वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

'मैं अपनी आपबीती बताना कभी बन्द नहीं करूंगी'

संयुक्त राष्ट्र की प्रदर्शनी "आपने क्या पहना था?" में यौन उत्पीड़न से बची पाँच पीड़ितों ने गुमनामी से बाहर आकर न्यूयॉर्क में अपनी कहानी बयाँ की.
Spotlight Initiave
संयुक्त राष्ट्र की प्रदर्शनी "आपने क्या पहना था?" में यौन उत्पीड़न से बची पाँच पीड़ितों ने गुमनामी से बाहर आकर न्यूयॉर्क में अपनी कहानी बयाँ की.

'मैं अपनी आपबीती बताना कभी बन्द नहीं करूंगी'

महिलाएँ

कल्पना करें, एक भयानक यौन हमले को सहने की! आघात और सदमे से उबरने की कोशिश करते हुए आप पुलिस को बताते हैं कि आपके साथ क्या हुआ था. लेकिन वो ही आपको ताना मारकर अगर यह पूछ ले: आपने पहना क्या था?

यौन हिंसा से बचे लोगों के अधिकारों के लिये, पिछले छह वर्षों से अभियान चलाने वाली, ख़ुद यौन हिंसा पीड़ित, जैसिका लाँग का जवाब है, “एक नीली पोशाक, काली पजामी और जूते. यही मैंने पहना था. यही था, जो मैंने उस रात पहना था जब मुझे नशीला पदार्थ देकर, मेरे साथ बलात्कार किया गया और फिर मरने के लिये अकेला छोड़ दिया गया."

ऐसे कई आपत्तिजनक प्रश्न, दुनिया भर में पीड़ितों से लगातार पूछे जाते हैं - उनके ख़िलाफ़ हुए अपराध का दोष उन पर ही मढ़कर.

इस तरह के सवालों से पीड़ितों पर दोष मढ़ने की प्रवृत्ति को उजागर करने के लिये, अमेरिकी नागरिक अधिकार संगठन ‘राइज़’ ने संयुक्त राष्ट्र की ‘स्पॉटलाइट पहल’ के साथ न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में एक प्रदर्शनी आयोजित की, जो समस्त संस्कृतियों में यौन हिंसा की व्यापकता की पुष्टि करती है. साथ ही, इस बात को रेखांकित करती है कि एक पीड़िता ने क्या पहना है, उसका इस जघन्य अपराध की जाँच  से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिये.

न्याय की तलाश

यौन हिंसा एक सार्वभौमिक समस्या है जिसे अन्तरराष्ट्रीय मान्यता की आवश्यकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व स्तर पर 35 प्रतिशत महिलाएँ यानि दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी ने यौन हिंसा का अनुभव किया है. यह उत्तरी अमेरिका और योरोप की संयुक्त आबादी के बराबर है.

बलात्कार एक महामारी है.

वस्त्र अप्रासंगिक हैं, यह कभी भी हिंसा का निमंत्रण, या हमलों का कारण नहीं होते, अपराधी इसका कारण होते हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका के एक प्रान्त - टैक्सस की एक वकील और कार्यकर्ता, सामान्था मैक्कॉय ने कहा, "मैंने जो पहना था, वह मायने नहीं रखता."

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनकी भौगोलिक स्थिति से यह निर्धारित नहीं होना चाहिये कि "क्या मुझे उचित देखभाल मिलेगी." उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि अगर पीड़ित व्यक्ति अपने होश-ो हवास में ही नहीं है तो यौन गतिविधि के लिये सहमति कैसे मिलेगी."

सामन्था 2018 से, अपनी अथक पैरोकारी के ज़रिये, इण्डियाना और टैक्सास में इस मुद्दे पर नए क़ानून लागू करने की वकालत करने में सफल रही हैं. और सभी पीड़ितों की ओर से, उन्होंने क़ानूनी सुधार की मांग करनी जारी रखी है.

"आपने क्या पहना था?"(What were you wearing) कला प्रदर्शनी ने दर्शकों को 103 पोशाक पहने पुतलों की क़तारों पंक्तियों को देखने के लिये आकर्षित किया, जो वैश्विक स्तर पर यौन उत्पीड़न के 1.3 अरब पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

पीड़िता पर ही दोष मढ़ना

फ़ैशन की दुनिया में सवाल "आपने क्या पहना था?" सशक्तिकरण का प्रतीक होता है, रचनात्मकता का जश्न मनाता हुआ प्रतीत होता है और व्यक्ति की सामाजिक हैसियत दर्शाता है. लेकिन यौन हिंसा से बचे लोगों के लिये, यह सवाल, एक परम्परागत दोष मढ़ने की रणनीति बन जाता है.

यूएन उप महासचिव, आमिना जे मोहम्मद ने प्रदर्शनी शुरू होने के दौरान कहा कि "आपने क्या पहना था? यह सवाल पूछकर, यह प्रदर्शनी पीड़ित पर आरोप डालने का कथानक एकदम पलट देती है.”

