आसमान छूती महंगाई के बीच, ऊर्जा कम्पनियों का विशाल मुनाफ़ा 'अनैतिक'
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को कहा है कि यूक्रेन में युद्ध द्वारा तबाही मचाए जाने के दौरान ही, दुनिया भर में आसमान छूती ऊर्जा क़ीमतें करोड़ों लोगों के लिये, जीवन यापन करने की लागत को और ज़्यादा जटिल व विशाल बना रही हैं. उन्होंने खाद्य, ऊर्जा और वित्त पर वैश्विक संकट प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई समूह (GCRG) की ताज़ा जानकारी के बारे में बुलाई गई प्रैस वार्ता में ये बात कही.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि प्रमुख तेल व गैस कम्पनियाँ एक तरफ़ रिकॉर्ड उच्च मुनाफ़ा दर्ज कर रही हैं, जबकि क़ीमतें आसमान छू रही हैं.
.@UN Global Crisis Response Group warns more people are now at risk of extreme poverty in their latest brief.Working closely with the GCRG, the @JointSDGFund's $22.9million initiative empowers @UN teams to respond to the impacts of our current triple crisis.@RGrynspan @UNCTAD pic.twitter.com/l66Lm4DmTM
JointSDGFund
यूएन प्रमुख ने कहा, “इस वर्ष की पहली तिमाही में, विशालतम ऊर्जा कम्पनियों का संयुक्त मुनाफ़ा लगभग 100 अरब डॉलर था.”
ऐसे में उन्होंने देशों की सरकारों से इन अत्यधिक मुनाफ़ों पर ज़्यादा टैक्स लगाने और उस धनराशि का प्रयोग, इन बहुत मुश्किल हालात में, निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों को सहायता व समर्थन बढ़ाने के लिये प्रयोग करने का आग्रह किया.
हरित ऊर्जा को धन उपलब्धता
जीसीआरजी का गठन यूएन प्रमुख ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनज़र किया था जिसकी ताज़ा जानकारी में देशों की सरकारों से, ऊर्जा समाधान तलाश करने के लिए प्रभावशील धन उपलब्धता की सिफ़ारिश की गई है, मसलन निर्बल परिस्थितियों वाले समुदायों को संरक्षण मुहैया कराने के लिये, नक़दी हस्तान्तरण और रियायत वाली नीतियों को सार्वजनिक धन की उपलब्धता.
इनमें विशाल तेल व गैस कम्पनियों पर विशेष टैक्स लगाना और किफ़ायती नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों की तरफ़ बढ़ने की हिमायत करना भी शामिल है.
इसमें हालाँकि ये भी कहा गया है कि बढ़ती ऊर्जा क़ीमतें, विकासशील देशों, विशेष रूप से निर्बल समुदायों को, मूल्यों के आधार पर ऊर्जा बाज़ारों से बाहर कर सकते हैं.
विकासशील देश, कोविड-19 महामारी शुरू होने से लेकर ही, रहन-सहन बहुत महंगा होने के संकट का सामना कर रहे हैं, और किफ़ायती ऊर्जा की उपलब्धता में भी बड़ी कठिनाइयों का अनुभव कर रहे हैं.
असरदार विकल्पों का अभाव
समूह की जानकारी में ईंधन के लिये बौखलाहट वाले सम्भावित हालात उत्पन्न होने के बारे में और भी ज़्यादा चिन्ता के बारे में आगाह किया गया है जिस स्थिति में केवल धनी देश ही ऊर्जा की उपलब्धता के लिये संसाधन अदा कर सकेंगे क्योंकि क़ीमतें लगातार बढ़ रही हैं.
“देशों की सरकारों को अपनी निर्बल परिस्थितियों वाली आबादियों समर्थन मुहैया कराने के लिये वित्तीय स्थान की दरकार होगी ताकि ऊर्जा निर्धनता के बदतर स्तरों को टाला जा सके या ऊर्जा की उपलब्धता बिल्कुल खो देने के हालात से बचा जा सके.”
यूएन प्रमुख ने कहा, “विकासशील देशों के पास, नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों में संसाधन निवेश करने के कारणों का अभाव नहीं है. उनमें से बहुत से देश पहले ही तूफ़ानों, बाढ़, और सूखा जैसे जलवायु संकटों के साथ जीवन यापन कर रहे हैं.”
“उनके पास जिस चीज़ की कमी है वो हैं ठोस, कारगर विकल्प.”
अक्षय ऊर्जा की तरफ़ चलें
समूह की ये ताज़ा जानकारी, यूक्रेन के काला सागर बन्दरगाहों से होकर, वैश्विक बाज़ारों के लिये खाद्य सामग्री के निर्यात के अनुमति देने वाले ऐतिहासिक काला सागर अनाज निर्यात समझौते पर, 22 जुलाई को, संयुक्त राष्ट्र, रूस, यूक्रेन और तुर्कीये के दरम्यान हस्ताक्षर होने के कुछ ही समय बाद जारी की गई है.
और समूह की इस ताज़ा जानकारी में स्पष्ट किया गया है कि यूक्रेन में युदध और उससे उत्पन्न वैश्विक ऊर्जा संकट, इस बात के मुखर संकेतक हैं कि ऊर्जा सहनशीलता और अक्षय ऊर्जा की तरफ़ बढ़त के लिये और ज़्यादा तेज़ प्रयासों की दरकार है.
अलबत्ता, जैसाकि यूएन महासचिव ने रेखांकित किया कि ऐसी नीतियाँ मौजूद हों जिनमें अक्षय ऊर्जा की तरफ़ इस बढ़त से प्रभावित लोगों व समुदायों को वास्तविक समर्थन व मदद के उपाय शामिल हों.
समूह की ब्रीफ़ में ज़ोर देकर कहा गया है कि इस सबके लिये काफ़ी ज़्यादा वैश्विक संसाधन निवेश की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास संगठन – UNCTAD की महासचिव और जीसीआरजी की ब्रीफ़ संयोजक रिबेका ग्रिन्सपैन ने इस मौक़े पर कहा “हमें विकासशील देशों और दुनिया के ऊर्जा निर्धन देशों के लिये, वित्तीय और प्रोद्योगिकी हस्तान्तरण तेज़ करना होगा.”