वैश्विक खाद्य क़ीमतों में जुलाई में बड़ी गिरावट, मगर भविष्य की आपूर्ति पर चिन्ता बरक़रार
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने शुक्रवार को कहा है कि फ़रवरी में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने पर खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में रिकॉर्ड उछाल आने के बाद, जुलाई में लगातार पाँचवें महीने, इन क़ीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है.
यूएन एजेंसी ने अपना नवीनतम खाद्य मूल्य सूचकांक प्रकाशित किया है, जिसकी उत्सुकता से प्रतीक्षा थी. ये सूचकांक पाँच अहम खाद्य वस्तुओं – अनाज, वनस्पति तेल, दुग्ध उत्पादों, मांस और चीनी के अन्तरराष्ट्रीय मूल्यों की निगरानी करता है.
The @FAO Food Price Index averaged 140.9 points in July, 🔻8.6% from June, marking the 4th consecutive monthly decline. Major cereal & vegetable oil prices recorded double-digit percentage decline.The Index remained 13.1 % higher than in July 2021.👉 https://t.co/YW5pp7MWEg pic.twitter.com/m3IZaJQntg
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खाद्य मूल्य सूचकांक का औसत जुलाई में 140.9 अंक रहा, अर्थात जून से 8.6 अंक नीचे. इसमें मूख्य भूमिका वनस्पति तेल में दो अंकों के प्रतिशत की गिरावट की है, मगर साथ ही, हाल में यूक्रेन के अनाज निर्यात के लिये हुए समझौते का भी महत्वपूर्ण योगदान है.
भिन्नता मगर स्वागतयोग्य
खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो का कहना है, “खाद्य वस्तुओं के बहुत उच्च दामों में ये गिरावट स्वागतयोग्य है, विशेष रूप में खाद्य उपलब्धता के नज़रिये से.”
“अलबत्ता अब भी बहुत सी अनिश्चितताएँ क़ायम हैं, जिनमें उर्वरकों के उच्च दाम भी शामिल हैं, जिनसे भविष्य की उत्पादन सम्भवनाएँ और किसानों की आजीविकाएँ प्रभावित हो सकती हैं. साथ ही एक एक स्याह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, और मुद्रा की अस्थिरता, ये सभी कारक मिलकर, वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये गम्भीर दबाव उत्पन्न कर रहे हैं.”
जुलाई में वनस्पति मूल्य सूचकांक में, जून की तुलना में 19.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जोकि 10 महीनों में सबसे निचली दर है.
काला सागर निर्यात समझौता
अनाज मूल्य सूचकांक में भी जुलाई में 11.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, अलबत्ता ये जुलाई 2021 की तुलना में अब भी 16.6 प्रतिशत ऊँचा है.
सूचकांक में सभी अनाजों के मूल्यों में गिरावट हुई, जिसमें सबसे ज़्यादा फ़ायदा गेहूँ को हुआ.
संगठन का कहना है कि गेहूँ की वैश्विक क़ीमतों में 14.5 प्रतिशत की गिरावट हुई, जिसमें कुछ हाथ रूस-यूक्रेन के दरम्यान, काला सागर से होकर अनाज निर्यात के लिये हुए समझौते का भी है. इसमें संयुक्त राष्ट्र और तुर्कीये का भी सक्रिय सहयोग व समर्थन रहा है.
‘मीठा’ समाचार
चीनी मूल्य सूचकांक में, वैश्विक आर्थिक मन्दी का दायरा और फैलने की अपेक्षाओं के बीच, लगभग चार प्रतिशत की गिरावट हुई. इन हालात में ब्राज़ील की मुद्रा कमज़ोर हुई है. साथ ही परिशोधित स्पिरिट (Ethanol) की कम क़ीमतों की बदौलत, पहले की अपेक्षा से कहीं ज़्यादा चीनी का उत्पादन होना भी एक वास्तविक कारक रहा है.
चीनी की क़ीमतों में गिरावट में, भारत में उत्पादन में बढ़ोत्तरी और ज़्यादा निर्यात के संकतों का भी अहम योगदान रहा है. इस बीच योरोपीय संघ के देशों में गर्म और सूखे मौसम की वजह से भी चीनी की मूल फ़सलों के बारे में चिन्ताएँ भी व्याप्त कर दीं जिनसे मूल्यों मे तेज़ गिरावट हुई.
खाद्य व कृषि संगठन ने बताया है कि दुग्ध उत्पादकों के यानि डेयरी मूल्य सूचकांक में 2.5 प्रतिशत की गिरावट हुई, हालाँकि ये अब भी जुलाई 2021 की तुलना में 25.4 प्रतिशत ज़्यादा है.
दुग्ध पाउडर और मक्खन के मूल्यों में भी गिरावट दर्ज की गई, मगर योरोपीय संघ के पर्यटन स्थलों पर मांग बढ़ने के कारण, पनीर मूल्य स्थिर रहे.
मांस की मिश्रित तस्वीर
मांस के मूल्यों में भी गिरावट जारी रही जोकि जून की तुलना में आधा प्रतिशत नीचे आए, इसमें बड़ा हाथ आयात मांगों का कमज़ोर पड़ना रहा.
हालाँकि पक्की आयात मांग बढ़ने की बदौलत मुर्ग़ी परिवार के मांस के दाम अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गए. साथ ही, उत्तरी गोलार्द्ध में ऐवियन फ़्लू संक्रमण फैलने के कारण कम आपूर्ति का भी हाथ रहा.
यूएन एजेंसी का मांस मूल्य सूचकांक जून की तुलना में, जुलाई में 0.5 प्रतिशत कम रहा और इसमें गोजातीय सांड, भेड़-बकरियों और सुअर के मांस की मांग कमज़ोर पड़ने का हाथ रहा है.
दूसरी तरफ़ मुर्ग़ी परिवार के मांस के दाम अभी तक की सबसे ज़्यादा ऊँचाई पर पहुँचे.