म्याँमार: मानवता के विरुद्ध अपराध, व्यवस्थागत ढंग से जारी, यूएन रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि म्याँमार में व्यवस्थागत तरीक़े से मानवता के विरुद्ध अपराधों को अंजाम देना जारी है और मौजूदा संघर्षों में, महिलाएँ और बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
म्याँमार के लिये ‘स्वतंत्र अनवेषण समूह (प्रक्रिया)’ (IIMM) द्वारा अभी तक जुटाए गए सबूतों से संकेत मिलते हैं कि सुरक्षा बलों व सशस्त्र गुटों के सदस्यों ने यौन व लिंग आधारित अपराधों को अंजाम दिया है जिनमें यौन हिंसा के अन्य रूप और बच्चों के विरुद्ध अपराध भी शामिल हैं. ये सबूत इस रिपोर्ट में पेश किये गए हैं.
🔴 NEW!Evidence of #CrimesAgainstHumanity in #Myanmar is mounting, with women and children severely impacted.That's according to the Independent Investigative Mechanism for Myanmar in its 2022 annual report.READ IT HERE ▶️ https://t.co/v6VpXq3IQU pic.twitter.com/7baYbE8Hu7
UN_HRC
म्याँमार पर इस अन्वेषण प्रक्रिया के मुखिया निकोलस कौमजियान का कहना है, “महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध, गम्भीरतम अन्तरराष्ट्रीय अपराध हैं, मगर ये ऐसे अपराध भी हैं जिनकी ऐतिहासिक रूप से कम रिपोर्टिंग हुई है और ऐसे अपराधों की जाँच-पड़ताल भी कम होती है.”
गहन तथ्यात्मक संग्रह
रिपोर्ट के अनुसार, इस अन्वेषण या जाँच दल ने तीन वर्ष पहले अपना अभियान शुरू किया था और इस दौरान लगभग 200 स्रोतों से जानकारी व सूचनाओं के 30 लाख से ज़्यादा दस्तावेज़ एकत्र किये हैं.
इनमें इण्टरव्यू वक्तव्य, दस्तावेज़, वीडियो, तस्वीरें, सैटेलाइट छायाचित्र और सोशल मीडिया सामग्री शामिल है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि म्याँमार में बच्चों को प्रताड़ित किया गया, उन्हें सूचीबद्ध किया गया और मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया.
अन्वेषण दल के मुखिया निकोलस कौमजियान का कहना है, “हमारी टीम ने लक्षित पहुँच और जाँच-पड़ताल सुनिश्चित करने के लिये विशेषज्ञता समर्पित की है ताकि इन अपराधों के लिये अन्ततः मुक़दमा चलाया जा सके.”
व्यापक हनन
रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बहुत संकेत मौजूद हैं कि फ़रवरी 2021 में सेना द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद, देश में जिस पैमाने पर और तरीक़े से अपराध किये गए हैं उनसे आम नागरिक आबादी के विरुद्ध विशाल पैमाने पर और व्यवस्थागत हमलों का रूप बनता है. साथ ही सम्भावित आपराधिकता की प्रकृति का दायरा और भी बढ़ रहा है.
इनमें म्याँमार की सेना द्वारा 25 जुलाई 2022 को चार लोगों को फाँसी की सज़ा दिया जाना भी शामिल है. मृत्यु दण्ड दिये जाने के ये मामले यह रिपोर्ट तैयार किये जाने के बाद हुई.
निकोलस कौमजियान का कहना है, “इन अपराधों को अंजाम देने वालों को ये जानना होगा कि वो इस तरह दण्डमुक्ति के साथ अपने अपराध जारी नहीं रख सकते हैं. हम सबूत एकत्र करके उन्हें सहेज रहे हैं ताकि, एक दिन उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा.”
रोहिंज्या
ये रिपोर्ट ऐसे समय जारी की गई है जब पाँच साल पहले अगस्त 2017 में, म्याँमार के सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए तथाकथित सफ़ाई अभियानों के कारण लगभग दस लाख रोहिंज्या लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
रोहिंज्या समुदाय के लोगों को म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में, दशकों से व्यवस्थागत भेदभाव, देशविहीनता और लक्षित हिंसा का सामना करना पड़ा है.
2017 में लगभग सात लाख 45 हज़ार रोहिंज्या लोगों को हिंसक हमलों का निशाना बनाया गया, जिनमें चार लाख से ज़्यादा बच्चे थे, जिन्हें सुरक्षा की ख़ातिर बांग्लादेश भागना पड़ा.
उस समय जिन रोहिंज्या लोगों या तो निर्वासित किया गया या जबरन भगाया गया, उनमें से ज़्यादातर लोग अब भी शरणार्थियों या आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिये बनाए गए शिविरों में रह रहे हैं.