श्रीलंका में गम्भीर खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिये, 6.3 करोड़ डॉलर की अपील

श्रीलंका आर्थिक संकट की चपेट में है, जिससे लाखों लोग पर्याप्त भोजन, ईंधन, दवाओं और अन्य आवश्यक चीजें ख़रीदने में असमर्थ हैं. 63 लाख लोग खाद्य-असुरक्षा के शिकार हैं, 67 लाख लोग पोषक आहार नहीं ले पा रहे हैं और इस संकट के और गहराने की सम्भावना है. श्रीलंका में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) 34 लाख लोगों को आपातकालीन खाद्य सामग्री, पोषण और स्कूली भोजन प्रदान करने के प्रयासों में लगा है. यूएन न्यूज़ ने श्रीलंका में विश्व खाद्य कार्यक्रम के देश निदेशक, अब्दुर रहीम सिद्दीक़ी के साथ विस्तार से बातचीत करके, स्थिति की गम्भीरता का जायज़ा लिया.
यूएन न्यूज़: श्रीलंका के आर्थिक संकट का देश के लोगों की खाद्य और पोषण सम्बन्धी ज़रूरतों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
जवाब: आर्थिक संकट का प्रभाव सभी क्षेत्रों पर पड़ा है. हालाँकि, खाद्य और पोषण सुरक्षा, विशेष रूप से सरकार के जैविक कृषि की ओर बढ़ने और ग़ैर-जैविक उर्वरक पर प्रतिबन्ध लगाने के निर्णय से प्रभावित हुई है.
इससे, बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन और कृषि क्षेत्र पर असर पड़ा है. पिछले कृषि मौसम में, 'महर' के नाम से मशहूर चावल का उत्पादन लगभग 40% कम हो गया था और वर्तमान फ़सल 'येला' के आसार भी आशाजनक नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में इस मौसम में भी उत्पादन कम ही होने की अपेक्षा है.
यूएन न्यूज़: श्रीलंका जिस अभूतपूर्व खाद्य महंगाई और ईंधन संकट का सामना कर रहा है, उसके मद्देनज़र वहाँ ज़मीनी स्थिति क्या है?
जवाब: आप कल्पना कर सकते हैं कि खाद्य सुरक्षा को लेकर लोगों को वास्तव में कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होगा. हाल ही में डब्ल्यूएफ़पी और एफ़एओ ने संयुक्त रूप से फ़सल एवं खाद्य सुरक्षा मूल्यांकन किया है और उसकी रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 63 लाख लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं, मतलब यह कि वे नियमित रूप से पौष्टिक आहार नहीं ले पा रहे हैं.
भोजन की बढ़ती क़ीमतों के कारण, लोगों की दैनिक भोजन की ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, इसलिये लगभग 67 लाख लोग पूर्ण आहार का सेवन नहीं कर रहे हैं. अनुमान है कि लगभग 1 करोड़ 35 लाख लोग भोजन की कमी से मुक़ाबला करने के लिये, नियमित रूप से कम पसन्द का या कम पौष्टिक भोजन खाना और सीमित आहार लेने जैसी रणनीतियाँ अपनाने के लिये मजबूर हैं.
इनके अलावा आजीविका आधारित रणनीतियाँ भी अपनाई जा रही हैं, जैसेकि आय के सीमित अवसर होने के कारण अपनी बचत ख़र्च करने पर मजबूर होना, ऋण लेना, या अन्य वित्तीय सहायता मांगना आदि.
यूएन न्यूज़: कृषि क्षेत्र भी संकट में है. उत्पादन में गिरावट के क्या कारण हैं और क्या स्थिति और बिगड़ने की आशंका है?
जवाब: कम उत्पादन या भोजन की कमी के कारण विविध हैं. जैसा कि पहले कहा गया है कि इसका एक कारण था, आर्थिक संकट के बाद जैविक कृषि की ओर बदलाव का फ़ैसला. लेकिन अगर आप वर्तमान स्थिति से निपटने की बात करें, तो यह इस पर निर्भर करेगा कि सरकार और अन्य हितधारक कितनी तेज़ी से, तात्कालिक व मध्यवर्ती उपायों लागू करेंगे. उदाहरण के लिये, उर्वरक, बीज, कीटनाशक, ईंधन और बिजली की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है. जब तक हमारे पास इन वस्तुओं का आश्वासन और लगातार आपूर्ति नहीं होगी, कृषि को वापस खड़ा करना काफ़ी मुश्किल होगा.
यूएन न्यूज़: इस संकट का विभिन्न सामाजिक समूहों पर क्या प्रभाव पड़ा है? क्या आप ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग प्रभाव देखते हैं या फिर लैंगिक आधार पर या विकलांगों व ऐसे अन्य समूहों पर इसका अनुपातहीन रूप से प्रभाव पड़ा है?
