़ में अनाज लादते हुए.
© WFP/Anastasiia Honcharuk
यूएन खाद्य सहायता एजेंसी - WFP, जहाज़ में अनाज लादते हुए.

यूक्रेन: WFP के सहायता अभियानों के लिये अनाज की पहली खेप रवाना

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता एजेंसी WFP ने मंगलवार को बताया है कि एजेंसी के खाद्य सहायता अभियानों के समर्थन के लिये यूक्रेनी गेहूँ का भण्डार लेकर पहला जहाज़, यूझनी बन्दरगाह के रवाना हो गया है, जिसे पिवदेन्नयी के नाम से भी जाना जाता है.

एमवी ब्रेव कमाण्डर नामक ये जहाज़, 23 हज़ार टन गेहूँ अनाज लेकर रवाना हुआ है, और ये अनाज हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में यूएन खाद्य सहायता एजेंसी के सहायता कार्यक्रमों के लिये है, जहाँ गम्भीर सूखा पड़ने के कारण, अकाल का जोखिम उत्पन्न हो गया है.

काला सागर अनाज निर्यात समझौते के तहत, मानवीय खाद्य सहायता के लिये रवाना होने वाला ये पहला जहाज़ है. ध्यान रहे कि यूएन समर्थित उस समझौते पर यूक्रेन, रूस और तुर्कीये ने जून में हस्ताक्षर किये थे.

भूख का सामना करने वालों का पेट भरना

इस जहाज़ की रवानगी, युद्ध ग्रस्त देश यूक्रेन के अनाज को देश से बाहर निकाल कर, बाज़ारों में पहुँचाने और वैश्विक खाद्य संकटों से प्रभावित लोगों तक पहुँचाने के प्रयासों  में एक अन्य महत्वपूर्ण पड़ाव है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली का कहना है, “काला सागर में स्थित बन्दरगाहों को खोलना और सुचारू करना, एक ऐसी महत्वपूर्ण बात है जो हम इस समय, दुनिया भर में भूख से त्रस्त लोगों की मदद करने के लिये कर सकते हैं.”

उनका कहना है, “विश्व भर में भुखमरी को रोकने के लिये, यूक्रेन से अनाज से भरे जहाज़ निकालने भर से कहीं ज़्यादा उपाय करने होंगे, मगर यूक्रेनी अनाज के वैश्विक बाज़ारों में उपलब्ध होने से, हमारे पास इस वैश्विक खाद्य संकट को और ज़्यादा गम्भीर होने से रोकने का अवसर मौजूद है.”

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी इस गेहूँ अनाज भण्डार का प्रयोग, इथियोपिया के दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी इलाक़े में अपने सहायता अभियानों में तेज़ी लाने के लिये करेगा, जहाँ सूखे से प्रभावित लगभग 15 लाख लोगों की मदद की जा रही है.

इस समय दुनिया भर में, 80 से भी ज़्यादा लोगों में क़रीब साढ़े 34 करोड़ लोग, गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जबकि 45 देशों में ऐसे लगभग पाँच करोड़ लोग हैं, जिनके लिये अगर मानवीय सहायता उपलब्ध नहीं हुई तो वो, अकाल के गर्त में धकेले जा सकते हैं.

मौजूदा भुखमरी संकट के लिये अनेक कारण ज़िम्मेदार हैं जिनमें संघर्ष व युद्ध, जलवायु प्रभाव, और कोविड-19 महामारी शामिल हैं.

यूक्रेन में युद्ध का छिड़ जाना भी एक प्रमुख कारण है क्योंकि ये देश, अनाज का बड़ा निर्यातक है. 

यूक्रेन, फ़रवरी में युद्ध शुरू होने से पहले तक, हर महीने लगभग 60 लाख टन अनाज का निर्यात कर रहा था, मगर अब ये निर्यात औसतन 10 लाख टन प्रतिमाह है.

और ज़्यादा कार्रवाई की ज़रूरत

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि अब जबकि यूक्रेन के काला सागर बन्दरगाह से और वहाँ के लिये, व्यावसायिक और मानवीय सहायता समुद्री परिवहन बहाल हो रहा है तो, वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान में कुछ ढिलाई आने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक खाद्य संकट के सबसे बदतर हालात का सामना कर रहे देशों को कुछ राहत मिलेगी.

एजेंसी का कहना है कि साथ ही ये भी अति महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन भी आगामी गर्मी की फ़सल के मौसम से पहले, अपने अनाज भण्डारों को ख़ाली करने में समर्थ हो सकेगा.

अलबत्ता, इन घटनाक्रमों के बावजूद, अब भी अभूतपूर्व खाद्य संकट जारी हैं.

यूएन खाद्य एजेंसी ने तत्काल ऐसी कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है जिसमें मानवीय सहायता समुदाय, देशों की सरकारें, और निजी क्षेत्र, ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये एकजुट हों और दीर्घकालीन समाधानों में संसाधन निवेश करें.

एजेंसी ने आगाह करते हुए ये भी कहा है कि इसमें नाकामी हुई तो दुनिया भर में बहुत से लोग विनाशकारी अकालों में घिर जाएंगे और उनके अस्थिरता वाले प्रभाव हम सभी को महसूस करने पड़ेंगे.