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पारम्परिक ज्ञान को संरक्षित रखने में आदिवासी महिलाओं के योगदान का जश्न

बोलिवियाई चाको के टेंटागुआसु समुदाय की एक स्वदेशी गुआरानी महिला ताड़ के पत्तों से बुनाई करती है.
WFP बोलीविया/अनानी शावेज़
बोलिवियाई चाको के टेंटागुआसु समुदाय की एक स्वदेशी गुआरानी महिला ताड़ के पत्तों से बुनाई करती है.

पारम्परिक ज्ञान को संरक्षित रखने में आदिवासी महिलाओं के योगदान का जश्न

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आदिवासी महिलाओं की आवाज़ बुलन्द करने का आहवान किया है, जो सर्वजन की ख़ातिर एक निष्पक्ष व न्यायपूर्ण भविष्य प्राप्ति के लिये महत्वपूर्ण है.

यूएन प्रमुख की ये अपील विश्व के आदिवासी जन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस  (International day of the world's indigenous peoples) के मौक़े पर जारी एक सन्देश में की गई है. ये दिवस हर वर्ष सालाना 9 अगस्त को मनाया जाता है.

इस वर्ष पारम्परिक ज्ञान को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में स्थानीय महिलाओं की भूमिका पर ख़ास ध्यान दिया गया है.

सांस्कृतिक चैम्पियन

यूएन महासचिन गुटेरेश ने कहा, “स्वदेशी महिलाएँ पारम्परिक खाद्य प्रणालियों और औषधियों की समझ रखने वाली होती हैं. वे स्वदेशी भाषाओं और संस्कृतियों की चैम्पियन हैं. वे पर्यावरण और आदिवासी जन के मानवाधिकारों की रक्षा करती हैं."

"एक समान और टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने के लिए, जिसमें कोई न पीछे रहे, हमें स्वदेशी महिलाओं की आवाज़ को बढ़ाना होगा".

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सूरीनाम की अपनी हाल ही की यात्रा को याद करते हुए कहा कि आदिवासी पारम्परिक ज्ञान अनेक सामान्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकता है. इस यात्रा के दौरान उन्होंने जाना कि कैसे समुदाय वर्षावन और इसकी समृद्ध जैव विविधता की रक्षा कर रहे हैं.

गुटेरेश ने देशों से आदिवासी जन के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक घोषणा को लागू करने और सभी के लाभ के लिये स्वदेशी पारम्परिक ज्ञान को बढ़ावा देने का आग्रह किया.

पोकोमची समुदाय की एक कृषि वैज्ञानिक डेबोरा सुक, ग्वाटेमाला में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के लिये काम करती हैं.
डब्ल्यूएफपी/नेल्सन पचेको
पोकोमची समुदाय की एक कृषि वैज्ञानिक डेबोरा सुक, ग्वाटेमाला में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के लिये काम करती हैं.

'हम सब एक समान हैं'

अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) अपने कुछ कर्मचारियों के योगदान को उजागर कर रहा है जो आदिवासी समुदायों से हैं.

ग्वाटेमाला की एक कृषि वैज्ञानिक डेबोरा सुक, पोकोमची जातीय समूह की पहली महिला हैं जिन्होंने विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है. 

सुक सैन क्रिस्टोबल नगरपालिका में डब्ल्यूएफपी फ़ील्ड तकनीशियन के रूप में काम करती हैं, जो उत्तर मध्य ग्वाटेमाला में अल्टा वेरापाज़ विभाग में स्थित है.

वह ग़रीबी और भूख को कम करने की दिशा में पोकोमची  और क्यू’एक्ची’ आदिवासी समुदायों में लचीली गतिविधियों के कार्यान्वयन का समर्थन करती हैं. इनके काम में कार्यशालाओं की मेज़बानी करना, बैठकों का नेतृत्व करना या परिवारों से उनके घरों में जाकर मिलना शामिल है.

