केनया: चुनाव के शान्तिपूर्ण संचालन व हिंसा की रोकथाम का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र के कुछ स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने केनया में सरकार और राजनैतिक उम्मीदवारों से, अगले महीने के आम चुनाव में मतदान के शान्तिपूर्ण संचालन और हिंसा को रोकने के लिये, एक सक्षम नागरिक स्थान को बढ़ावा देने का आहवान किया.
पूर्वी अफ्ऱीकी देश केनया में 9 अगस्त को आम चुनाव के लिये मतदान होना है.
Ahead of #Kenya's 9 Aug. elections, experts call on authorities, candidates & political parties to foster an enabling environment for peaceful #elections, warning that political tensions, hate speech & incitement may ignite or fan flames of #violence. 👉https://t.co/gYzXlZgi22 pic.twitter.com/aX3yZZgzbz
UN_SPExperts
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) की एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है चुनावी प्रक्रिया में समावेशी जुड़ाव और राजनैतिक अधिकारों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये नागरिक स्थान, सार्वजनिक भागीदारी, मौलिक स्वतंत्रता और हिंसा मुक्त वातावरण महत्वपूर्ण हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक तनाव के साथ-साथ उम्मीदवारों और उनके समर्थकों द्वारा द्वेषपूर्ण भाषण से हिंसा की आग भड़कने की ख़तरनाक आशंका है.
उन्होंने सभी दलों से राजनैतिक भागीदारी, सभा करने की स्वतंत्रता, विचारों और उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार को बनाए रखने व एक स्वतंत्र न्यायपालिका की भूमिका का सम्मान करने का आग्रह किया.
आचार संहिता
उन्होंने कहा की चुनावी प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों को चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव ख़त्म होने के बाद भी शान्तिपूर्ण संचालन के लिये ख़ुद को प्रतिबद्ध करना होगा.
उम्मीदवारों और राजनैतिक दलों को भड़काऊ भाषा का उपयोग करने से बचना चाहिये, जिससे हिंसा व मानवाधिकारों का हनन हो सकता है, ख़ासतौर पर महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों, एलजीबीटीआईक्यू+(LGBTIQ+) व्यक्तियों या जातीय समूहों के ख़िलाफ़.
विशेषज्ञों के अनुसार केनया में चुनावों के विरोध और राजनैतिक हिंसा का इतिहास रहा है जिसमें लोगों की मौत होने सहित मानवाधिकारों के उल्लंघन, यौन और लिंग आधारित हिंसा भी शामिल है.
2007 के मतदान के बाद, जातीय दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे और साढ़े तीन लाख लोग विस्थापित हुए थे.
उत्तरदायित्व का अभाव
विशेषज्ञों के मुताबिक़ पिछले चुनावों के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों की जवाबदेही अभी तक निर्धारित नहीं हुई है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों ने पिछले चुनावों के दौरान बार-बार होने वाली हिंसा से चिन्तित - विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों और मतदाताओं के लिये - राजनैतिक भागीदारी के अधिकार का प्रयोग करने से वंचित के कारण – केनया के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि हर किसी को बिना किसी भेदभाव के चुनावी प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भाग लेने का मौक़ा मिल सके.
साथ ही, कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार रक्षकों, चुनाव पर्यवेक्षकों और पत्रकारों को बिना किसी धमकी या दबाव के काम करने की अनुमति दी जानी चाहिये.
विशेषज्ञों ने चुनाव अवधि के दौरान संचार बन्द से बचने के लिये अधिकारियों द्वारा प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए याद दिलाया कि वे एक स्वतंत्र व समावेशी चुनावी प्रक्रिया और परिणामों की विश्वसनीयता में योगदान करने के लिये, चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
परिचित चेहरे
प्रमुख उम्मीदवार पूर्व प्रधान मंत्री रायला ओडिंगा हैं जिन्हें पूर्व प्रतिद्वन्द्वी और वर्तमान राष्ट्रपति, केन्याटा और मौजूदा उप राष्ट्रपति का समर्थन मिसला है.
केनया के चुनाव क़ानून के लिये ज़रूरी है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को प्रत्यक्ष जीत के लिये 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिलने चाहि.
इस बार का राष्ट्रपति चुनाव, वर्ष 2010 में स्थापित संविधान के तहत, केनया का तीसरा चुनाव होगा.
ये बयान जारी करने वाले स्वतंत्र अधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति मानवाधिकार परिषद करती है और उसी से उन्हें उनके कामकाज सम्बन्धी शासनादेश प्राप्त होता है. यह परिषद जिनीवा में स्थित है. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ अपनी व्यक्तिगत क्षमता में काम करते हैं और वो ना तो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी होते हैं, ना ही उन्हें उनके काम के लिये संगठन की तरफ़ से कोई वेतन दिया जाता है.