उन्होंने कहा, "यह प्रदर्शनी, दो साल के बच्चे समेत, दुनिया के हर क्षेत्र से हिंसा का अनुभव करने वाले लोगों की विविधता को प्रतिबिम्बित करती है.... [और] किसी भी क़ानूनी तर्क की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से यह दिखती है कि महिलाओं व लड़कियों पर हमले व्यापक हैं, फिर चाहे उन्होंने किसी भी तरह के कपड़े पहने हों." 

यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि यह प्रदर्शनी "इस वास्तविकता को रेखांकित करती है कि बलात्कार का ख़तरा सभी महिलाओं के जीवन पर मण्डराता है, चाहे वो कहीं भी रहती हों ...फिर चाहे उनका पेशा, और उनके कपड़ों की पसन्द जो भी हो."
 
उन्होंने कहा, "यह प्रदर्शनी महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा को ख़त्म करने के लिये, हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी के बारे में महत्वपूर्ण सम्वाद को बढ़ावा देने की उत्प्रेरक होनी चाहिये."

मंच तैयार करना

संयुक्त राष्ट्र के पाँच क्षेत्रीय समूहों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व करते हुए, इन पुतलों को महिलाओं के वो कपड़े पहनाए गए, जो उन्होंने उस समय पहने हुए थे, जब उनका यौन उत्पीड़न हुआ था. कुल 103 पुतले, 1.3 अरब व्यक्तियों के प्रतीक, जिन्हें दुनिया भर में, यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा.
 
संयुक्त राष्ट्र की उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने कहा, "वो पोशाकें, महिलाओं और लड़कियों ने अपने दैनिक जीवन के बारे में तब तक पहनी थीं जब तक कि उन पर यौन हमला नहीं किया गया. किसी को अपनी पसन्द के कपड़े पहनने के आधार पर हमले का शिकार नहीं होना चाहिये. बल्कि किसी के भी साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिये. बात ख़त्म!"

‘राइज़’ संस्था की संस्थापक और सीईओ, पीड़िता अमाण्डा गुयेन ने रेखांकित किया कि "अपने ऊपर हमला होने के समय हमने जो पहना था, वह हिंसा का निमंत्रण नहीं था ... हमले का कारण नहीं था...[और] यह बिल्कुल अप्रासंगिक है."

उन्होंने समझाया, "इस सवाल का साहसपूर्वक जवाब देकर और दुनिया को दिखाकर कि हमने क्या पहना था, हम लोगों के दिमाग़ खोलने और यौन हिंसा के बारे में उनके दृष्टिकोण बदलने के अवसर के रूप में देखते हैं." 

बदलती मानसिकता

यह परियोजना, यौन हिंसा से बचे लोगों की बहादुरी और सहनसक्षमता उजागर करती है. और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के अन्दर, यौन हमले का आंतक व गम्भीर वास्तविकता प्रदर्शित करना, अन्तरराष्ट्रीय प्रतीकवाद में एक शक्तिशाली आयाम जोड़ता है.

पीड़िता ख़दीजातु ग्रेस ने ख़ुद को "भाग्यशाली" बताते हुए कहा कि वह उन लोगों के लिये आवाज़ उठाने लायक बन सकी हैं जो ख़ुद अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते, "बिल्कुल उनकी हमनाम युवा ख़दीजा की तरह, जिनकी दो साल पहले बलात्कार करके, हत्या कर दी गई थी."

वो बताती हैं कि जब सियेरा लियोन में गृहयुद्ध छिड़ने पर विद्रोही, लड़कियों का अपहरण और बलात्कार कर रहे थे, उस समय वो 13 साल की किशोरी थीं. ऐसे में, हताश होकर उनकी माँ ने एक नाव का टिकट ख़रीदकर, ख़दीजातु को एक अजनबी के भरोसे पर वहाँ से भगा दिया.

वो बताती हैं, "वह मुझे ऐसी जगह ले गया जहाँ इंजनों का शोर था, जिससे कोई मेरी आवाज़ नहीं सुन सके, मेरा गला घोंटकर, मेरे हाथ मेरी पीठ के पीछे बान्ध दिये, मेरे मुँह में शर्ट ठूँस दी, और धमकाया कि अगर मैंने आवाज़ निकाली तो वह मुझे फेंक देगा और वापस जाकर मेरी माँ को मार देगा.”

इसमें समय लगा, लेकिन ख़दीजातु ने आख़िरकार यह स्वीकार कर लिया कि उसके बलात्कार में उसकी कोई ग़लती नहीं थी.

वो कहती हैं, "तुमने सोचा कि तुमने मुझे तोड़ दिया, लेकिन दरअसल तुमने मुझे एक मंच दिया है, मैं कभी गुनगुनाना बन्द नहीं करूंगी, मैं अपनी आपबीती बताना कभी बन्द नहीं करूंगी."

