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अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय सहायता से ज़िन्दगियाँ बचीं, मगर विशाल ज़रूरतें बरक़रार

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में, एक मेडिकल क्लीनिक में, एक महिला अपने बच्चे के साथ.
© UNICEF/Alessio Romenzi
अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में, एक मेडिकल क्लीनिक में, एक महिला अपने बच्चे के साथ.

अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय सहायता से ज़िन्दगियाँ बचीं, मगर विशाल ज़रूरतें बरक़रार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यालय (OCHA) ने गुरूवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में पिछले लगभग एक साल के दौरान सहायता में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी के बावजूद, अब भी विशाल ज़रूरतें मौजूद हैं और भविष्य स्याह नज़र आता है.

अगस्त 2021 में देश की सत्ता पर तालेबान का नियंत्रण हो जाने के बाद, यूएन एजेंसियाँ और उसके साझीदार संगठन, देश में ही बने रहकर, लगभग दो करोड़, 30 लाख लोगों को सहायता मुहैया करा रहे हैं. ये संख्या सहायता के ज़रूरतमन्द लोगों की 94 प्रतिशत है.

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मानवीय सहायता एजेंसियों ने अपने अभियान, 34 प्रान्तों में समुदायों तक बढ़ाए हैं और उनके सहायता प्रयासों की बदौलत अनेक लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकी हैं, यहाँ तक कि गत सर्दियों में एक अकाल की स्थिति को भी सफलतापूर्वक टाला जा सका है.

एक त्रासद वास्तविकता

संयुक्त राष्ट्र के दो मानवीय सहायता कोषों से आबण्टित धनराशि ने, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के बिखराव को रोकने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें कामगारों को लगातार वेतन भुगतान सुनिश्चित करना भी शामिल रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजक डॉक्टर रमीज़ अलअकबरोव ने गुरूवार कहा है कि इतने व्यावक सहायता अभियान के बावजूद, ज़रूरतों का विशाल दायरा, उन्हें पूरी करने के लिये, सहायता एजेंसियों की क्षमता से ज़्यादा ही है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब तक एक सुचारू अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली बहाल नहीं किये जाते हैं, लड़कियों को स्कूली शिक्षा हासिल करने की सरकारी इजाज़त नहीं दी जाती है, और महिलाएँ व लड़कियाँ, जीवन के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन के तमाम क्षेत्रों में सार्थक और सुरक्षित भागीदारी नहीं करती हैं, तो ये त्रासद स्थिति जारी रहेगी.

अनेकानेक लाल चिन्ह

डॉक्टर रमीज़ अलअकबरोव ने एक वक्तव्य में कहा कि हमें इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि हम अगर आज के लाल निशानों की अनदेखी करते हैं तो उसकी क़ीमत भविष्य को चुकानी पड़ती है. 

“और अफ़ग़ानिस्तान में आज, लाल चिन्ह बहुत सारे और विविध रूप के हैं – विनाशकारी जलवायु पूर्वानुमानों से लेकर, अधर मे लटकी एक अर्थव्यवस्था तक, और महिलाओं व लड़कियों पर बढ़ती पाबन्दियों तक, जो उन्हें समाज से बहिष्कृत करती हैं.”

संयुक्त राष्ट्र व उसकी साझीदार एजेंसियों की मानवीय सहायता कार्रवाई की बदौलत, बहुत से अफ़ग़ान लोगों को जीवित रखने, बुनियादी सेवाओं क जारी रखने और ऐसे समय में अर्थव्यवस्था में दम फूँकने में मदद मिली है, जब कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं हैं.

लगभग 30 लाख महिलाओं और लड़कियों सहित, लगभग 77 लाख लोगों को वर्ष 20221 के दौरान स्वास्थ्य देखभाल सहायता मुहैया कराई गई है, जिसकी बदौलत जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त मौतों को रोकने में मदद मिली है.

‘आशा की निर्धनता’

अफ़ग़ानिस्तान के एक गाँव में एक शिक्षा केन्द्र में कुछ लड़कियाँ
© UNICEF/Azizzullah Karimi
अफ़ग़ानिस्तान के एक गाँव में एक शिक्षा केन्द्र में कुछ लड़कियाँ

अलबत्ता, यूएन मानवीय सहायता एजेंसी OCHA ने आगाह किया है कि ज़रूरतों और असहाय व निर्बल परिस्थितियों की जड़ में बैठे ढाँचागत कारणों से निपटने के प्रयासों के अभाव में, भविष्य लगातार स्याह नज़र आ रहा है.

इस समय लगभग ढाई करोड़ अफ़ग़ान लोग निर्धनता में जीवन जी रहे हैं. उससे भी ज़्यादा इस वर्ष लगभग 9 लाख रोज़गार और आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो जाने की सम्भावना है क्योंकि कारोबार फलने-फूलने में संघर्ष कर रहे हैं, और महिलाएँ व लड़कियाँ सैकण्डरी स्कूली शिक्षा और औपचारिक अर्थव्यवस्था से बाहर हैं.

डॉक्टर रमीज़ अलअकबरोव ने जीवनरक्षक आवश्यकताएँ पूरी किये जाने और निर्बल हालात वाले समुदायों को समर्थन व सहायता देने की व्यापक प्रतिबद्धता की भी पुकार लगाई.

उन्होंने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान में लोगों ने लम्बे समय से वित्तीय निर्धनता देखी है, मगर अब वो लगातार बढ़ती एक ऐसी जीवन स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसमें आशा व आकांक्षा की निर्धनता है. हम ऐसा नहीं होने दे सकते हैं.”