बच्चों को नए 'अस्पष्ट तीव्र हेपेटाइटिस' के प्रकोप का जोखिम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर चेतावनी देते हुए कहा कि विश्व इस समय एक नए प्रकोप, “अस्पष्ट तीव्र हेपेटाइटिस संक्रमण" का सामना कर रहा है जो बच्चों को प्रभावित कर रहा है.
वर्तमान बढ़ोतरी से हेपेटाइटिस के अत्यन्त गम्भीर संक्रमण के ऐसे हज़ारों मामलों पर ध्यान केन्द्रित है जो हर साल बच्चों, किशोरों और वयस्कों में होते हैं.
हेपेटाइटिस का इलाज करें
डब्ल्यूएचओ, प्रभावित देशों के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर इस संक्रमण के कारण को समझने के लिए काम कर रहा है जोकि ज्ञात पांच प्रकार के हेपेटाइटिस वायरस: ए, बी, सी, डी और ई में से किसी से सम्बन्धित नहीं है.
Hepatitis B can be easily passed from mother to baby at birth. On Thursday's #WorldHepatitisDay, @WHO is urging countries to ensure all pregnant women can be tested to prevent transmission to their babies. https://t.co/i14SxJQPdw pic.twitter.com/yncLFE5Q7O
UN
वैसे तो दुनिया में क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस की पहचान, उपचार और रोकथाम के लिए मार्गदर्शन और उपकरण मौजूद हैं परन्तु ये सेवाएँ अक्सर समुदायों की पहुँच से बाहर होती हैं और कभी-कभी केवल केन्द्रीकृत या विशेष अस्पतालों में ही उपलब्ध होती हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस के लिये अपने सन्देश में कहा, "अधिक प्रभावशाली होने के लिये, मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से समुदायों में हेपेटाइटिस देखभाल प्रदान की जानी चाहिये और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकृत किया जाना चाहिये."
जोखिम में
हालाँकि अधिकांश तीव्र संक्रमणों से हल्की बीमारी होती हैं और यहाँ तक कि कई बार तो संक्रमण का पता नहीं चल पाता है, मगर कुछ मामलों में जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं और ये संक्रमण घातक साबित हो सकता है.
केवल वर्ष 2019 में, तीव्र हेपेटाइटिस ए से ई संक्रमण की जटिलताओं के कारण दुनिया भर में अनुमानित 78 हज़ार लोगों की मौत हुई.
सार्वभौमिक प्रयास हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमणों के उन्मूलन को प्राथमिकता देते हैं.
तीव्र वायरल हेपेटाइटिस से अलग, इसके बी, सी और डी प्रकार, बीमारी का कारण बनते हैं, जो कई दशकों तक रहती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष दस लाख से अधिक मौतें सिरोसिस और यकृत (Liver) कैंसर से होती हैं. और वो, हेपेटाइटिस से होने वाली, 95 प्रतिशत से अधिक मौतों के लिये ज़िम्मेदार हैं.
हर 30 सेकण्ड में एक मौत
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि हर 30 सेकण्ड में किसी ना किसी की मौत, हेपेटाइटिस सम्बन्धित बीमारियों से हो जाती है, जिनमें यकृत की नाकामी, सिरोसिस और कैंसर शामिल हैं.
इनके अलावा, बीमारी से पीड़ित लगभग 80 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य देखभाल पाने में असमर्थ हैं.
यूए स्वास्थ्य एजेंसी ने 2030 तक हेपेटाइटिस को ख़त्म करने के लक्ष्य के साथ, देशों से चार विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति का आहवान किया है.
इसका उद्देश्य हेपेटाइटिस बी और सी के नए संक्रमण मामलों को 90 प्रतिशत तक कम करना है; हेपेटाइटिस सम्बन्धित सिरोसिस और यकृत कैंसर से मौतों को 65 प्रतिशत तक कम करना; ये सुनिश्चित करना है कि हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से ग्रस्त कम से कम 90 प्रतिशत लोगों का उपचार किया जाए; और उपचार के लिये योग्य पाए जाने वाले लोगों में से कम से कम 80 प्रतिशत उचित उपचार प्राप्त कर सकें.
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, "2030 तक वैश्विक उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, परीक्षण और उपचार के बीच के अन्तर को कम करना सबसे महत्वपूर्ण है."
कार्रवाई की पुकार
डब्ल्यूएचओ सभी सरकारों और भागीदारों से सम्भावित घातक बीमारी के ख़िलाफ़ "प्रभावशाली उपकरणों के उपयोग में बढ़ोतरी" का आहवान कर रहा है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने डब्ल्यूएचओ की एक नई रिपोर्ट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ब्राजील, मिस्र, जॉर्जिया, मंगोलिया, रवाण्डा, थाईलैण्ड और ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के उपकरणों व दिशानिर्देशों को लागू करके, किस तरह हेपेटाइटिस बी और सी के उन्मूलन की दिशा में प्रगति कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि राजनैतिक प्रतिबद्धता और निवेश के साथ, वायरल हेपेटाइटिस का उन्मूलन हमारी पहुँच में है.
जुलाई स्पॉटलाइट
इस दिन का उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जो यकृत (liver) की सूजन का कारण बनता है जिससे गम्भीर बीमारी और यकृत कैंसर होता है, जैसा कि डब्ल्यूएचओ की 2017 की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट में उल्लिखित है.
यह संक्रमण, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों को आगे बढ़ाने, भागीदारों, आम लोगों को कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करने और अधिक व्यापक प्रतिक्रिया की आवश्यकता को भी रेंखांकित करता है.
इस वर्ष, डब्ल्यूएचओ बेहतर उपचार पहुँच के लिये, हेपेटाइटिस देखभाल को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और समुदायों को क़रीब लाने के महत्व पर प्रकाश डाल रहा है, चाहे हेपेटाइटिस का कोई भी प्रकार क्यों न हो.
28 जुलाई की तारीख़ इसलिये चुनी गई क्योंकि यह नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक बारूक ब्लमबर्ग का जन्मदिन है, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज की थी और वायरस के लिये एक निदानकारी परीक्षण और टीका विकसित किया था.