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भारत: दिल्ली के जलमार्गों में प्रदूषण कम करने के कुछ उपाय

दिल्ली के पास प्रदूषित नदी
अशोक कुमार घोष द्वारा फोटो
दिल्ली के पास प्रदूषित नदी

भारत: दिल्ली के जलमार्गों में प्रदूषण कम करने के कुछ उपाय

जलवायु और पर्यावरण

भारत की राजधानी दिल्ली के घरों में जितने पानी का वितरण किया जाता है उसमें से लगभग 80 प्रतिशत पानी, अपशिष्ट जल के रूप में समाप्त हो जाता है, जिनमें से कुछ अनुपचारित रहता है, जो शहर के जलमार्गों को प्रदूषित करता है. ये दूषित पानी स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और बेहतर रहन-सहन के लिये ख़तरा है. 

करीब 3 करोड़ की आबादी वाले इस महानगरीय क्षेत्र - दिल्ली में फ़िलहाल 35 चालू सीवेज उपचार संयंत्र हैं.

सरकारी योजनाएँ और यूनेप का साथ 

भारत सरकार ने दिसम्बर 2021 में घोषणा की थी कि वर्ष 2022 के अन्त तक, दिल्ली के 95 प्रतिशत से ज़्यादा अपशिष्ट जल संसाधन को साफ़ किया जाएगा. राजधानी का अपशिष्ट जल हिस्सा, राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने इस पहल का समर्थन करते हुए, एक विशिष्ट परीक्षण शुरू किया है कि भारत का सबसे विशाल शहर दिल्ली अपने अपशिष्ट जल को पुन: चक्रित किस तरह करता है और इसे अधिक निपुणता से कैसे किया जा सकता है.

इसके लिये गन्दा पानी साफ़ करने के संयंत्र द्वारा इस्तेमाल किये उन विभिन्न तकनीकों का आकलन किया गया जो पोषक तत्वों का निचोड़ और पुनर्चक्रण के लिये की जाती हैं और जिनसे दिल्ली में अपशिष्ट जल का सुरक्षित और टिकाऊ पुन:प्रयोग हो सके.

एमएमबीआर प्राणाली

भारत की राजधानी दिल्ली के पास यमुना नदी
Photo: R Vermer
भारत की राजधानी दिल्ली के पास यमुना नदी

यूनेप के अध्ययन में पाया गया कि एमबीबीआर प्रणाली दिल्ली की स्थिति के लिये सबसे उचित है और जहाँ तक हो सके वहाँ, इसे नए प्रशोधन संयंत्रों में नियोजित किया जाना चाहिये.

विशेषज्ञों का कहना है कि एमबीबीआर नॉर्वे में आविष्कार की गई एक आधुनिक प्रणाली है जो पानी को साफ़ करने और प्रदूषकों को हटाने के लिये केवल रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं के बजाय, जैविक मिश्रण का उपयोग करती है. लेकिन इस व्यवस्था की अपनी चुनौतियाँ हैं.

परियोजना पर एक प्रमुख शोधकर्ता संगीता बंसल का कहना है कि बड़े सीवेज प्रशोधन संयंत्रों के लिये एमबीबीआर तकनीक का अंगीकरण चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके रखरखाव की लागत काफ़ी अधिक है.

परीक्षण से पता चलता है कि अन्य प्रणालियों, जैसे एसबीआर (SBR), और एएसपी (ASP) का उपयोग बड़े सीवेज उपचार संयंत्रों के लिये भी किया जा सकता है.

दिल्ली में मौजूदा उपलब्ध विकल्पों के सामने वर्तमान पोषक तत्वों की बहाली, पुनर्चक्रण, और पुन: प्रयोग जैसे कार्यों का मानचित्र तैयार करने के अलावा, इस अध्ययन ने पानी की गुणवत्ता को मापने और शहर में चुनिन्दा जल निकायों के पुन:प्रचलन के आंकलन के लिये, एक पारिस्थितिक तंत्र स्वास्थ्य कार्ड बनाया है. 

प्रदूषण के प्रकार और प्रभाव

प्रदूषण के कुछ रूपों से पानी में खनिज पदार्थ और पोषक तत्वों की बढ़ोतरी होती है. एक ऐसी ही प्रक्रिया है जिसे यूट्रोफ़िकेशन के नाम से जाना जाता है, इस विधि से वनस्पति सहित शैवाल में वृद्धि होती है, लेकिन मछली और पक्षी जीवन की विविधता में कमी आती है.

सीवेज और खाद्य अपशिष्ट भी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, विशेष रूप से प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन यौगिक (reactive nitrogen) जैसे नाइट्रेट (nitrate) और अमोनियम यौगिक (ammonium compound), जो नाइट्रस ऑक्साइड (nitrate oxide) में परिवर्तित हो जाते हैं, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) की तुलना में 300 गुना अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है.

दिल्ली में नजफगढ़ झील प्रदूषित जलमार्ग एक ऐसा ही उदाहरण है.

वर्ष 2011 के बाद से प्रदूषण की वजह से इस झील क्षेत्र में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह झील गंगा नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक है और यह शहर से गुज़रते हुए, यमुना नदी में जा मिलती है.

यूनेप के कार्यक्रम प्रबन्धन अधिकारी रिकार्डो जेनारो का कहना है कि शौचालय फ्लशिंग, कार धोने, निर्माण कार्य, कृषि, और प्रभावित नदियों और झीलों को फिर से जीवन्त बनाने जैसे उद्देश्यों के लिये, उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करके, जल सुरक्षा का समर्थन करना, शहर के टिकाऊ विकास के लिये महत्वपूर्ण है."

उन्होंने कहा ,"यह स्वच्छ नल के पानी तक पहुँच में भी सुधार कर सकता है. अपशिष्ट जल प्रशोधन करके पानी का पुनर्चक्रण, पुनर्प्राप्ति और पोषक तत्वों का समर्थन करता है और इसलिये, प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ चिरस्थाई जल और पोषक तत्व प्रबन्धन के लिये महत्वपूर्ण है. हालाँकि, भारत सरकार के पर्यावरण मापदण्डों पर उतरने के लिये, इसमें महत्वपूर्ण संशोधन की आवश्यकता है."

प्रस्ताव पर कार्यवाही

परियोजना के निष्कर्षों के बारे में स्थानीय और राष्ट्रीय निर्णय निर्माताओं सहित सम्बन्धित अधिकारियों को सूचित करने के लिये एक चिरस्थाई कार्यशाला की योजना बनाई गई है, जिसमें प्रस्तावों को लागू करने के साथ-साथ आगे की कार्यवाही पर चर्चा की जाएगी.

UNEP सदस्य देशों और अन्य को विश्व जल गुणवत्ता गठबन्धन (world water quality alliance), समुद्री कूड़े पर वैश्विक भागीदारी (global partnership on Marine litter), पोषक तत्व प्रबन्धन(global partnership on nutrient management) पर वैश्विक भागीदारी और वैश्विक अपशिष्ट जल पहल (global wastewater initiative) के माध्यम से, प्रदूषण जैसे मुद्दों का समाधान करने में सहायता कर रहा है.

यूनेप जल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये भागीदारों के साथ मिलकर, अपशिष्ट जल जैसे संसाधन को उजागर करने के लिये काम कर रहा है जो जल सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है.