यौन उत्पीड़न पीड़िता, ख़दीजातु ग्रेस ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित "आपने क्या पहना था?" प्रदर्शनी के स्वागत समारोह में अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई.
Spotlight Iniative
यौन उत्पीड़न पीड़िता, ख़दीजातु ग्रेस ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित "आपने क्या पहना था?" प्रदर्शनी के स्वागत समारोह में अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई.

व्यवस्था में बदलाव

2019 में, दोस्तों के साथ नाइट आउट के दौरान एक सहकर्मी द्वारा ब्रिटनी लेन का यौन उत्पीड़न किया गया था.

वो बताती हैं, “मैंने उस दिन अपनी आपबीती कई बार दोहराई, स्थानीय पुलिस से शुरू होकर दो अलग-अलग अस्पतालों के कर्मचारियों के सामने तक. लगभग हर पुलिस अधिकारी और डॉक्टर ने पहला सवाल मुझसे यही पूछा था: तुमने क्या पहना था?”

हमले के समय, उसका बयान लेने वाले अधिकारी ने ब्रिटनी को अभियोग न लगाने की सलाह देते हुए कहा कि उसके पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं.

उन्होंने कहा, "कई अन्य पीड़ितों की तरह, मैं शर्मिन्दगी, अपमान और अपराधबोध से भर गई थी. उस रात मेरे साथ जो हुआ, मैं उसे बदल नहीं सकती, लेकिन मैं इस व्यवस्था को बदलने के लिये काम कर सकती हूँ ताकि फिर से किसी को निराश ना होना पड़े."

न्याय की वकालत

अमाण्डा को अब भी याद है कि बलात्कार के बाद की रात, उसने अस्पताल में छह घण्टे बिताए थे. वो कहती हैं, "मुझे बहुत अकेलापन महसूस हुआ."

बाद में ‘राइज़’ संस्था शुरू करने वाली, अमाण्डा याद करती हैं कि पहली बार अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाने के बाद वो घर जाकर बहुत रोईं. "उन लोगों कोई परवाह नहीं थी. लेकिन अगली सुबह, मैं फिर उठकर वापस गई और मैंने इसे फिर दोहराया.”

कांग्रेस में अपनी बात रखने के लिये जाते हुए, रास्ते में, अमाण्डा के टैक्सी ड्राइवर ने पूछा कि उन्हें कहाँ जाना है. जब उन्होंने ड्राइवर को पूरी बात बताई तो वह रोने लगा और बोला कि उसकी बेटी के साथ भी बलात्कार हुआ था.

वहाँ पहुँचने पर उसने पूछा, "क्या मैं तुम्हारा अभिवादन कर सकता हूँ? मेरी बेटी के लिये लड़ने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद."

बाद में ‘राइज़’ संस्था शुरू करने वाली, यौन हिंसा पीड़ित, अमाण्डा ने बताया कि वो पहली बार अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाने के बाद घर जाकर बहुत रोई थीं..
Spotlight Iniative
बाद में ‘राइज़’ संस्था शुरू करने वाली, यौन हिंसा पीड़ित, अमाण्डा ने बताया कि वो पहली बार अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाने के बाद घर जाकर बहुत रोई थीं..

प्रस्ताव

हालाँकि दुनियाभर में प्रदर्शनकारी व कार्यकर्ता, पीड़ितों के लिये न्याय की मांग करते हुए मार्च करते हैं, और #MeToo जैसे हैशटैग, सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर नज़र आने लगे हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में अभी तक यौन हिंसा से बचे लोगों की सुरक्षा पर केन्द्रित प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है.

हालाँकि, इसमें सर्वसम्मति से एक नया एजेण्डा आइटम अपनाया गया है, जो यौन उत्पीड़न से बचे लोगों के लिये न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करता है और इसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा सालाना चर्चा के लिये महासभा के कार्यक्रम में स्थाई रूप से शामिल रखता है.

साथ ही, एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया है, जो अपराधों के मुक़दमे चलाने के लिये सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र, हमलावर के साथ क़ानूनी सम्बन्धों को समाप्त करने की क्षमता और पीड़िता को वित्तीय लागत के बिना अपराध की रिपोर्ट करने की क्षमता प्रदान करेगा.
 
अमेरिकी होटल ‘Magnet’ के मालिक की पोती, पैरिस हिल्टन को 16 साल की उम्र में दो लोग, हथकड़ी लगाकर, दूसरे राज्य की एक आवासीय उपचार सुविधा में ले गए और उनका शोषण किया.

उन्होंने प्रस्तावित मसौदे का समर्थन करते हुए कहा, “दो साल तक, मैंने कर्मचारियों द्वारा शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और यौन शोषण सहन किया. मैं बहुत शक्तिहीन महसूस कर रही थी. मैं आज यहाँ आई हूँ क्योंकि यह दुर्व्यवहार आज भी जारी है.”