सिंगापुर: मृत्यु दण्ड पर तुरन्त रोक का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा है कि सिंगापुर को, ड्रग अपराधों के दोषियों को मृत्युदण्ड दिये जाने पर स्वैच्छिक रोक लगानी होगी. उनका ये वक्तव्य ड्रग तस्करी में एक 64 वर्षीय व्यक्ति को हाल ही में, मृत्यु दण्ड दिये जाने के सन्दर्भ में आया है और नज़ेरी, इस वर्ष मृत्यु दण्ड दिये जाने वाले पाँचवे व्यक्ति हैं.
मलय मूल के एक सिंगापुरी नागरिक नज़ेरी बिन लाजिम को अप्रैल 2012 में, एक नशीले पदार्थ – diamorphine की 33 ग्राम से अधिक मात्रा की तस्करी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
Experts condemn #Singapore's execution of #NazeriBinLajim, convicted of #drug offenses - the 5th hanging this year - and called for a moratoriun on the #deathpenalty 👉https://t.co/8eAFw11oqi pic.twitter.com/20MZMSR1Eg
UN_SPExperts
नज़ेरी को गत शुक्रवार, 22 जुलाई को मृत्यु दण्ड दिया गया था.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में कहा है, “अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत प्रावधान हैं कि जिन देशों ने मृत्यु दण्ड को अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं किया है, वो ‘अत्यन्त गम्भीर अपराधों’ में ही मृत्यु दण्ड दे सकते हैं जिनमें इरादतन हत्या के अपराध शामिल हैं.”
“ड्रग अपराध, स्पष्ट रूप से इस मानदण्ड को पूरा नहीं करते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि सिंगापुर में इस वर्ष मृत्यु दण्ड की सूचनाओं में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
“हम चिन्तित हैं कि जन लोगों को ड्रग सम्बन्धित अपराधों के लिये मृत्यु दण्ड दिया जा रहा है, उनमें अनुपात से अधिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं जो वंचित पृष्ठभूमि से सम्बन्ध रखते हैं, जैसाकि नज़ेरी बिन लाजिम का मामला है.”
“इस चलन से मलय समुदाय और निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव साबित होता है.”
विशेषज्ञों ने कहा कि नज़ेरी बिन लाजिम को इन दावों के बावजूद मृत्यु दण्ड दिया गया कि वो लम्बे समय से नशीले पदार्थों के सेवन का आदि था, और डायमॉर्फ़ीन की ज़्यादातर मात्रा, उसके अपने सेवन के लिये रही होगी.
उससे भी अलग, उसके पास से ड्रग पदार्थों की जो अन्य मात्रा बरामद की गई वो, देश के मृत्यु दण्ड के दायरे को साबित करने के लिये, 15 ग्राम की अधिकतम सीमा से ज़्यादा नहीं रही होगी.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, क़ानूनी पेशेवरों और मानवाधिकार पैरोकारों पर बढ़ते दबाव और उनके उत्पीड़न की ख़बरों के बारे में भी अत्यन्त गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है, जो मृत्यु दण्ड के विरुद्ध तरीक़ों से अभियान चलाते हैं.
इनमें ऐसे कार्यकर्ता और क़ानूनी पेशेवर भी शामिल हैं जो मृत्यु दण्ड सुनाए गए लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इस चलन के, नागरिक समाज पर पड़ने वाले अत्यन्त गम्भीर प्रभाव पर भी चिन्ता जताई गई है.
उनका कहना है, “मृत्यु दण्ड के विरुद्ध राय व्यक्त करने और उसके विरुद्ध प्रदर्शन करने को, किसी भी लोकतांत्रिक देश में सहन किया जाना चाहिये.”
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सिंगापुर से, ऐसे अभियुक्तों को आगे मृत्यु दण्ड दिये जाने को स्थगित करने का आग्रह किया है जिन्हें ड्रग अपराधों में मौत की सज़ा सुनाई गई है; और उनकी सज़ा को, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और मानकों के अनुरूप, आजीवन कारावास में तब्दील करने का आग्रह किया है.
देश के अधिकारियों से, मृत्यु दण्ड को पूरी तरह ख़त्म करने के नज़रिये के साथ – उन पर तत्काल पूरी तरह स्वैच्छिक रोक लगाए जाने की पुकार भी लगाई गई है.
देश की सरकार से मृत्यु दण्ड के दायरे की समीक्षा करने का भी आग्रह किया है, विशेष रूप से ड्रग सम्बन्धित अपराधों को लेकर, ये सुनिश्चित करने के लिये कि मृत्यु दण्ड की सज़ा सुनाया जाना और उन पर अमल करना, सख़्ती से ऐसे मामलों तक ही सीमित हो जो इरादतन हत्या से जुड़े हों.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “हम दोहराते हुए कहते हैं कि अनिवार्य मृत्यु दण्ड का प्रयोग करने में, किसी व्यक्ति को उसके जीवन से मनमाने तरीक़े से वंचित किया जाना शामिल है, क्योंकि ऐसा, अभियुक्तों की निजी परिस्थितियों या उनके विशिष्ट अपराध की परिस्थितियों पर व्यापक विचार किये बिना ही, मृत्यु दण्ड दिया जाता है.”
“अनिवार्य मृत्यु दण्ड अपनी प्रकृति में ही मनमाना है और ‘सर्वाधिक गम्भीर अपराधों’ के मामलों में ही मृत्यु दण्ड दिये जाने की सीमाओं से मेल नहीं खाता है.”
ये वक्तव्य जारी करने वाले, 11 यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद ने, न्यायेतर, त्वरित और मनमाने तरीक़े से मृत्यु दण्ड दिये जाने की स्थितियों की निगरानी करने और रिपोर्ट तैयार करने के लिये की हुई है. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ किसी देश की सरकार से स्वतंत्र होते हैं, वो अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं, और वो संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ़ नहीं होते हैं, और उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भुगतान भी नहीं होता है.