ILO: कोविड-19 महामारी के प्रभावों से युवा कामगार सर्वाधिक प्रभावित

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, महामारी ने 15 से 24 वर्ष की आयु वाले लोगों में बहुती सारी अतिरिक्त समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं, जिन्हें इससे ज़्यादा उम्र के लोगों की तुलना में बेरोज़गारी के अधिक ऊँचे स्तर का सामना करना पड़ा है.
युवा महिलाओं को रोज़गार व कामकाज की तलाश करने में, उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में ज़्यादा संघर्ष करना पड़ा है, उधर अरब देशों में इस वर्ष के अन्त तक, वैश्विक औसत की तुलना में, युवा बेरोज़गारी के ज़्यादा ऊँचे स्तर का सामना करने की सम्भावना है.
आईएलओ में नीति मामलों की उप महानिदेशक मार्था न्यूटन का कहना है, “हम जानते हैं कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में, युवा श्रमिक बल बाज़ारों पर भारी तबाही मचाई है. इसने उन कमियों को भी उजागर कर दिया है कि युवा लोगों की ज़रूरतों से किस तरह निपटा जाता है, जिनमें पहली बार रोज़गार पाने वाले, स्कूली शिक्षा से बाहर होने वाले, कम अनुभव वाले नए स्नातक और ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्हें विवशता के कारण निष्क्रिय रहना पड़ता है.”
मार्था न्यूटन ने आईएलओ की ये रिपोर्ट जारी किये जाने के मौक़े पर कहा कि वर्ष 2020 में रोज़गार, शिक्षा और प्रशिक्षण के दायरे से बाहर रहने वाले युवाओं की संख्या बढ़कर 23.3 प्रतिशत हो गई.
रिपोर्ट के निष्कर्षों में ये भी शामिल है कि रोज़गार तलाश करने के मामले में, युवा पुरुषों की तुलना में, युवा महिलाएँ ज़्यादा ख़राब स्थितियों का सामना करती हैं.
इस वर्ष वैश्विक स्तर पर 10 से लगभग 3 युवा महिलाओं के, रोज़गार या आमदनी वाले कामकाज में बने रहने की सम्भावना है, जबकि युवा पुरुषों में ये आँकड़ा 10 में से 4 का है.
संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दो दशकों के दौरान लैंगिक अन्तर को कम करने में बहुत कम संकेत नज़र आए हैं और ये निम्न व मध्यम आय वाले देशों में सबसे ज़्यादा है.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी नवीनतम श्रम डेटा से ये भी संकेत मिलता है कि केवल उच्च आय वाले देशों में युवा बेरोज़गारी से उबरने में हालात कुछ बेहतर होने के अनुमान हैं, जोकि इस वर्ष के अन्त तक, 2019 के स्तर पर पहुँचे सकेगी.
यूएन श्रम एजेंसी ने समस्या के समाधान के लिये देशों की सरकारों से टिकाऊ हरित और नील (समुद्री) नीति उपाय लागू करने का आग्रह किया है.
रिपोर्ट के अनुसार ऐसा करके, वर्ष 2030 तक युवजन के लिये अतिरिक्त 84 लाख रोज़गार सृजित किये जा सकेंगे.
आईएलओ का कहना है कि डिजिटल प्रोद्योगिकियों में लक्षित संसाधन निवेश करने से भी, युवजन की बड़ी संख्या को रोज़गार उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक ब्रॉडबैण्ड इण्टरनेट की सार्वभौमिक कवरेज मुहैया कराकर, दुनिया भर में लगभग 2 करोड़ 40 लाख नए रोज़गार मुहैया कराए जा सकते हैं, जिनमें से लगभग 64 लाख रोज़गार युवजन को मिलेंगे.