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वैश्विक खाद्य संकट की 'गम्भीर' स्थिति पर एक विशेष बैठक में चर्चा

उत्तरी थाईलैंड के च्यांग राय में चावल की फ़सल की कटाई करती महिलाएँ.
UN Women/Pornvit Visitoran
उत्तरी थाईलैंड के च्यांग राय में चावल की फ़सल की कटाई करती महिलाएँ.

वैश्विक खाद्य संकट की 'गम्भीर' स्थिति पर एक विशेष बैठक में चर्चा

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष, अब्दुल्ला शाहिद ने सोमवार को वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिये एक विशेष बैठक में कहा कि बढ़ती भुखमरी और कुपोषण का मुक़ाबला करने के लिये, खाद्य प्रणालियों में जलवायु सहनसक्षमता बढ़ाना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और वर्तमान में चल रहे संघर्षों जैसे कारकों के परिणामस्वरूप 2021 में लगभग एक अरब लोग भुखमरी के शिकार हुए हैं.

इस बीच, विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन में संघर्ष, वर्ष 2022 के दौरान अतिरिक्त 9 करोड़ 50 लाख लोगों को अत्यधिक निर्धनता में और 5 करोड़ लोगों को गम्भीर भुखमरी के गर्त में डुबो देगा.

लक्ष्य प्राप्ति से दूर

महासभा अध्यक्ष ने कहा, "सच कहूँ तो हम 2020 से पहले भी के अपने खाद्य-सुरक्षा लक्ष्यों की प्राप्ति में पीछे थे. लेकिन, अब स्थिति और भी ज़्यादा गम्भीर है."

"कई वैश्विक संकटों के झटकों ने हमारे संस्थानों, हमारी अर्थव्यवस्थाओं को कमज़ोर कर दिया है, और प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई करने की हमारी क्षमता को चुनौती दी है."

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस धूमिल तस्वीर के बावजूद, देशों को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिये. उन्हें वैश्विक भुखमरी और कुपोषण को कम करने के लिये सामूहिक रूप से संगठित होना चाहिये, और उन कारकों पर भी ध्यान देना चाहिये जिनसे ये स्थिति पैदा होती है.

अब्दुल्ला शाहिद ने दुनिया के सबसे कम विकसित देशों, भूमि से घिरे विकासशील देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, जिनके नागरिक "आम तौर पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा भोजन सहित बुनियादी ज़रूरतों पर ख़र्च करने के लिये मजबूर होते हैं, और इसलिये खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों का उनपर असमान रूप से असर पड़ता है."

साथ मिलकर, अलग-थलग होकर नहीं

साल 2021 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन की सिफ़ारिशों के अनुरूप, इन देशों की खाद्य प्रणालियों में स्थाई बदलाव लाने के लिये भी सहायता दी जानी चाहिये.

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि जैसे-जैसे देशों में अधिक टिकाऊ और पर्यावरणीय रूप से ज़िम्मेदार खाद्य-प्रणालियाँ लागू की जा रही हैं, उन्हें खाद्य सुरक्षा को एक व्यापक बहुपक्षीय एजेण्डे के हिस्से के तौर पर देखना होगा, जो आज की चुनौतियों की परस्पर सम्बद्धता और उन्हें इकतरफ़ा या अकेले में हल करने की निरर्थकता को समझता हो.

खाद्य प्रणालियों को किफ़ायती स्वस्थ आहार प्रदान करने में सक्षम होना चाहिये जो टिकाऊ और समावेशी हों. उन्हें भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में एक शक्तिशाली प्रेरक शक्ति भी बनना चाहिये.

उन्होंने कहा, "हमें तुरन्त जो कार्रवाई करनी चाहिये, उनमें खाद्य प्रणालियों में जलवायु सहनसक्षमता बढ़ाना, खाद्य परिवेश को मज़बूत करना और मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव वाले आहार पैटर्न को बढ़ावा देने के लिये उपभोक्ता व्यवहार को बदलना शामिल है."

उन्होंने कहा, “खाद्य सुरक्षा को हल करने के लिये हमें आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने वाले संघर्षों और महामारियों को रोकने; प्रकृति के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारने, टिकाऊ कृषि को सुरक्षित करने; और ग़रीबी व भुखमरी को कम करने की दिशा में काम कर रहे वैश्विक संस्थानों को मज़बूत करने की भी आवश्यकता है."

एक 'नाज़़ुक क्षण'

अब्दुल्ला शाहिद ने यह उच्च स्तरीय विशेष कार्यक्रम, विश्व खाद्य सुरक्षा समिति और खाद्य, ऊर्जा एवं वित्त पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह के साथ मिलकर आयोजित किया था.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बैठक के लिये एक वीडियो सन्देश में, "इस नाज़ुक क्षण" में शामिल होने के लिये भागीदारों की सराहना करते हुए रेखांकित किया कि पिछले दो वर्षों में गम्भीर खाद्य असुरक्षा के शिकार लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है.

महासचिव ने कहा, "हम इस साल कई अकाल पड़ने के वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं. और अगला साल और भी ज़्यादा बुरा हो सकता है. लेकिन अगर हम तुरन्त क़दम उठाते हैं, तो हम इस तबाही से बच सकते हैं."

महासचिव ने यूक्रेन के खाद्य उत्पादन, और रूस के खाद्य व उर्वरक को विश्व बाज़ारों में तुरन्त, पुन: एकीकृत करने एवं वैश्विक व्यापार को खुला रखने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया.

उन्होंने विकासशील देशों में वित्तीय संकट से निपटने, और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिये तत्काल संसाधन उपलब्ध करवाने और उत्पादकता व आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिये छोटे किसानों की मदद करने का आहवान किया.

देशों को खाद्य प्रणालियों में हर स्तर पर बदलाव लाना होगा, ताकि हर जगह, हर किसी को किफ़ायती, स्वस्थ और टिकाऊ आहार तक पहुँच उपलब्ध हो.