जवाब: वर्तमान संकट का प्रभाव एक समान नहीं है. देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग असर पड़ा है. हमारे सामने, अलग-अलग पारिस्थितिक व जलवायु क्षेत्र हैं और हमने देखा है कि आमतौर पर सूखे क्षेत्रों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है.
सामान्यत: केन्द्रीय प्रान्त और उत्तरी प्रान्त सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. शहरों में रहने वाले ग़रीब वर्ग के लोग इस संकट से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, क्योंकि उनके पास आय के सीमित साधन हैं और वे इस तरह की खाद्य वस्तुओं की कमी के सीधे शिकार होते हैं.
एक तरफ़ तो, नियमित आय तक उनकी पहुँच नहीं होती, दूसरी ओर, उन्हें किराने के सामान पर निर्भर रहना पड़ता है.
किसी भी संकट की स्थिति में, आबादी का सबसे कमज़ोर वर्ग, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताएँ, बुज़ुर्ग लोग, विकलांग व्यक्ति, व 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं, और श्रीलंका के सन्दर्भ में यह सभी समान रूप से महत्वपूर्ण व प्रासंगिक हैं.
यूएन न्यूज़: क्या यूक्रेन का युद्ध भी देश में खाद्य संकट बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कारक रहा है?
जवाब: बिल्कुल! यूक्रेन में युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. खाद्य वस्तुओं और ईंधन की बढ़ती क़ीमतों का सीधा असर श्रीलंका पर भी पड़ा है.
उदाहरण के लिये श्रीलंका, गेहूँ, दालें, वनस्पति तेल और चीनी का आयात करता है. और निश्चित रूप से, इस युद्ध ने न केवल इन चीज़ों तक पहुँच कठिन बना दी है, बल्कि इससे आपूर्ति श्रृxखला की लागत भी बहुत बढ़ गई है.
श्रीलंका को, चाय के निर्यात से भी कुछ आय अर्जित करने का अवसर मिला था, जोकि यूक्रेन संकट से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. और यहाँ यूक्रेन और रूस से यात्री, पर्यटन के लिये भी आते थे, जिसपर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
यूएन न्यूज़: खाद्य सुरक्षा की स्थिति सुधारने के लिये डबल्यूएफ़पी किस तरह के प्रयास कर रहा है? अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया कैसी रही है?
जवाब: वर्तमान मानवीय संकट को दूर करने के लिये, WFP ने एक आपातकालीन अभियान शुरू किया है. हमने देश भर में 34 लाख लोगों को राहत पहुँचाने के लिये कार्ययोजना बनाई है. इनमें से 14 लाख लोगों को बिना शर्त भोजन सहायता मिलेगी, जिसका लक्ष्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, बुजुर्गों, विकलांगों आदि को लाभ पहुँचाना होगा.
दूसरा, लगभग 11 लाख बच्चों को स्कूली भोजन के लिये सहायता दी जाएगी. तो यह मूल रूप से एक स्कूल आधारित कार्यक्रम होगा. WFP, इन बच्चों को चावल और दाल का भोजन सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा. और तीसरा, हम श्रीलंका की आबादी के पोषण सम्बन्धी पहलुओं पर काम करेंगे.
तो स्तनपान कराने वाली लगभग दस लाख माताओं और गर्भवती महिलाओं व 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मिला-जुला पोषक भोजन मुहैया कराया जाएगा.
यूएन न्यूज़: भविष्य की राह क्या है? खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की सहायता के लिये और क्या किये जाने की आवश्यकता है?
जवाब: हालाँकि, डब्ल्यूएफ़पी आपातकालीन खाद्य सहायता पहुँचाने के लिये मुस्तैद है, लेकिन यह काफ़ी नहीं है. इसलिये यह बहुत ज़रूरी है कि कृषि अपनी सामान्य स्थिति पर वापस आ जाए. इसलिये, जबकि डब्ल्यूएफ़पी तत्काल खाद्य सुरक्षा स्थिति से निपटने में मदद कर रहा है,
हम यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि छोटे किसानों की स्थिति में समग्र सुधार हो, और उन्हें उर्वरकों, बीजों, कीटनाशकों व ईंधन तक पर्याप्त पहुँच हासिल हो सके, ताकि वे जल्द से जल्द दोबारा खेती शुरू कर सकें.
हालाँकि, मैं यह कहना चाहूँगा कि हमें अपनी मौजूदा कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिये 6 करोड़ 30 लाख डॉलर की आवश्यकता है. आज तक हम, आवश्यक धनराशि का केवल एक तिहाई भाग ही जुटा पाए हैं. मैं, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करता हूँ कि वे डब्ल्यूएफ़पी की मदद के लिये आगे आएँ, ताकि हम कार्ययोजना लागू करके, जल्द से जल्द 34 लाख लोगों तक पहुँचने में सक्षम हो सकें.