श्रीलंका: महिलाओं की ‘तात्कालिक’ स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिये लगभग एक करोड़ डॉलर की अपील

संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी, UNFPA ने कहा है कि वो श्रीलंका में महिलाओं और लड़कियों के सुरक्षित रूप से बच्चों को जन्म देने और लिंग आधारित हिंसा-रहित जीवन जीने के अधिकारों की रक्षा के प्रयासों का नेतृत्व कर रही है.
श्रीलंका में यूएनएफ़पीए के प्रतिनिधि कुनले अदेनियि ने सोमवार को एक वक्तव्य में कहा, "यूएनएफ़पीए, महिलाओं और लड़कियों की स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सम्बन्धित महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध है.”
उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान, मौजूदा संकट के दीर्घकालिक नतीजों को कम करने के लिये, यौन, प्रजनन स्वास्थ्य और लिंग आधारित हिंसा के जवाब में सेवाओं को मज़बूत करने पर है.”
.@UNFPA is on the ground working to address the urgent needs of women and girls in #SriLanka amidst the #EconomicCrisisLK and has launched an appeal for $10.7 million to reach 2 million of the most vulnerable.More info➡️ https://t.co/K12m7V64Uv pic.twitter.com/xXFcqq1AnG
UNFPASriLanka
एक करोड़ 7 लाख अमेरिकी डॉलर की अपील के साथ-साथ, UNFPA, अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व अन्तरराष्ट्रीय और स्थानीय भागीदारों के साथ समन्वित कार्रवाई में लगा है, ताकि अगले छह महीनों में, श्रीलंका में 20 लाख से अधिक महिलाओं और लड़कियों को जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा सके.
श्रीलंका आज़ादी के बाद से अपने सबसे ख़राब सामाजिक-आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.
देश में कभी मज़बूत रही स्वास्थ्य प्रणाली, बिजली, महत्वपूर्ण आपूर्ति, उपकरण और दवा की कमी के कारण लड़खड़ा रही है और ढहने के कगार पर है.
इस कारण मातृ स्वास्थ्य देखभाल और गर्भनिरोधक तक पहुँच सहित यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण पर भी गम्भीर असर पड़ा है.
यूएनएफ़पीए की कार्यकारी निदेशक, डॉक्टर नतालिया कनेम ने कहा, "श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट का महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य, अधिकारों एवं सम्मान पर व्यापक असर पड़ेगा.”
ख़ासतौर पर, लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के लिये, प्रमुख सेवाओं तक पहुँच प्रभावित हुई है.
मई 2022 का संयुक्त राष्ट्र का एक सर्वेक्षण दर्शाता है कि स्वास्थ्य, पुलिस, आश्रय और हॉटलाइन जैसी सेवाओं व वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण, महिलाओं और लड़कियों की हिंसा के प्रति सम्वेदनशीलता भी बढ़ रही है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, अगले छह महीनों में लगभग 60 हज़ार महिलाओं को सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.
यूएनएफ़पीए प्रमुख ने कहा, “फिलहाल यूएनएफ़पीए की प्राथमिकता, उनकी विशिष्ट ज़रूरतों का जवाब देना और जीवन रक्षक स्वास्थ्य देखभाल व सुरक्षा सेवाओं तक उनकी पहुँच को सुरक्षित रखना है."
यूएनएफ़पीए ने अपनी अपील के तहत, आपातकालीन और प्रसूति देखभाल समेत अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिये दवाएँ, उपकरण एवं आपूर्ति वितरण करने, व बलात्कार एवं घरेलू हिंसा के नैदानिक प्रबन्धन की योजना बनाई है, जिससे 12 लाख लोगों की प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताएँ पूरी की जा सकें.
इसके अलावा, यूएनएफ़पीए, प्रजनन स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाओं जैसी ज़रूरतों के लिये, 37 हज़ार से अधिक महिलाओं को नक़दी व वाउचर सहायता प्रदान कर रहा है.
साथ ही, यूएनएफ़पीए यह सुनिश्चित कर रहा है कि देश भर में 5 लाख महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ख़तरे के संकेतों की जानकारी मिल सके; और क्षमता मज़बूत करने के लिये 1250 दाइयों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का लक्ष्य है – 10 आश्रयों में लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के लिये सेवाओं का विस्तार करना व उपलब्ध सेवाओं व सहायता के साथ-साथ, 2 लाख 86 हज़ार महिलाओं एवं लड़कियों को लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के बारे में जानकारी प्रदान करना.
यूएनएफ़पीए ने विस्तार से बताया कि वह लिंग आधारित हिंसा के जोखिम को कम करने के लिये आजीविका कार्यक्रम के ज़रिये साढ़े बारह हज़ार महिलाओं को सहारा देगा. चार हज़ार किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता सामग्री की आपूर्ति प्रदान करेगा; और लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के लिये सुरक्षा व सहायता प्रणाली मज़बूत करने के प्रयासों का नेतृत्व एवं समन्वय करेगा.
श्रीलंका में UNFPA की सहायता कार्रवाई, संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू की गई मानवीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं की योजना का हिस्सा है, जिसमें जून और सितम्बर के बीच 17 लाख लोगों की मदद के लिये, 4 करोड़ 70 लाख डॉलर के योगदान का आहवान किया गया है.