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अफ़ग़ानिस्तान: देश के भविष्य से पीठ नहीं फेरी जा सकती, आरसीओ

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, एक यूएन महिला सशक्तिकरण केन्द्र.
UN Afghanistan
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, एक यूएन महिला सशक्तिकरण केन्द्र.

अफ़ग़ानिस्तान: देश के भविष्य से पीठ नहीं फेरी जा सकती, आरसीओ

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में सत्ता पर तालेबान का क़ब्ज़ा होने के एक वर्ष बाद, देश में वरिष्ठ यूएन अधिकारी – RCO रमीज़ अलअकबरोव ने लड़कियों की ज़िन्दगियों के बारे में अपने डर बयान किये हैं, और अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूँकने में, महिलाओं की पूर्ण भूमिका निभाए जाने की पुकार लगाई है…

2021 में तालेबान के सत्ता नियंत्रण से कुछ ही समय पहले मैंने कुन्दूज़ में एक अनाथालय का दौरा किया था. कुन्दूज़ अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाक़े में स्थित है. वहाँ एक ऐसी नवयुवती के साथ बात करने के बाद मेरा दिल हिल उठा था, जिसका पूरा का पूरा परिवार एक दिन पहले ख़त्म हो गया था. उसका ये अकथनीय नुक़सान अफ़ग़ान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों और तालेबान के बीच सघन लड़ाई के बाद हुआ था.

वो लड़की वैसे तो किसी अन्य तात्कालिक ख़तरे से सुरक्षित थी, उसे धरातल पर मौजूद यूएन टीम द्वारा मुहैया कराई जा रही सहायता की बदौलत भोजन, आश्रय और अन्य जीवन-रक्षक चीज़ें भी मिल रहे थे, मगर मैं जानता था कि उसकी और पूरे अफ़ग़ानिस्तान भर में अन्य निर्बल हालात वाले बच्चों की आवश्यकताएँ कहीं बड़ी थीं. इतना ही नहीं, उनके समुदायों के सामने दरपेश समस्याएँ और भी जटिल थीं.

उसके बाद से तो इन चुनौतियों का दायरा और भी विशाल हुआ है और कुन्दूज़ में जिन बच्चों से मैं मिला था, उन जैसे बच्चों के लिये एक स्थिर भविष्य बनाने के हमारे प्रयासों की ज़िम्मेदारी भी बढ़ी है. तालेबान द्वारा 2021 की गर्मियों में राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद से ही, अफ़ग़ानिस्तान के अनेक इलाक़ों में, भुखमरी से लेकर सतत निर्धनता तक, तकलीफ़ों का स्तर और दायरा लगातार बढ़ता ही रहा है.

देश की आधी से ज़्यादा आबादी अब ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन जी रही है. गभग दो करोड़ 30 लाख लोग, खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें से कुछ तो गम्भीर खाद्य असुरक्षा के हालात में जीवन जी रहे हैं, और 20 लाख से ज़्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जून 2022 में, अफ़ग़ानिस्तान के केन्द्रीय क्षेत्र में 5.9 की तीव्रता वाले एक भूकम्प ने भी तबाही मचाई जिसमें एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई और उस प्राकृतिक आपदा ने, पहले से ही निर्बल हालात का सामना कर रहे समुदायों और ज़्यादा तकलीफ़ों में धकेल दिया.

महिलाएँ हाशिये पर

मैं अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों के लेकर विशेष रूप से चिन्तित हूँ, जिनकी ज़िन्दगियाँ, तालेबान की सत्ता में वापसी के बाद, पहचाने जाने से भी बड़े स्तर पर बदल गई है. 15 अगस्त 2021 के बाद से हमने महिलाओं व लड़कियों के आर्थिक, राजनैतिक, और सामाजिक अधिकारों को बड़े पैमाने पर सिकुड़ते देखा है, और साथ ही प्रतिबन्धकारी लैंगिक नीतियों और व्यवहारों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी भी देखी है. महिलाएँ अपने लिये शिक्षा, कामकाज और आवागमन के अधिकार के अभाव में अब ख़ुद को हाशिये पर धकेल दी गईं पाती हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन आरसीओ रमीज़ अलअकबरोव, पक्तिका भूकम्प क्षेत्र का दौरा करते हुए, जहाँ संयुक्त राष्ट्र ने टैण्ट, भोजन, घरेलू चीज़ें और निक़दी मुहैया कराई.
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अफ़ग़ानिस्तान में यूएन आरसीओ रमीज़ अलअकबरोव, पक्तिका भूकम्प क्षेत्र का दौरा करते हुए, जहाँ संयुक्त राष्ट्र ने टैण्ट, भोजन, घरेलू चीज़ें और निक़दी मुहैया कराई.

