संघर्ष में फँसे बच्चों के संरक्षण के लिये सर्वश्रेष्ठ रास्ता – शान्ति की हिमायत व प्रोत्साहन
बच्चे व सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित करने व उनके मानवाधिकार हनन को रोकने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता, शान्ति को प्रोत्साहन और उसकी हिमायत करना है.
वर्जीनिया गाम्बा ने इस मुद्दे पर यूएन महासचिव की रिपोर्ट मंगलवार को सुरक्षा परिषद में पेश करते हुए, सशस्त्र संघर्ष में और उसके लिये बच्चों के इस्तेमाल व उनके अधिकारों का हनन करने में मौजूदा रुझानों, गम्भीर हनन के चलन, और मौजूदा व उभरती चुनौतियों को रेखांकित किया.
At the #CAAC Open Debate, Patrick shared his story as a child in conflict, stating his recommendations for meaningful recovery, reintegration & meaningful participation of #children & youth in policy/programmingRead Patrick’s story here -> https://t.co/NeBoZQ59xz#ACTtoProtect pic.twitter.com/taxbpVBTxd
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अत्यधिक हनन
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संगठन ने वर्ष 2021 के दौरान, दक्षिण सूडान से लेकर अफ़ग़ानसितान और अन्यत्र स्थानों पर, बच्चों के गम्भीर अधिकार हनन के 23 हज़ार 982 मामलों की पुष्टि की थी, जिनमें से, लगभग 19 हज़ार 165 मामले, बच्चों के विरुद्ध गम्भीर हनन के मामले थे.
उन्होंने बताया कि इनमें से 1,600 बच्चों को दो या उससे ज़्यादा बार शिकार बनाया गया, जिससे बच्चों के अधिकार हनन की बार-बार होती प्रवृत्ति का सम्बन्ध सामने आता है.
उससे भी ज़्यादा, 8 हज़ार बच्चे, युद्ध में फटने से बची विस्फोटक सामग्री, संवर्धित विस्फोटक डिवाइस, और बारूदी सुरंगों के कारण या तो मारे गए या अपंग हो गए.
लड़कियों के ख़िलाफ़ हनन में वृद्धि
वर्ष 2021 के दौरान, लड़कियों को हनन के मामलों में बढ़ोत्तरी का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से मौतों व अपंगता, यौन हिंसा और अपहरण होने के मामलों में.
वर्जीनिया गाम्बा ने सुरक्षा परिषद को बताया कि 2021 में पीड़ित तीन बच्चों में से एक लड़की की थी – जबकि उससे केवल एक वर्ष पहले ही, ये अनुपात चार बच्चों में से एक लड़की का था.
उन्होंने ये भी कहा कि बलात्कार और यौन हिंसा के अन्य रूपों का सामना करने वाले जीवित बचे बच्चों में, 98 प्रतिशत लड़कियाँ होती हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस बीच, 2 हज़ार 864 बच्चों को या तो बन्दी बनाया गया या उनकी स्वतंत्रता से वंचित किया गया, यानि ऐसे संघर्षों के कारण उन्हें दोहरा दण्ड भुगतना पड़ा जिनके लिये वो ना ज़िम्मेदार थे और ना हैं.
बचपन हमले की चपेट में
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने कहा कि वैश्विक संघर्षों में बढ़ोत्तरी के कारण, बच्चों के ख़िलाफ़ हनन के मामले भी जारी हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चे व बचपन, हमले की चपेट में हैं. इस रिपोर्ट में एक स्याह तस्वीर प्रस्तुत की गई है, मगर आगे के रास्ते की तरफ़ भी इशारा किया गया है.

कैथरीन रसैल ने ध्यान दिलाया कि वर्ष 2021 में कम से कम 12 हज़ार 214 बच्चों को सशस्त्र गुटों के चंगुल से रिहा कराया गया; माली और यमन में नई कार्रवाई योजनाएँ बनाई गई हैं; और गम्भीर हनन पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी और रिपोर्ट तैयार करने की व्यवस्था और भी ज़्यादा मज़बूत व मुखर हुई है.
यूनीसेफ़ की मुखिया ने सदस्य देशों से हनन पर शून्य सहनशीलता की नीतियों और सुरक्षित स्कूल घोषणा-पत्र पर ज़ोर देने वाले सैन्य आदेश जारी करने की अपनी शक्ति का प्रयोग करने की पुकार लगाई.
सुरक्षित स्कूल घोषणा-पत्र के तहत बच्चों को हमलों और दुर्व्यवहार से संरक्षण का प्रावधान है; साथ ही बाल पीड़ितों को कलंक और उनके फिर से चंगुल में फँस जाने से संरक्षण की भी व्यवस्था है.
कैथरीन रसैल ने कहा, “हर बच्चे को संरक्षण पाने का अधिकार है – युद्ध और शान्ति दोनों ही परिस्थितियों में.”
उन्होंने इस कार्य को हर किसी के लिये एक टिकाऊ भविष्य बनाने की दिशा में एक पवित्र ज़िम्मेदारी क़रार दिया.