बेरूत विस्फोट की अन्तरराष्ट्रीय जाँच कराने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद से, दो वर्ष पहले लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भीषण विस्फोट की अन्तरारष्ट्रीय जाँच कराने की मांग की है ताकि उस विस्फोट में हताहत हुए लोगों के लिये न्याय सुनिश्चित किया जा सके.
बेरूत में 4 अगस्त 2020 को वो भीषण विस्फोट बन्दरगाह के एक गोदाम में बड़ी मात्रा में रखे गए अमोनियम नाइट्रेट के ज़रिये हुआ था और उसमें 200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, साथ ही राजधानी के व्यापक इलाक़े में भारी तबाही हुई थी.
🇱🇧#Lebanon: On the second anniversary of the #BeirutBlast, UN experts call on the Human Rights Council to launch an international investigation, saying victims must have justice & accountability.https://t.co/wLTwbHX0xQ pic.twitter.com/lsD599kMd4
UN_SPExperts
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR द्वारा जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में, इन यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि उस विस्फोट के कारण लगभग 77 हज़ार आवास इकाइयाँ (Apartments) ध्वस्त हो गए थे, लगभग सात हज़ार लोग घायल हुए थे, और क़रीब तीन लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था, जिनमें लगभग 80 हज़ार बच्चे थे.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि ये अत्यन्त दुखद घटना, हाल के इतिहास में ग़ैर-परमाणु विस्फोट की सबसे बड़ी तबाही है, इसके बावजूद दुनिया ने यह जानकारी हासिल करने के लिये कुछ नहीं किया है कि आख़िरकार ये विस्फोट हुआ कैसे.
उन्होंने कहा है, “उस विस्फोट को दो वर्ष पूरे हने के मौक़े पर हम बेहद निराश हैं कि लेबनान के लोगों को अब भी न्याय मिलने की प्रतीक्षा है, और हम बिना किसी देरी के एक अन्तरराष्ट्रीय जाँच, शुरू किये जाने का आहवान करते हैं.”
यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त अन्तरराष्ट्रीय स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, मानवाधिकार किसी मुद्दे या किसी देश की स्थिति पर जाँच-पड़ताल करके रिपोर्ट तैयार करते हैं. वो यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं, और ना ही उन्हें उनके काम के लिये संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.
वर्ष 2020 के बेरूत विस्फोट के बाद, संयुक्त राष्ट्र के 37 मानवाधिकार विशेषज्ञों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी करके लेबनान सरकार और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, न्याय और भरपाई व मुआवज़े की पुकारों को पूरा करने के लिये, प्रभावशाली कार्रवाई करने का आहवान किया था.
विशेषज्ञों ने कहा कि उसके बावजूद, देश की जाँच प्रक्रिया अनेक बार बाधित हुई है. इसलिये पीड़ितों के परिवारों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, मानवाधिकार परिषद के तहत एक स्वतंत्र जाँच प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है.
उन्हें उम्मीद है कि ये जाँच ऐसे सवालों के जवाब मुहैया करा सकेगी जिसमें लेबनान सरकार नाकाम रही है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि उस विस्फोट और उसके बाद के हालात ने, लेबनान में एक ग़ैर-ज़िम्मेदार सरकार की व्यवस्थागत समस्याओं और देश में बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक बार फिर ध्यान केन्द्रित कर दिया है.
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने हाल ही में लेबनान की यात्रा की है और पाया कि उस विस्फोट के लिये जवाबदेही अभी निर्धारित की जानी है. तबाह हुए इलाक़े अब भी मलबे के रूप में ही मौजूद हैं और अन्तरारष्ट्रीय समुदाय से पुनर्निर्माण के लिये प्राप्त हुआ धन, बहुत कम मात्रा में ही सही लाभार्थियों तक पहुँच पाया है.
संकटों से ग्रस्त लेबनान में खाद्य सामग्री और संसाधनों तक पहुँच के लिये अब भी गम्भीर जोखिम है.
लेबनान अपनी आबादी की खाद्य आवश्यकताओं के लगभग 80 प्रतिशत हिस्से का आयात करता है, और उस विस्फोट ने देश के मुख्य आगमन मार्ग और अनाज भण्डारों को ध्वस्त कर दिया था.