जब गत वर्ष ये सब घटनाक्रम शुरू हुआ था तो संयुक्त राष्ट्र की टीम ने देश में ही रहने और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की मदद के लिये मुस्तैद रहने का निर्णय लिया था. अफ़ग़ानिस्तान के लिये धरातल पर मौजूद यूएन टीम का रणनैतिक मार्ग दर्शन करने वाले दस्तावेज़ - एकल यूएन परिवर्तनकाल सम्पर्क फ़्रेमवर्क के तहत, हम ज़िन्दगियाँ बचाने के साथ-साथ, आवश्यक सेवाएँ जारी रखने और महत्वपूर्ण सामुदायिक प्रणालियों का संरक्षण करने में समर्थ रहे हैं.

इस वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान ही, हमने देश की ज़रूरतमन्द लगभग दो करोड़ 44 लाख आबादी में से 94 प्रतिशत लोगों तक किसी ना किसी प्रकार की मानवीय सहायता पहुँचाई है. निर्बल परिस्थितियों वाले परिवारों में जीवन-रक्षक और जीवन सततता खाद्य सहायता पहुँचाई है. इनमें आपात खाद्य सामग्री से लेकर मौसमी सहायता, कृषि सामान और पोषण सामग्रियाँ, स्वास्थ्य देखभाल सामान, आपात आश्रय और खाद्य से इतर वस्तुएँ, स्वच्छता और संरक्षण सहायता शामिल हैं.

दशकों की अनदेखी

फिर भी, हमारी अभूतपूर्व सहायता कार्रवाई के बावजूद, पूरे अफ़ग़ानिस्तान में ज़रूरतों का दायरा विशाल बना हुआ है. वैसे तो देश में 15 अगस्त 2021 से पहले ही, अनेक तरह की समस्याओं की जड़ें, दशकों की अनदेखी और महत्वपूर्ण सेवाओं व ढाँचे में विकास अवरुद्धता में बैठी हुई हैं, मगर सत्ता में तालेबान की वापसी के बाद, खाद्य असुरक्षा, निर्धनता और क़र्ज़ की दरें बहुत बढ़ी हैं.

हम संयुक्त राष्ट्र के परिवर्तन काल सम्पर्क फ़्रेमवर्क में दिखाए गए उद्देश्यों सें मार्ग दर्शन लेते हुए, देश की अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूँकने, महिलाओं की आर्थिक भागेदारी बढ़ाने और 20 लाख से ज़्यादा रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज सृजित करने के लिये काम करते रहेंगे.

अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिये, कार्यबल में महिलाओं की पूर्ण वापसी अनिवार्य है. इसीलिये हम महिलाओं के नेतृत्व वाले कारोबारों और पूरे देश में महिलाओं के लिये रोज़गार अवसरों का दायरा बढ़ने के लिये अथक काम कर रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, यूएन जनसंख्या कल्याण एजेंसी - UNFPA द्वारा संचालित एक महिला अनुकूल स्वास्थ्य सुविधा.
UNFPA Afghanistan
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, यूएन जनसंख्या कल्याण एजेंसी - UNFPA द्वारा संचालित एक महिला अनुकूल स्वास्थ्य सुविधा.

कृषि अर्थव्यवस्था पर ध्यान

अफ़ग़ानिस्तान की अधिकतर आबादी चूँकि ग्रामीण इलाक़ों में बसती है, हमें अपना ध्यान विशेष रूप में, कृषि अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाने पर केन्द्रित करना होगा. जिसके लिये कृषि आधारित खाद्य प्रणालियों को मज़बूत करने और किसानों, खाद्य उत्पादकों व स्थानीय बाज़ारों के बीच कड़ी को मज़बूत बनाना होगा. 

हमारी यूएन टीम पूरे अफ़ग़ानिस्तान में ग्रामीण इलाक़ों में ये उपाय लागू कर रही है, जिनमें हाल के समय में आए भूकम्पों से प्रभावित कुछ इलाक़े भी शामिल हैं. 
आगे बढ़ते हुए, हम अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये काम करना जारी रखेंगे, जिनमें महिलाएँ और लड़कियाँ भी शामिल हैं.

आगे जो भी अनिश्चितताएँ दरपेश रहेंगी, हमें पुनर्बहाली प्रयासों में महिलाओं और लड़कियों की ज़रूरतों को केन्द्र में रखेंगे, और हर दिन ये सुनिश्चित करने के लिये काम करते रहेंगे कि कामकाज व स्कूलों में उनकी वापसी हो, और स्वतंत्र व समान जीवन जीने के अपने अधिकार फिर से शुरू कर सकें."