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एचआईवी के ख़िलाफ़ लड़ाई में धीमेपन के बीच, तत्काल वैश्विक कार्रवाई की पुकार

एचआईवी संक्रमण के साथ ज़िन्दगी जीने वाले लोगों के समर्थन के लिये, अक्टूबर 2021 में लन्दन में एक सामुदायिक मार्च निकाला गया था.
© Unsplash/Ehimetalor Akhere Unuabona
एचआईवी संक्रमण के साथ ज़िन्दगी जीने वाले लोगों के समर्थन के लिये, अक्टूबर 2021 में लन्दन में एक सामुदायिक मार्च निकाला गया था.

एचआईवी के ख़िलाफ़ लड़ाई में धीमेपन के बीच, तत्काल वैश्विक कार्रवाई की पुकार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के बुधवार को जारी किये गए ताज़ा आँकड़ों में दिखाया गया है कि एड्स की पूर्ण बीमारी का कारण बन सकने वाले एचआईवी संक्रमण मामलों में आ रही गिरावट धीमी पड़ गई है.

एड्स के विरुद्ध लड़ाई की अगुवाई करने वाली यूएन एजेंसी – यूएन एड्स के अनुसार, दुनिया भर में नए संक्रमण मामलों में वर्ष 2020-2021 के दौरान केवल 3.6 प्रतिशत की गिरावट आई, जोकि वर्ष 2016 के बाद से नए एचआईवी संक्रमण मामलों में सबसे कम वार्षिक गिरावट है.

एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा है कि दुनिया भर में रोकथाम और उपचार कमज़ोर पड़े हैं, जिसके कारण लाखों लोगों के जीवन पर जोखिम छा गया है.

यूएन एड्स में आँकड़ों से सम्बन्धित विभाग की निदेशिका मैरी माही का कहना है, “वर्ष 2021 में, एचआईवी संक्रमण के 15 लाख नए मामले हुए थे और एड्स से सम्बन्धित मौतों की संख्या साढ़े छह लाख थी. ये एचआईवी संक्रमण के हर दिन चार हज़ार मामलों के बराबर है.”

ख़तरे का सिगनल

एचआईवी और एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम द्वारा जारी “ख़तरे में”, नामक ये ताज़ा रिपोर्ट, ऐसे समय जारी की गई है जब बुधवार को ही, ऑस्ट्रेलिया के माँट्रियाल शहर में, अन्तरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन शुरू हो रहा है.

रिपोर्ट दिखाती है कि एचआईवी संक्रमण के नए मामले उन स्थानों पर भी बढ़ रहे हैं जहाँ पहले उनमें गिरावट आ रही थी, जिनमें एशिया और प्रशान्त जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं, जोकि दुनिया के सबसे ज़्यादा आबादी वाले क्षेत्र हैं.

यूगाण्डा के एक स्वास्थ्य क्लीनिक में, एक माँ और उसका नौ वर्षीय बेटा जो दोनों ही एचआईवी पॉज़िटिव हैं.
© UNICEF/Karin Schermbrucke
यूगाण्डा के एक स्वास्थ्य क्लीनिक में, एक माँ और उसका नौ वर्षीय बेटा जो दोनों ही एचआईवी पॉज़िटिव हैं.

अफ़्रीका के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में, पहले के वर्षों के दौरान की गई त्वरित प्रगति, 2021 में धीमी पड़ गई.

एचआईवी संक्रमण का पता लगाने, उसकी रोकथाम और उसके उपचार के लिये प्रभावशाली उपकरण उपलब्ध होने के बावूजद, ये महामारी कोविड-19 के दौरान फली-फूली है.

मैरी माही का कहना है कि अगर मौजूदा चलन जारी रहा तो, वर्ष 2025 में, केवल एक वर्ष में एचआईवी के संक्रमण के नए मामलों की संख्या 12 लाख हो जाएगी.

ये दोहराना होगा कि ये संख्या, 2025 में अनुमानित तीन लाख 70 हज़ार नए मामलों से लगभग तीन गुना ज़्यादा होगी.

वायरस को चकमा

यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों का स्वैच्छिक रूप से ख़तना किये जाने से, पुरुषों में संक्रमण को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता, मगर पुरुषों का ख़तना करने का चलन भी, पिछले दो वर्षों के दौरान धीमा हुआ है.

यूएन एजेंसी ने इसी अवधि में, उपचार में भी धीमापन रेखांकित किया है.

उज़बेकिस्तान के ताशकन्त में, एचआईवी पॉज़िटिव एक नौ वर्षीय लड़की, यूनीसेफ़ समर्थिक एक कार्यक्रम में चित्रकारी करते हिुए.
© UNICEF/Giacomo Pirozzi
उज़बेकिस्तान के ताशकन्त में, एचआईवी पॉज़िटिव एक नौ वर्षीय लड़की, यूनीसेफ़ समर्थिक एक कार्यक्रम में चित्रकारी करते हिुए.

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अफ़्रीका में, उपचार तक पहुँच बनाने वाले लोगों की संख्या 2020-2021 में लगभग दो गुनी हो गई जो लगभग आठ लाख 20 हज़ार से बढ़कर क़रीब 16 लाख हो गई.

मगर अब भी ये, यूएन एड्स द्वारा निर्धारित, 2025 तक एक करोड़ के लक्ष्य से बहुत पीछे है, क्योंकि दुनिया भर में बढ़ती लागत और क़ीमतों के कारण, ये उपचार बहुत से लोगों की पहुँच से बाहर होता जा रहा है.

असमान तस्वीर

रिपोर्ट के अनुसार देशों के भीतर और उनके बीच विषमताओं के कारण भी एचआईवी का सामना करने के प्रयासों में प्रगति धीमी पड़ी है, और ख़ुद इस बीमारी ने भी निर्बलताओं का दायरा और व्यापक कर दिया है.

वर्ष 2021 में, युवा महिलाओं और किशोर उम्र की लड़कियों में, हर दो मिनट में संक्रमण का एक नया मामला सामने आते देखा गया है जिनसे क्षेत्रों के बीच विषमता उजागर हुई है.

विशेष रूप में अफ़्रीका में, एचआईवी प्रभाव, कोविड-19 के दौरान पहले से कहीं ज़्यादा स्पष्ट हो गया है, जहाँ करोड़ों लड़कियाँ स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, किशोर उम्र की लड़कियों में गर्भ ठहरने के मामले बढ़े हैं और लिंग आधारित हिंसा में भी बढ़ोत्तरी हुई है, एचआईवी उपचार और रोकथाम सेवाएँ भी बाधित हुई हैं.

सब सहारा अफ़्रीका क्षेत्र में, किशोर वय की लड़कियों और युवतियों में, उसी उम्र के लड़कों और पुरुषों की तुलना में, एचआईवी संक्रमण की चपेट में आने की तीन गुना ज़्यादा सम्भावना है.