"जब महिलाएँ मुझे कार चलाते हुए देखती हैं और मैं सूट पहने हुए बाहर निकलती हूँ, तो वे आश्चर्यचकित होती हैं और कहती हैं, 'हम जानते थे कि आप पोकोमची बोलती हैं, लेकिन हम नहीं जानते थे कि आप हम में से एक हैं'. मैं उन्हें समझाती हूँ कि हम सभी एक ही हैं और हम अलग-अलग काम कर सकते हैं".

सुक के साथ सैन क्रिस्टोबल में जैसा बर्ताव किया जाता है, वह विश्वविद्यालय में उनके अनुभव से कई प्रकाश वर्ष दूर है, जहाँ कुछ लोग उन पर अस्भय चुटकुले बनाते थे.

गरिमा व पूर्वाग्रह

ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद भी भेदभाव ख़त्म नहीं हुआ.

वह अपना अनुभव याद करते ह्ए कहती हैं, “जब मैं अपने सूट में कुछ जगहों पर जाती हूँ, तो वे मुझे तिरस्कारपूर्ण भाव से घूरते हैं. एक मौक़े पर, जब मैं शिक्षा से सम्बन्धित एक सरकारी संस्थान में एक कार्यशाला शुरू करने की प्रतीक्षा कर रही थी, तब वहाँ एक व्यक्ति को लगा कि मैं सफ़ाई करने वाली हूँ और उसने मुझे गन्दे बर्तन सौंप दिये. जब उन्हें पता चला कि मैं कार्यशाला कराने के लिए यहाँ आई हूँ, तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ.”

ग्वाटेमाला. WFP स्टाफ़ डेबोरा सुक, विश्व के आदिवासी जन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाने के एक मौक़े पर.
डब्ल्यूएफपी/नेल्सन पचेको
ग्वाटेमाला. WFP स्टाफ़ डेबोरा सुक, विश्व के आदिवासी जन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाने के एक मौक़े पर.

"वो पहले मुझे जिस तरह से देखते थे, उससे मैं बहुत निराश होती थी, लेकिन अब मैं इस पर ध्यान नहीं देती क्योंकि मुझे बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं कौन हूँ, मेरे माता-पिता कौन हैं और उस व्यक्ति पर जो मैं अब हूँ."

सबका सम्मान

सुक ने हमेशा अपनी नगर पालिका के बाहर काम किया था, लेकिन अब जब वह सैन क्रिस्टोबल लौट आई हैं तो उन्होंने कहा कि "मुझे बहुत सन्तोष है कि मैं अपने लोगों के लिये काम कर रही हूँ.” उन्हें अपने समुदाय के लिये प्रेरणा होने पर भी गर्व है.

उन्होंने कहा, "इससे ज़्यादा ख़ुशी की कोई बात नहीं है कि मैं अन्य लोगों को प्रेरित कर सकती हूँ और कह सकती हूँ के, 'देखो, अगर हमें शिक्षा लेने का मौक़ा नहीं मिला, तो अब इन प्रशिक्षणों के साथ आपके पास अन्य कौशल होंगे, आप अन्य चीजें सीखने जा रहे हैं.”

डब्ल्यूएफ़पी (WFP) ने सुक से पूछा कि वह अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर अपने सहयोगियों से क्या सीखना चाहेंगी.

उन्होंने कहा कि वह चाहती है कि अन्य लोगों को पता चले कि आदिवासी जन के पास सिद्धान्त हैं, और वे प्रकृति के लिये बहुत सम्मान रखते हैं, जिसका अर्थ है लोगों के लिये सम्मान.

"इसके अलावा, आदिवासी जन के बारे में कही जाने वाली कई नकारात्मक बातें सच नहीं हैं. हमारे पास अवसर नहीं थे, लेकिन जब हमने उन्हें हासिल किया, तो हम बहुत कुछ करने में सक्षम हैं.”